Menu Close

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु हिन्दुओं में विद्यमान शौर्य और भक्ति का जागरण आवश्यक – हर्षद खानविलकर, हिन्दू जनजागृति समिति

महाराष्ट्र एवं गोवा में ‘शिवप्रताप दिवस’ के उपलक्ष्य में ऑनलाइन पद्धति से आयोजित शौर्यजागृति व्याख्यान का धर्मप्रेमियां और शिवप्रेमियों का उत्स्फूर्त प्रत्युत्तर !

स्वरक्षा प्रशिक्षण

पुणे : छत्रपति शिवाजी महाराज ने अफलजखानरूपी असुर का वध कर आतंकवाद कैसे मिटाया जाता है, यह हमें सिखाया; परंतु आज वही इतिहास हमसे छिपाया जाता हैं । ‘छत्रपति शिवाजी महाराज सेक्यूलर (निधर्मी) थे’, ऐसा वक्तव्य देकर आज हिन्दू समाज का शौर्य नष्ट करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है । लव जिहाद, महिलाओं के साथ हो रहे बलात्कार और हिन्दुओंपर हो रहे अत्याचारों की घटनाएं बढ रही हैं । इन सभी घटनाओं को रोकने हेतु हिन्दुओं को छत्रपति शिवाजी महाराज का आदर्श लेकर स्वयं में स्थित शौर्य जागृत करना चाहिए । उनका आदर्श केवल मन में ही नहीं, तो उसका प्रत्यक्ष क्रियान्वयन कर धर्म पर हो रहे आघातों को रोकने हेतु समय देना चाहिए । जिस प्रकार छत्रपति शिवाजी महाराज ने भवानीमाता का निरंतर स्मरण कर स्वराज्य की लडाई लडी, उसके अनुसार हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए हिन्दुओं में विद्यमान शौर्य और भक्ति का जागरण होना आवश्यक है । तेजस्वी और पराक्रमी पुत्र जन्म लेने हेतु प्रत्येक घर में एक जिजामाता तैयार होनी चाहिए । हिन्दू जनजागृति समिति के युवा संगठक श्री. हर्षद खानविलकर ने ऐसा प्रतिपादन किया । ‘शिवप्रताप दिवस’ के उपलक्ष्य में ऑनलाइन पद्धति से आयोजित व्याख्यान में वे ऐसा बोल रहे थे ।

महाराष्ट्र के पुणे, पिंपरी-चिंचवड, जळगांव, नासिक, विदर्भ, सोलापुर, अमरावती, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, संभाजीनगर, मुंबई, सातारा जनपदों अैर गोवा राज्य के १ सहस्र से भी अधिक धर्मप्रेमियों और शिवभक्तों ने इस भक्ति और शक्ति के संगम से युक्त व्याख्यान का लाभ उठाया । इस कार्यक्रम में वीडियो के माध्यम से अफजलखान वध का प्रसंग दिखाया गया ।

श्री. हर्षद खानविलकर

धर्मप्रेमियों के अभिप्राय

१. श्रीमती भाग्यश्री बाबर, पुणे : मार्गदर्शन सुनकर वर्तमान स्थिति में आध्यात्मिक बल और शारीरिक बल बढाना होगा, यह बात ध्यान में आई । इसके लिए मैं स्वयं प्रशिक्षण लेकर अन्यों को भी उसका महत्त्व बताकर उन्हें भी प्रशिक्षण सिखने के लिए भी प्रेरित करूंगी ।

२. कु. प्राजक्ता वाणी, जळगांव : महाविद्यालय से आने पर मैं थक गई थी और सिरदर्द भी था; परंतु व्याख्यान आरंभ होते ही मुझे एक अलग ही ऊर्जा मिली और उसके थकान दूर होकर उत्साह और सकारात्मकता बढी, साथ ही संगठित होने का महत्त्व ध्यान में आया ।

३. श्री. दीपक पाटिल, नासिक : व्याख्यान बहुत प्रेरणादायक था । ऐसे व्याख्यान सर्वत्र होने चाहिएं । इस विषय को सभीतक पहुंचाना होगा । आज ऐसे व्याख्यानों की आवश्यकता है । बहुत ही प्रभावी पद्धति से विषय बताए जाने से सच्चा इतिहास क्या है, यह समझ में आय । आज की युवा पीढी को ऐसे व्याख्यानों के माध्यम से तैयार करने की आवश्यकता है ।

४. श्री. गोकुळ सपकाळे, सरपंच, आवार ग्रामपंचायत, जळगांव : व्याख्यान बहुत ही अच्छा था । स्वरक्षा प्रशिक्षण लेना काल के अनुसार बहुत आवश्यक उपक्रम है । सभी युवकों को आरंभ होने जा रहे प्रशिक्षणवर्ग में उपस्थित रहना चाहिए । (सरपंच गोकुळ सपकाळे प्रशिक्षणवर्ग में स्वयं उपस्थित थे ।)

५. श्रीमती श्यामल गराडे, पुणे : जिज्ञासुओं को साधना और स्वरक्षा का महत्त्व बताकर प्रेरित करूंगी । हिन्दू राष्ट्र स्थापना के कार्य में प्रधानता लेकर राष्ट्र-धर्म के लिए १ घंटा समय दूंगी ।

६. महेश कांबळी, सिंधुदुर्ग : आज के व्याख्यान से छत्रपति शिवाजी महाराज का सच्चा इतिहास सिखने को मिला ।

७. सचिन चंदुरकर, रत्नागिरी : विशालगढ जाने पर वहां मस्जिद देखने पर बहुत दुख हुआ । छत्रपति शिवाजी महाराज के किले पर मस्जिदें थीं; परंतु हमें राममंदिर बनाने के लिए याचना करनी पड रही थी, यह दुर्भाग्यजनक है । हिन्दुओं को धर्मशिक्षा न होने से यह सब हो रहा है । इससे हिन्दुओं के लिए धर्मशिक्षा की कितनी आवश्यकता है, यह ध्यान में आया । साथ ही हिन्दुओं का संगठन कैसे करना चाहिए ?, यह भी इस व्याख्यान से समझ में आया ।

८. श्रीमती गीतांजली गुरव, मुंबई : बहुत अच्छा लगा । शौर्यजागृति हुई और हमें बच्चों को भी छत्रपति शिवाजी महाराज का शौर्य और पराक्रम बताना चाहिए, यह ध्यान में आय ।

९. कु. धनश्री दिवटे, मुंबई : व्याख्यान अच्छा था । व्याख्यान सुनने से सच्चा इतिहास समझ में आया और आत्मविश्वास बढ गया, साथ ही हमें भक्ति बढानी चाहिए, यह ध्यान में आया । व्याख्यान से प्रोत्साहन मिला । इस विषय में अन्यों को भी बताना चाहिए, यह मन में इच्छा हुई ।

१०. कु. दीप धामणेकर : व्याख्यान सुनते समय शरीर पर रोमांच आकर शौर्यजागृति हो रही थी । धर्मांधों के विषय में और राष्ट्र-धर्म पर हो रहे आघातों के विषय में मन में प्रचंड क्षोभ उत्पन्न हो रहा था । छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरणा लेकर युवकों का संगठन करना चाहिए और बाहर निकलकर समर्पित होकर धर्मकार्य करना चाहिए, यह तीव्र इच्छा उत्पन्न हुई ।

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *