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संभाजी ब्रिगेड ने फेसबुक पोस्ट के द्वारा सनातन संस्था के पनवेल आश्रम पर आक्रमण करने के लिए उकसाया गया !

सनातन पंचांग २०२२ में राजमाता जिजामाता जयंति का तिथि के अनुसार उल्लेख करने का और वह अनुचित होने का किया आक्रोश !

४ दिसंबर को नांदेड के कुछ सनातनद्वेषी समाजविरोधी तत्त्वों ने सनातन पंचांग २०२२ की प्रतियां जलाईं !

  • पंचांग में छत्रपति शिवाजी महाराज, छत्रपति शिवाजी महाराज, राजमाता जिजामाता, साथ ही हिन्दुओं के देवताओं के चित्र हैं; अतः समाजविरोधी तत्त्वों ने सनातन पंचांग के प्रतियों को जलाकर समस्त धर्मप्रेमियों की धार्मिक भावनाएं आहत करने का ही काम किया है ! – संपादक दैनिक सनातन प्रभात 
  • विचारों का प्रतिवाद विचारों से न कर आश्रम तोड देंगे की धमकी देना और सनातन पंचांगों की प्रतियां जला देना क्या लोकतंत्र के तत्त्वों के अनुसार है ? – संपादक दैनिक सनातन प्रभात 

मुंबई : सनातन पंचांग २०२२२ में राजमाता जिजामाता की जयंती का उल्लेख तिथि के अनुसार १७ जनवरी २०२२, ऐसा किया गया है । यह उल्लेख उचित होते हुए भी जानबूझकर यह उल्लेख दिनांक के अनुसार १२ जनवरी २०२२ होना चाहिए, यह आक्रोश करते हुए मराठा सेवा संघ, साथ ही संभाजी बिग्रेड समर्थित फेसबुक पन्नों पर सनातन के विषय में दुष्प्रचारकारी और उकसानेवाली पोस्टस् की गई हैं । इन में से कुछ फेसबुक पन्नों पर सनातन पंचांग जलाने की धमकी दी गई है । एक व्यक्ति ने अपनी कॉमेंट (प्रतिक्रिया) में सनातन संस्था के पनवेल आश्रम का पता देकर असामाजिक तत्त्वों को आश्रम से आक्रमण कर उसे तोडने का आवाहन किया है ।

४ दिसंबर को नांदेड में कुछ असामाजिक तत्त्वों द्वारा सनातन पंचांग २०२२ की प्रतियों को जलाए जाने का समाचार है ।

१. इस संदर्भ में अधिक जानकारी यह है कि कुछ लोगों ने सनातन की हेल्पलाइन पर पंचांग मंगाए । उसके उपरांत पंचांग वितरण करनेवाले एक वितरक को दूरभाष कर राजमाता जिजामाता की जयंती १७ जनवरी को होते हुए आपने पंचांग में उसे तिथि के अनुसार १२ जनवरी को दिया है। आपने पंचांग में अनुचित लिखा है । आप लोगों का दिशाभ्रम कर रहे हैं ।, ऐसा कहा ।

२. इस संदर्भ में मराठा सेवा संघ एवं संभाजी ब्रिगेड से संबंधित लोगों के फेसबुक पन्नों पर इस संदर्भ में बडी मात्रा में दुष्प्रचार किया जा रहा है और उनकी पोस्टस् में इन लोगों को राजमाता जिजामाता की जयंती कब है, यह ज्ञात नहीं है; ये लोग नालायक हैं और हम पंचांग जलाएंगे, इस प्रकार की उकसानेवाली भाषा का प्रयोग किया गया है ।

३. सनातन पंचांग का वितरण करनेवाले कुछ वितरकों के वॉट्स एप पर पंचांग चाहिए के संदेश आ रहे हैं; परंतु संदेश भेजनेवाले का नाम और पता पूछने पर कोई उत्तर नहीं दिया गया है , साथ ही आनेवाले १-२ दिनों में हम पंचांग जलानेवाले हैं और उसके लिए पंचांग चाहिए बोलनेवाले दूरभाष भी आ रहे हैं ।

राजमाता जिजामाता की जयंति के विषय में स्पष्टीकरण

वर्ष १८५७ से पहले के काल में अंग्रेजी कालगणना के प्रचलित न होने के कारण उस काल के संतों, राजाओं और क्रांतिकारियों की जयंतियां और स्मृतिदिवस तिथि के अनुसार प्रचलित थे । इइलिए सनातन पंचांग में वर्ष १८५७ से पहले के संतों, राजाओं, क्रांतिकारियों आदि की जयंतियों का और स्मृति दिवसों का उल्लेख तिथि के अनुसार किया जाता है । उनमें से कुछ अपवादात्मक दिनविशेष दिनांक के अनुसार भी मनाए जाते हैं, उदा. छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंति सरकार की नीति के अनुसार दिनांक के अनुसार, तो कई शिवभक्त उसे तिथि के अनुसार मनाते हैं । सनातन पंचांग के जनवरी महिने के मलपृष्ठ पर इस संदर्भ में स्पष्टीकरणात्मक सूचना विस्तार से दी गई है ।

इस नीति के अनुसार सनातन पंचांग २०२२ में राजमाता जिजामाता की जयंती का उल्लेख पौष पूर्णिमा को अर्थात १७ जनवरी को किया गया है । इसमें इतिहास को बदलने का अथवा राजमाता जिजामाता का अनादर करने का कोई उद्देश्य नहीं है; परंतु कुछ लोग सनातन पंचांग इतिहास को बदलने का प्रयास कर कर रहा है, यह अवधारणा फढला रहे हैं । – संपादक, सनातन पंचांग

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