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कर्नाटक विधान सभा द्वारा पारित किया गया यह विधेयक सराहनीय है। अब कानून को राष्ट्रीय स्तर पर पारित करने के साथ ही उसे लागू करने की दिशा में भी प्रयास होने चाहिए ! – सम्पादक, हिन्दुजागृति
जबरन धर्मांतरण को अपराध घोषित करने वाला ‘कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण विधेयक, 2021’ गुरुवार को कर्नाटक विधानसभा में ध्वनिमत से पारित हो गया। कांग्रेस, जेडीएस ने इस बिल का विरोध किया।
इस विधेयक में धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा और बलपूर्वक, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी भी कपटपूर्ण तरीके से एक धर्म से दूसरे धर्म में गैरकानूनी अंतरण पर रोक लगाने का प्रावधान है।
विधेयक में 25,000 रुपये के जुर्माने के साथ तीन से पांच साल तक की कैद का प्रावधान किया गया है जबकि नाबालिगों, महिलाओं, अनुसूचित जाति / जनजाति के संदर्भ में प्रावधानों के उल्लंघन पर अपराधियों को तीन से दस साल की कैद और कम से कम 50,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।
स्रोत : अमर उजाला
19 दिसंबर 2021
धर्मांतरण के खिलाफ सरकार लाएगी कानून, 10 साल कैद और 5 लाख जुर्माने का है प्रावधान
कर्नाटक सरकार जल्द ही धर्मांतरण के खिलाफ कानून लाने वाली है। राज्य सरकार ने इस बात के संकेत दिए है कि धर्मांतरण विरोधी कानून को और सख्त बनाया जाएगा। कर्नाटक से पहले कई बीजेपी शासितराज्यों में धर्मांतरण के खिलाफ कानून पेश किया जा चुका है।
कर्नाटक सरकार के प्रस्तावित कानून के नए मसौदे में सजा की अवधि तीन साल से बढ़ाकर 10 साल और जुर्माने की रकम 50 हजार से बढ़ाकर एक लाख और 5 लाख तक की जाएगी। सरकार इस सप्ताह ही विधानसभा के पटल पर कर्नाटक धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार संरक्षण विधेयक 2021 बिल पेश कर सकती है।
Karnataka's anti-conversion bill will throw the culprits behind bars for up to 10 years
Karnataka’s anti-conversion law has some of the strictest provisions against conversion mafias#AntiConversionLaw #Karnatakahttps://t.co/vSzJWsQ3xa
— tfipost.com (@tfipost) December 19, 2021
मसौदे में कहा गया है कि धर्म परिवर्तन करने वाले को इसके लिए जिला मजिस्ट्रेट या अन्य किसी अधिकारी, जो अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट से नीचे की रैंक का अधिकारी न हो, को एक महीने पहले नोटिस देना होगा। इसके अलावा गैर-कानूनी धर्मांतरण के उद्देश्य से विवाह या विवाह के लिए गैर-कानूनी धर्मांतरण अमान्य होगा।
इसके अलावा, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और नाबालिगों के धर्मांतरण की स्थिति में परिणाम कठोर होंगे। नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति का गैर-कानूनी धर्मांतरण कराने वाले को तीन से दस साल के कारावास की सजा हो सकती है।
साथ ही कम से कम 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अलावा, सामूहिक धर्मांतरण में शामिल व्यक्ति को तीन से 10 साल तक की कैद की सजा सुनाई जा सकती है और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। बुधवार रात को विधायक दल की हुई बैठक में बीजेपी ने यह निर्णय लिया कि मौजूदा सत्र के दौरान सदन में प्रस्तावित विधेयक पेश किया जाएगा।
स्त्रोत : पंजाब केसरी