उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात की तर्ज पर अब कर्नाटक सरकार भी धर्मांतरण विरोधी कानून लाने की तैयारी कर रही है। इस कानून के लागू होते ही धर्मांतरण करने वाले पिछडे समुदाय और अनुसूचित जाति के लोगों को सरकार की सभी कल्याणकारी योजनाओं, शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकेगा।
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने रविवार (12 दिसंबर 2021) को संकेत दिया कि जल्द ही धर्मांतरण रोधी विधेयक के मसौदे को राज्य मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दी जाएगी और इसे बेलगावी में विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा,”धर्म परिवर्तन समाज के लिए अच्छा नहीं है, दलितों को इसके आगे नहीं झुकना चाहिए। कर्नाटक सरकार धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए एक कानून लाने की कोशिश कर रही है।” इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि सभी धार्मिक समुदायों के लोगों को धर्मांतरण विरोधी कानून से घबराने की जरूरत नहीं है।
बोम्मई ने आगे यह भी कहा कि हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्म संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त धर्म हैं। लोगों को प्रार्थना करने या अपने धर्म का पालन करने में कोई समस्या नहीं है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसी भी धर्म के लोगों की धार्मिक प्रथाओं में कोई बाधा नहीं आएगी।
उन्होंने कहा कि देश की आजादी के बाद से ही धर्म परिवर्तन हमेशा बहस का विषय रहा है और कई राज्यों ने धर्मांतरण विरोधी कानून बनाए हैं। वहीं, बेंगलुरु के ‘महाधर्मप्रांत’ सहित कई ईसाई संगठनों ने प्रस्तावित धर्मांतरण विरोधी विधेयक का विरोध किया है।
ईसाई धर्म अपनाने से पहले मिलता था आरक्षण
संविधान के अनुच्छेद तीन (अनुसूचित जाति) में इसका उल्लेख किया गया है कि कोई भी व्यक्ति जो हिन्दू, सिख या बौद्ध धर्म के अलावा किसी अन्य धर्म यानी ईसाई और मुस्लिम धर्म को अपनाता है, तो उसे अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं माना जाएगा। ईसाई और मुस्लिम धर्म अपनाने के बाद अनुसूचित जाति और पिछड़े समुदाय को आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकता है। कर्नाटक में ईसाई धर्म में धर्मांतरित होने से पहले इन लोगों को आरक्षण सहित सभी लाभ मिलते थे।
इस साल फरवरी में पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी राज्य सभा में आरक्षण को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि ईसाई और मुस्लिम धर्म अपनाने वाले आरक्षण का लाभ नहीं ले पाएँगे। पूर्व कानून मंत्री ने कहा था कि अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले जो लोग हिन्दू, सिख या बौद्ध धर्म अपनाते हैं उन्हें आरक्षण का लाभ मिलता रहेगा, लेकिन ईसाई और मुस्लिम धर्म अपनाने वाले इससे वंचित रहेंगे। इसके साथ ही ऐसे लोग लोकसभा और विधानसभा सभा चुनाव में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर लड़ने का अधिकार भी खो देंगे।
स्त्रोत : Opindia