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‘यहां यदि औरंगजेब आता है, तो छत्रपति शिवाजी महाराज उठ खडे होते हैं’ – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि, विश्वनाथ धाम का ये पूरा नया परिसर केवल एक भव्य भवन नहीं है, ये प्रतीक है, हमारे भारत की सनातन संस्कृति का। ये प्रतीक है, हमारी आध्यात्मिक आत्मा का। ये प्रतीक है, भारत की प्राचीनता का, परम्पराओं का । भारत की ऊर्जा का, गतिशीलता का ।

प्रधानमंत्री ने कहा कि, मुघलों ने इस नगरी पर आक्रमण किए, इसे ध्वस्त करने के प्रयास किए। औरंगजेब के अत्याचार, उसके आतंक का इतिहास साक्षी है। जिसने सभ्यता को तलवार के बल पर बदलने की कोशिश की, जिसने संस्कृति को कट्टरता से कुचलने की कोशिश की। लेकिन इस देश की मिट्टी बाकी दुनिया से कुछ अलग है। उन्होंने कहा कि, यहां यदि औरंगजेब आता है तो छत्रपति शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं। यदि कोई सालार मसूद इधर बढ़ता है तो राजा सुहेलदेव जैसे वीर योद्धा उसे हमारी एकता की ताकत का अहसास करा देते हैं। और अंग्रेजों के दौर में भी, हेस्टिंग का क्या हश्र काशी के लोगों ने किया था, ये तो काशी के लोग जानते ही हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, आप यहां जब आएंगे तो केवल आस्था के दर्शन नहीं करेंगे। आपको यहां अपने प्राचीन गौरव का अहसास भी होगा। कैसे प्राचीनता और नवीनता एक साथ सजीव हो रही हैं, कैसे पुरातन की प्रेरणाएं भविष्य को दिशा दे रही हैं, इसके साक्षात दर्शन विश्वनाथ धाम परिसर में हम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले यहां जो मंदिर क्षेत्र केवल तीन हजार वर्ग फीट में था, वो अब करीब 5 लाख वर्ग फीट का हो गया है। अब मंदिर और मंदिर परिसर में 50 से 75 हजार श्रद्धालु आ सकते हैं। यानि पहले मां गंगा का दर्शन-स्नान, और वहां से सीधे विश्वनाथ धाम।

उन्होंने आगे कहा, काशी तो काशी है, काशी तो अविनाशी है। काशी में एक ही सरकार है, जिनके हाथों में डमरू है, उनकी सरकार है। जहां गंगा अपनी धारा बदलकर बहती हों, उस काशी को भला कौन रोक सकता है? उन्होंने कहा कि हमारे पुराणों में कहा गया है कि, जैसे ही कोई काशी में प्रवेश करता है, सारे बंधनों से मुक्त हो जाता है। भगवान विश्वेश्वर का आशीर्वाद, एक अलौकिक ऊर्जा यहां आते ही हमारी अंतर-आत्मा को जागृत कर देती है।

स्त्रोत : एबीपी

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