मराठी साहित्य सम्मेलन में मराठी भाषा के लिए तिलमात्र योगदान न देनेवालों को सम्मान दिए जाने से मराठी भाषिक लोगों की भावनाएं आहत हो रही है । मराठी लोगों के विरोध के उपरांत भी हिन्दी और उर्दू गीतकार जावेद अख्तर को साहित्य सम्मेलन में प्रमुख अतिथि के रूप में आमंत्रित करना, यह मराठी लोगों का अपमान ही है । जावेद अख्तर स्वयं विगत 50 वर्षों से अधिक काल महाराष्ट्र राज्य में अर्थात मराठी भूमि में रह रहें है; लेकिन इतने वर्ष उन्होंने मराठी के हित के लिए कभी भी कार्य नहीं किया । इतने वर्षों में मराठी भाषा न सिखते हुए वे उर्दू-हिन्दी भाषा में ही कार्य कर रहे हैं । जिस व्यक्ति को मराठी भाषा से किसी भी प्रकार का प्रेम नहीं, मराठी साहित्य के लिए कोई योगदान नहीं, उसे मराठी साहित्य सम्मेलन में आमंत्रित करना अनुचित है । एक ओर मराठी साहित्य में अनमोल योगदान देनेवाले, भाषाशुद्धि का अभियान चलाकर मराठी को समृद्ध करनेवाले वीर सावरकर की मराठी साहित्य सम्मेलन में उपेक्षा की जाती है, तो दूसरी ओर हिन्दी और उर्दू गीतकार जावेद अख्तर को आमंत्रित किया जाता है । यह मराठी भाषा का अपमान ही है । अत: साहित्य सम्मेलन में जावेद अख्तर को प्रमुख अतिथि के रूप में निमंत्रित करने का निर्णय रद्द करें । इस संदर्भ में हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से मुख्यमंत्री, सांस्कृतिक मंत्री, साथ ही आयोजक के नाम से नासिक के जिलाधिकारी कार्यालय में निवेदन भी दिया गया है ।
50 वर्षोंसे अधिक काल महाराष्ट्र मे रहते हुए भी 'मराठी' न जानने वाले @Javedakhtarjadu को मराठी साहित्य संमेलन का निमंत्रण क्यों ? – @SG_HJS
जिस व्यक्ति को मराठी भाषा से किसी भी प्रकार का प्रेम नहीं, मराठी साहित्य के लिए कोई योगदान नहीं, उसे सम्मेलन में आमंत्रित करना अनुचित है । pic.twitter.com/AmMgDzrvXT
— HinduJagrutiOrg (@HinduJagrutiOrg) November 24, 2021
हिन्दू तालिबानियों के व्यासपीठ पर क्या जावेद अख्तर बैठना चाहेेंंगे ?
कुछ दिनों पूर्व अख्तर ने हिन्दू राष्ट्र का समर्थन करनेवालों की तुलना क्रूर और अत्याचारी तालिबानियों से की थी । उनके इस कथन का शिवसेना के मुखपत्र से तत्काल निषेध किया गया । शिवसेना पक्षप्रमुख माननीय मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने 2015 के दशहरा मेले में जनता को संबोधित करते हुए भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की मांग की थी । हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना प्रस्तुत करनेवाले वीर सावरकर ने वर्ष 1938 में मराठी साहित्य सम्मेलन का अध्यक्षपद भूषित किया था । ऐसी स्थिति में जावेद अख्तर जिन हिन्दू राष्ट्रवादियों को तालिबानी संबोधित करते हैं, उनके द्वारा भूषित व्यासपीठ पर क्या जावेद अख्तर बैठना चाहेंगे ?
50 वर्षांहून अधिक काळ महाराष्ट्रात राहून ‘मराठी’ न येणार्या @Javedakhtarjadu यांना मराठी साहित्य संमेलनात पायघड्या कशासाठी ?
मा. @CMOMaharashtra @AmitV_Deshmukh साहित्य संमेलनात जावेद अख्तर यांना प्रमुख पाहुणे म्हणून बोलावण्याचा निर्णय रहित करावा. pic.twitter.com/V289sQK7CX
— HinduJagrutiOrg (@HinduJagrutiOrg) November 24, 2021