हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से सोलापुर के उपजिलाधिकारी को ज्ञापन प्रस्तुति
सोलापुर : राज्य सरकार ने मंदिर समिति को महाराष्ट्र के आराध्य देवता तथा करोडों भक्तों के आस्था के केंद्र श्री विठ्ठल को श्रद्धालुओं द्वारा समर्पित किए गए सोने-चांदी के आभूषणों को पिघलाने की अनुमति दी है । वर्ष १९८५ से लेकर अबतक प्राप्त आभूषणों को पिघलाया जानेवाला है । इसमें २८ किलो सोने के, तो ९९६ किलो चांदी के आभूषण अंतर्भूत हैं । शासन के आदेश के अनुसार इन आभूषणों से शुद्ध सोना और चांदी की ईंटे बनाकर उन्हें मंदिर समिति को सौंपा जाएगा । इससे मंदिर समिति को भक्तों द्वारा श्रद्धापूर्व समर्पित किए गए आभूषणों को पिघलाने का अधिकार किसने दिया ?, यह प्रश्न उठता है । ये मौलिक आभूषण शिवकालीन, पेशवेकालीन अथवा शिंदे सरकार द्वारा दिए गए हैं; इसलिए उनका जतन किया जाए, साथ ही अभीतक इन आभूषणों के संदर्भ में ध्यान में आए हुए घोटालों का ब्योरा सार्वजनिक किया जाए, इस मांग को लेकर हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से १५ नवंबर को सोलापुर की निवासी उपजिलाधिकारी शमा पवार को ज्ञापन प्रस्तुत किया गया । इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के सर्वश्री राजन बुणगे, विक्रम घोडके, दत्तात्रय पिसे, विनोद रसाळ आदि उपस्थित थे ।
समिति द्वारा प्रस्तुत इस ज्ञापन में कहा गया है कि,
१. नित्यपूजा में स्थित दही और दूध के लिए उपयोग की जानेवाली बडी थालियां, महाभोग के बरतन आदि से श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाएं जुडी होने से उनका जतन होना आवश्यक ही है । ऐसी पुरातन वस्तु आज के समय दुर्लभ बन गई हैं; इसलिए उन्हें पिघलाने के स्थान पर उनकी प्रदर्शनी बनाकर आनेवाली पीढी को महाराष्ट्र राज्य की वारकरी परंपरा का इतिहास दिखाया जा सकता है । इंग्लैंड और अमेरिका में महनीय व्यक्तियों द्वारा उपयोगित पेन जैसी छोटी वस्तुओं का भी जतन कर उन्हें विरासत के रूप में संजोया जाता है, तो हमारी मंदिर समिति पुराने आभूषणों का जतन क्यों नहीं कर सकती ?
२. तमिलनाडू सरकार ने भी इसी प्रकार का निर्णय लेकर मंदिरों में संग्रहित २ सहस्र १३८ किलो सोना पिघलाने की प्रक्रिया आरंभ की थी । न्यायालय में इसे चुनौती देने पर मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडू सरकार को राज्य के मंदिरों में संग्रहित सोना पिघलाने की अनुमति नहीं दी । सोना पिघलाने की प्रक्रिया में किसी प्रकार की अनियमितता हुई, तो उसका दायित्व किसका होगा ? अतः श्री विठ्ठल को समर्पित आभूषणों को पिघलाने के स्थान पर उनका जतन किया जाए ।
आभूषण पिघलाए गए आभूषणों में विद्यमान कुछ बातें खो जाने के वर्ष २०१२ के प्रकरण का अन्वेषण करना होना असंभव !
वर्ष २०१२ में विधि विभाग द्वारा देवता के आभूषणों का अवलोकन करने के उपरांत इन आभूषणों में विद्यमान कुछ बातें खो जाने की बात सामने आई थी; परंतु आगे जाकर यह ब्योरा ही दबा दिया गया । यह ब्योरा सार्वजनिक कर जनता के सामने सच्चाई लाई जानी चाहिए । वर्ष १९८५ से लेकर वर्ष २०१२ की अवधि में कुछ आभूषण खो जाने की संभावना अस्वीकार नहीं की जा सकती । इइलिए अब आभूषणों को पिघलाया गया, तो वर्ष २०१२ के प्रकरण के ब्योरे का अन्वेषण करना संभव नहीं होगा, साथ ही इसमें भ्रष्टाचार होने की संभावना भी अस्वीकार नहीं की जा सकती, ऐसा भी समिति द्वारा प्रस्तुत ज्ञापन में कहा गया है ।