वर्ष 1659, मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी को हिन्दवी स्वराज्य पर आक्रमण करने आए राक्षसी वृत्ति के अफजलखान का छत्रपति शिवाजी महाराज ने वध कर दिया । यह दिन ‘शिवप्रतापदिन’ के रूप में मनाया जाता है । संसार के सर्वाधिक महान 10 युद्धों की घटनाओं में से एक माने जानेवाली यह घटना विदेश की सेनाओं को सिखाई जाती है; परंतु दुर्भाग्यवश जहां यह महापराक्रम हुआ, वहां इस घटना से संबंधित साधारण जानकारी देनेवाला एक भी स्मारक नहीं है । इसलिए आज ‘शिवप्रतापदिन’ के निमित्त जिस स्थान पर छत्रपति शिवाजी महाराज ने अफजलखान का वध किया, उस स्थान पर भव्य ‘शिवप्रताप स्मारक’ का निर्माण करने की मांग हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र और छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने मा. मुख्यमंत्री से की है ।
प्रतापगडाच्या पायथ्याशी भव्य ‘शिवप्रताप स्मारक’ उभारा !
– ‘शिवप्रतापदिना’च्या निमित्ताने हिंदु जनजागृती समितीची
मा. @CMOMaharashtra यांच्याकडे मागणी@BJP4Maharashtra @ShivSena @mnsadhikrut pic.twitter.com/K7x2MSlHWQ— HinduJagrutiOrg (@HinduJagrutiOrg) December 10, 2021
हिन्दू जनजागृति समिति ने मा. मुख्यमंत्री को दिए हुए निवेदन में कहा है कि, छत्रपति शिवाजी महाराज संपूर्ण महाराष्ट्र के देवता हैं । पांच मुगल सम्राट हिन्दुस्थान पर राज्य कर रहे थे, तब राजमाता जीजा माता ने हिन्दवी स्वराज्य का स्वप्न देखा था । छत्रपति शिवाजी महाराज वह स्वप्न पूर्ण करनेवाले परमप्रतापी हिन्दू राजा थे । कवि भूषण ने उनके काव्य में छत्रपति शिवाजी महाराज के पुरुषार्थ का वर्णन करते हुए कहा है, ‘काशी की कला जाती, मथुरा मस्जिद होती, अगर शिवाजी ना होते, तो सुन्नत होती सबकी ।’ छत्रपति शिवाजी महाराज के पुरुषार्थ के कारण ही आज हिन्दू समाज टिका हुआ है । छत्रपति शिवाजी महाराज के पराक्रम की गाथा यदि प्रत्येक बालमन पर अंकित की जाए, तो इससे आगे भी हिन्दू समाज में शूरवीर पराक्रमी पीढी का निश्चित ही जन्म होगा । इसके लिए छत्रपति शिवाजी महाराज के ऐतिहासिक पराक्रम के स्थानों पर उनके स्मारक बनने चाहिए । प्रतापगढ की तलहटी ऐसे ही एक पराक्रम का स्थान है, जहां महाराज ने अफजलखान का वध किया था । इस स्थान पर भव्य ‘शिवप्रताप स्मारक’ का निर्माण कर उसमें अफजलखानवध की भव्य प्रतिकृति बनाई जाए । इस ऐतिहासिक घटना अर्थात युद्धनीति का उपलब्ध सचित्र, सप्रमाण विवरण संपूर्ण बारीकियों के साथ इस ‘शिवप्रताप स्मारक’ में दिया जाए तथा इस महापराक्रम की ध्वनिचित्रफीति बनाकर उसे दिखाने की व्यवस्था की जाए, ऐसी मांगें समिति द्वारा की गई हैं । हिन्दूहृदयसम्राट मा. बाळासाहेब ठाकरेजी की विरासत चलानेवाले मा. उद्धवजी ठाकरे निश्चित ही इस स्मारक का निर्माण करेंगे, ऐसी आशा श्री. घनवट ने इस समय व्यक्त की ।