‘भारतीय असंतोष के जनक’ लोकमान्य तिलकजी के रत्नागिरी स्थित जन्मस्थान को ‘राष्ट्रीय स्मारक’ घोषित कीजिए ! – मनोज खाडये, समन्वयक, पश्चिम महाराष्ट्र, कोंकण एवं गुजरात राज्य समन्वयक, हिन्दू जनजागृति समिति
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जनजागृति समिति की ओर से ‘लोकमान्य तिलकजी के जन्मस्थान की दुःस्थिति’ विषय पर रत्नागिरी में पत्रकार परिषद
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विभाग को जगाने हेतु मुंबई, पुणे एवं रत्नागिरी में आंदोलन करेंगे !
देश की स्वतंत्रता के लिए स्वयं का जीवन समर्पित करनेवाले क्रांतिकारियों का विस्मरण होना, तो सरकारी तंत्र के उनके प्रति कृतघ्न होने का ही दर्शक है ! यह स्थिति उनके लिए लज्जाप्रद है ! न्यूनतम जनता को तो इस प्रकार की कृतघ्नता नहीं दिखानी चाहिए और क्रांतिकारियों के स्मारकों को सुस्थिति में रहने हेतु सरकार से आग्रह रखना चाहिए ! – संपादक दैनिक सनातन प्रभात
रत्नागिरी : हिन्दू जनजागृति समिति के पश्चिम महाराष्ट्र, कोंकण एवं गुजरात राज्य समन्वयक श्री. मनोज खाडये ने यह मांग की है कि भारत को स्वतंत्रता मिलने के लिए काले पानी का दंड भोगनेवाले और स्वतंत्रतासंग्राम को संपूर्ण भारत में फैलानेवाले ‘भारत के असंतोष के जनक’ लोकमान्य तिलकजी के तिलक आळी में स्थित जन्मस्थान की दुर्दशा हुई है । पुरातत्व विभाग इस दुस्थिति को तत्काल ध्यान देकर उसके लिए उचित कदम उठाए जाएं, साथ ही लोकमान्य तिलकजी के जन्मस्थान को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाए ।रत्नागिरी के मारुति मंदिर के शेषाराम सभागार में २० नवंबर को आयोजित की गई पत्रकार परिषद में वे ऐसा बोल रहे थे । उन्होंने यह भी बताया कि इसके लिए पहले चरण में मुंबई, पुणे और रत्नागिरी में आंदोलन भी किया जाएगा ।
इस अवसर पर श्री शिवप्रतिष्ठान हिन्दुस्थान के श्री. राकेश नलावडे, अपरांत संगठन के श्री. दीपक जोशी एवं समिति के श्री. विनोद गादीकर उपस्थित थे । आरंभ में हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. संजय जोशी ने प्रास्ताविक कर मान्यवरों का परिचय करवा दिया ।
श्री. मनोज खाडये ने आगे कहा कि,
१. लोकमान्य तिलकजी के जन्मस्थान के छत की खपडें टूट गईं हैं, साथ ही दीवार पर शैवाल जम गया है, तो कुछ स्थानों पर दीवारों में दरारें आई हैं ।
२. पुरातत्त्व विभाग ने जन्मस्थान के प्रवेशद्वार से बाहर लगाए हुए फलक में जंग चढ गया है, जिससे उसे ठीक से पढा भी नहीं जा सकता ।
३. इस जन्मस्थान का अवलोकन करने हेतु संपूर्ण देश से सैकडों पर्यटक और विद्यालयीन छात्रों की सफरें आती हैं । वे जन्मस्थान की जानकारी पुस्तक मांगते हैं; परंतु जन्मस्थान पर उनकी सामान्य जानकारी पुस्तक भी उपलब्ध नहीं है ।