देहरादून : उत्तराखंड सरकार ने मंगलवार को अस्तित्व में आने के ठीक दो साल बाद विवादास्पद चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को भंग कर दिया। यह जानकारी साझा करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा,‘‘ आप सभी की भावनाओं, तीर्थपुरोहितों, हक-हकूकधारियों के सम्मान एवं चारधाम से जुड़े सभी लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए श्री मनोहर कांत ध्यानी जी की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने देवस्थानम बोर्ड अधिनियम वापस लेने का फैसला किया है।’’
इससे पहले, ध्यानी समिति ने रविवार शाम को अपनी अंतिम रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी थी जिस पर उन्होंने इसका परीक्षण कर जल्द निर्णय लेने की बात कही थी।
चारों हिमालयी धामों-बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के तीर्थ पुरोहितों द्वारा देवस्थानम बोर्ड के विरोध में लंबे समय से चलाए जा रहे आंदोलन के मद्देनजर धामी ने जुलाई में भाजपा नेता ध्यानी की अध्यक्षता में इस समिति का गठन किया था।
Our government has taken a decision to take back the Char Dham Devasthanam Management Board Bill: Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami pic.twitter.com/Xe0TgEz0iL
— ANI (@ANI) November 30, 2021
Good start, take it to National level…
Uttarakhand CM @pushkardhami rolls back "Devsthanam Board Law"…
..Let us move ahead and take it to National level to Free Hindu Temples from clutches of Secular Govts.@csranga @trramesh@ReclaimTemples@kanimozhi @shilpamdas pic.twitter.com/81vtMPtEZK— ? Ramesh Shinde ?? (@Ramesh_hjs) November 30, 2021
बोर्ड के गठन को अपने पारंपरिक अधिकारों का हनन बताते हुए चारों धामों के तीर्थ पुरोहित इसे भंग करने की मांग को लेकर लंबे समय से आंदोलन चला रहे थे। निकट आ रहे विधानसभा चुनावों को देखते हुए उन्होंने आंदोलन तेज करने की धमकी दी थी। धामी सरकार के इस निर्णय को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है ।
देवस्थानम अधिनियम पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार के कार्यकाल में दिसंबर 2019 में पारित हुआ था जिसके तहत चार धामों सहित प्रदेश के 51 मंदिरों के प्रबंधन के लिए बोर्ड का गठन किया गया था।
संदर्भ : अमर उजाला