छत्रपति शिवाजी महाराज का इतिहास मिटानेवालों से सर्तक रहें और धर्मांधों का षड्यंत्र रोकें ! – हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. सुनील घनवट का आवाहन
वाई (जिला सातारा) तहसील के ऐतिहासिक ‘किला वंदनगड’ का नाम ‘पीर किला वंदनगड’ परिवर्तित कर, इतिहास परिवर्तित करने का प्रयास किया गया । इस संदर्भ में हिन्दू जनजागृति समिति ने तत्काल माननीय मुख्यमंत्री, पुरातत्व विभाग और वन विभाग को निवेदन देकर इस गंभीर विषय को सामने लाया । साथ ही किले का नाम ‘किला वंदनगड’ ही रहना चाहिए, इस मांग के साथ आंदोलन की चेतावनी दी थी । तदानुसार वाई (जिला सातारा) वनपरिक्षेत्र अधिकारी एस्.एस्. मगर ने ‘वनविभाग द्वारा कभी भी ‘किला वंदनगड’ का नाम परिवर्तित नहीं किया गया और आगे भी परिवर्तित नहीं किया जाएगा’, ऐसी लिखित स्वीकृती पत्र द्वारा हिन्दू जनजागृती समिति को दी । इस संदर्भ में ‘धर्मांधों द्वारा ‘पीर किला वंदनगड नाम परिवर्तित करने का षड्यंत्र विफल हुआ है । छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा बनाए गए गडकोट (दुर्ग) हमारे स्वाभिमान, पराक्रम, शौर्य का प्रतीक है । छत्रपति शिवाजी महाराज का इतिहास मिटानेवालों से सतर्क रहकर धर्मांधों का षड्यंत्र रोकना चाहिए’, ऐसा आवाहन हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र और छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने किया ।
‘किल्ले वंदनगड’चे ‘पीर किल्ले वंदनगड’ करण्याचा धर्मांधांचा डाव फसला; वन विभागाकडून खुलासा
छत्रपती शिवरायांचा इतिहास पुसणार्यांपासून सावध राहून धर्मांधांचे षड्यंत्र रोखा – हिंदु जनजागृती समितीचे @SG_HJS यांचे आवाहन@TV9Marathi @abpmajhatv @mataonline @SaamanaOnline @saamTVnews pic.twitter.com/VfvNRQYgqz
— HinduJagrutiOrg (@HinduJagrutiOrg) December 7, 2021
वाई तहसील के ‘किला वंदनगड’ में हिन्दुओं का पुरातन शिवमंदिर है । गड के तल हिस्से में कुछ शिवप्रेमियों ने इस स्थान पर श्रद्धालुआें के लिए पत्रों के शेड बनाएं गए है । इस विषय में कुछ धर्मांधों ने वनविभाग की भूमि पर अतिक्रमण होने की शिकायत वाई वनपरिक्षेत्र अधिकारी से की थी । इस प्रकरण में वनविभाग से किए गए पत्रव्यवहार में धर्मांधों ने ‘किला वंदनगड’ का उल्लेख जानबूझकर ‘पीर किला वंदनगड’ किया । यह बात हिन्दू जनजागृति समिति को ज्ञात होने पर इस ओर ध्यान देकर समिति ने इस विषय में निवेदन दिया । इस निवेदन में कहा गया कि महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिंदवी स्वराज्य स्थापन किया, अनेक गडकोट (दुर्ग) बनाएं । हिंदवी स्वराज्य की स्थापना में इन गडकोटों (दुर्गों) का अमूल्य सहभाग है । यह गडकोट (दुर्ग) महाराष्ट्र की अनमोल और ऐतिहासिक धरोहर है । ऐसा होते हुए भी गडकोट का नाम जानबूझकर परिवर्तित कर समाज में तनाव निर्माण करने का काम कुछ धर्मांध और उनके षड्यंत्र में फंस कर कुछ शासकीय विभागों द्वारा किया जा रहा है । वन विभाग ने ‘किला वंदनगड’ का उल्लेख ‘पीर किला वंदनगड’ करना, यह छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान है । ‘पीर किला वंदनगड’ ऐसा उल्लेख पत्र में क्यों किया, इसका खुलासा वन विभाग करें अन्यथा इसके विरोध में आंदोलन करने की चेतावनी समिति ने दी थी ।
इस बारे में वन विभाग द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया है कि शासकीय पत्रव्यवहार में कोई भी पत्र अथवा आवेदन प्राप्त होने पर आगामी कार्यवाही के लिए ‘जैस का वैसा’ उल्लेख किया जाता है । इसलिए शिकायत आवेदन पर कार्यवाही के लिए पत्रव्यवहार में ‘पीर किला वंदनगड’ ऐसा उल्लेख किया गया था तथा ‘आगे से ध्यान देंगे’, ऐसा अत्यधिक लापरवाही भरा उत्तर वन विभाग ने पत्र द्वारा बताया । यह अक्षम्य लापरवाही है तथा संबंधित अधिकारियों पर कार्यवाही होनी चाहिए, ऐसी मांग भी श्री. घनवट ने की ।