आरोपों को निराधार बताते हुए बाद में अधिकारियों रद्द किया आदेश
आज अनेक कान्वेंट विद्यालयों में इस तरह की घटनाएं होती सुनी है, इसलिए इन आरोपों की पुन: एक बार जांच कर संबंधित विद्यालय अधिकारियों पर कडी कार्यवाही कर विद्यालय की मान्यता रद्द करनी चाहिए ! – सम्पादक, हिन्दुजागृति
बागलकोट जिले के हुंगुंड में होनेवाले सेंट पॉल हायर प्राइमरी विद्यालय को शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने ‘छात्रों और उनके माता-पिता के धर्मांतरण के प्रयास’ के आरोप में के बंद कर दिया।
कुछ हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों की शिकायत और एक अधिकारी द्वारा निरीक्षण के बाद हुंगुंड के खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) ने 26 दिसंबर को एक आदेश जारी किया।
#Karnataka: School closed for serving meat on Christmas, right-wing group alleged conversion#School #Christmas #conversion #rightwing #Bagalkothttps://t.co/eRkwsAQTqD
— Free Press Journal (@fpjindia) December 31, 2021
लेकिन, कर्नाटक सरकार ने अभी तक जबरन या धोखाधडी से धर्मांतरण के खिलाफ कानून नहीं बनाया है। कर्नाटक धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण विधेयक, 2021, विधानसभा द्वारा बेलगावी में शीतकालीन सत्र के दौरान पारित किया गया था, लेकिन सरकार ने विधेयक को विधान परिषद में प्रस्तुत नहीं किया है ।
बागलकोट जिले में, 31 दिसंबर को विद्यालय बंद होने के समाचार मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक होने के बाद अधिकारियों ने आदेश वापस ले लिया। विद्यालय प्रभावी रूप से चार दिनों के लिए बंद रहा, क्योंकि 26 दिसंबर को आदेश जारी किया गया था, जिस दिन विद्यालय की छुट्टी थी।
बीईओ (खण्ड शिक्षा अधिकारी) ने अपने आदेश में कहा था कि, ‘नियमों का उल्लंघन कर क्रिसमस मनाने’ के लिए विद्यालय को अनिश्चितकाल के लिए बंद किया जा रहा है। हालांकि, उन्होंने आदेश में नियमों का हवाला नहीं दिया। इस आदेश में उन्होंने कहा था “आपने 25 दिसंबर को क्रिसमस समारोह के दौरान कक्षाओं में मांस परोसा है। इससे जनता और विभाग को शर्मिंदगी उठानी पडी है। आपको अगले आदेश तक विद्यालय बंद रखना होगा। बिना अनुमति के विद्यालय फिर से खोलने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
इससे पहले, ‘हिंदू समर्थक संगठनों’ के संयोजक प्रदीप अमरन्नावर ने तहसीलदार के रत्ना को शिकायत दी थी कि, स्कूल छात्रों और अभिभावकों को धर्मांतरित करने की कोशिश कर रहा है। स्कूल प्रबंधन ने क्रिसमस के दिन छात्रों और अभिभावकों को स्कूल में आमंत्रित किया, और उन्हें मांस, शराब और बाइबिल के कन्नड अनुवाद ‘सत्य वेद’ के साथ दोपहर के भोजन की पेशकश की। यह और कुछ नहीं बल्कि प्रलोभन और जबरन हिंदुओं को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने का प्रयास है।
शिकायत में प्रिंसिपल सिल्विया डी मार्क और स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्य जैक्सन डी मार्क और उमेश नायक हरपनहल्ली इन लोगों का नाम था। विद्यालय की स्थापना के बाद से यह लोग बंजारा, अंबिगर और अन्य समूहों जैसे गरीब और पिछडे समुदायों के सदस्यों को परिवर्तित कर रहे हैं। वे हिंदू देवताओं का अपमान कर रहे हैं और कमजोर समूहों का धर्मांतरण कर रहे हैं। एक बार जब वे परिवर्तित हो जाते हैं, तो वे धर्मांतरित व्यक्तियों को अपने घरों से हिंदू देवताओं की मूर्तियों और छवियों को बाहर निकालने के लिए मजबूर करते हैं। यह कानून के खिलाफ है। इतना ही नहीं, स्कूल के लाइसेंस का हर साल नवीनीकरण हो रहा है, क्योंकि स्कूल प्रबंधन शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों को रिश्वत देता है। शिकायत के अनुसार, अधिकारियों को स्कूल को बंद कर देना चाहिए और उसका लाइसेंस रद्द कर देना चाहिए।
शिकायत मिलने पर शिक्षा विभाग के प्रखंड संसाधन केंद्र समन्वयक आईएम अंगडी ने विद्यालय का निरीक्षण कर रिपोर्ट सौंपी। बीईओ ने रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए बंद करने का आदेश जारी किया।
स्रोत : द हिन्दू