प्रयागराज : प्रयागराज में संगम के नीचे वैज्ञानिकों ने 45 किलोमीटर लंबी प्राचीन नदी खोज निकाली है। ये नदी सदियों से संगम के नीचे बह रही है। यह गंगा और यमुना के साथ जमीन के अंदर बह रही है। इस खोज के बाद उन पौराणिक मान्यताओं को बल मिल गया है, जिनमें कहा जाता है कि प्रयाग में गंगा, यमुना के साथ सरस्वती नदी का संगम होता था। जो बाद में विलुप्त हो गई। CSIR-NGRI ने हेलिकॉप्टर के जरिए इलेक्ट्रॉमैग्नेटिक सर्वे की मदद से इसकी खोज की है।
#Triveni and Saraswati Sindhu Civilization – A #CSIR NGRI study can lead us to a pathbreaking revelation
The peer-reviewed research by #NGRI has validated the presence of an ancient river within the same region of the lost #SaraswatiRiver https://t.co/OVJQoLSz4h
— tfipost.com (@tfipost) December 13, 2021
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च-नेशनल जियोग्राफिक रिसर्च इंस्टीट्यूट (CSIR-NGRI) ने ये सर्वे किया। दरअसल, इंस्टीट्यूट ने गंगा, यमुना और अन्य नदियों के भूमिगत जलस्तर में कमी क्यों आ रही है, इसका कारण पता लगाने के लिए शोध किया।
जब नदियों का हेलिकॉप्टर के जरिए इलेक्ट्रॉमैग्नटिक सर्वे किया गया, तो पता चला कि संगम के आसपास जमीन के अंदर एक नदी बह रही है। इसकी लंबाई करीब 45 किलोमीटर है। यह 4 किलोमीटर चौड़ी और 15 मीटर गहरी है। ये नदी जमीन के अंदर मंझनपुर और करारी होते हुए संगम वाले इलाके तक पहुंचती है।
दरअसल ये नदी गंगा और यमुना नदी को भूमिगत जल का प्रमुख स्रोत है। जब इस नदी में पानी भरपूर होता है, तब गंगा और यमुना का जलस्तर भी बढा हुआ रहता है। यानी कि गंगा-यमुना में पानी सिर्फ बारिश या हिमालय से नहीं आता बल्कि जमीन के अंदर भी इसका प्रमुख स्रोत है।
CSIR-NGRI scientists discovered ancient river under ganga yamuna sangam it may be saraswati – प्रयागराज संगम के नीचे मिली 45 किलोमीटर लंबी प्राचीन नदी, सरस्वती होने के संकेत. https://t.co/TCaerzm6gh
— राष्ट्रीय हिन्दू (@National_Hindu) December 13, 2021
क्या कहती हैं पौराणिक मान्यताएं ?
ऋग्वेद में सरस्वती नदी का उल्लेख किया गया है। इसमें सरस्वती को यमुना के पश्चिम और सतलज के पूर्व में बहते हुए बताया गया है। इसके अलावा यजुर्वेद, रामायण, महाभारत और श्रीमद्भगवद्गीता में भी सरस्वती नदी का उल्लेख है। कुछ मान्यताओं के अनुसार सरस्वती नदी हिमालय से निकलकर आज के पंजाब और हरियाणा में बहती थी। वहीं कुछ पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक प्रयाग के निकट सरस्वती नदी गंगा और यमुना में मिलकर त्रिवेणी संगम बनाती थी।
स्त्रोत : लाइव हिन्दुस्थान