सरकार द्वारा नियंत्रित मंदिरों की प्रबंधन समितियों में हो रहे भ्रष्टाचार के प्रकरण सामने आ रहे हैं । इसके द्वारा भक्तों द्वारा अर्पण किए पैसों की लूट हो रही है । क्या कांग्रेस नही चाहती कि यह सब रूके ? कांग्रेस को मंदिर सरकारीकरण से मिलनेवाला लाभ अब नही मिल पाएगा, क्या इसलिए वे इसका विरोध कर रही है ?, ऐसा प्रश्न हिन्दुओं के मन में आता है ! – सम्पादक, हिन्दुजागृति
बेंगलुरु – कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष डी. के. शिवकुमार ने हिंदू मंदिरों को राज्य के नियंत्रण से मुक्त करने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राज्य सरकार की योजना को ऐतिहासिक भूल बताया और कहा कि, उनकी पार्टी इसकी अनुमति नहीं देगी। उन्होंने कहा कि, वर्तमान में सरकार के स्वामित्व वाले मंदिर राज्य की संपत्ति और उसके खजाने हैं।
The Karnataka government wants to hand over all the cash-rich temples and properties to the Sangh Pariwar. They may try to bring a law for this but we will not allow it. They only talk about Hindutva. We are Hindu and we will not allow this: DK Shivkumar, State Congress President pic.twitter.com/0GLPfhKz5S
— ANI (@ANI) December 30, 2021
शिवकुमार ने कहा, ‘‘वे ऐतिहासिक भूल कर रहे हैं, मुजराई (विभाग) या सरकारी मंदिर प्रशासन के लिए स्थानीय लोगों को कैसे दिए जा सकते हैं ? यह सरकार की संपत्ति है, राजकोषीय संपत्ति है, इन मंदिरों द्वारा करोडों रुपये एकत्र किए जाते हैं। यह कैसा राजनीतिक रुख है ? क्या वे (भाजपा) कुछ अन्य राज्यों की देखा देखी ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं?’’
उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा कि, ‘‘चार जनवरी को हम सभी वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की बैठक कर रहे हैं, इस दौरान हम इस पर चर्चा करेंगे और अपना रुख सामने रखेंगे।’’
बता दें कि, कर्नाटक सरकार हिंदू मंदिरों को उन कानूनों और नियमों से मुक्त करने के उद्देश्य से एक कानून लाएगी जो वर्तमान में उन्हें नियंत्रित करते हैं। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बुधवार को हुबली में प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही थी।
राज्य में कुल 34,563 मंदिर मुजराई (हिंदू धार्मिक बंदोबस्ती) विभाग के अंतर्गत आते हैं, जिन्हें उनके राजस्व सृजन के आधार पर ग्रेड ए, बी और सी के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
25 लाख रुपये से अधिक वार्षिक राजस्व वाले कुल 207 मंदिर श्रेणी ए के अंतर्गत आते हैं, पांच लाख रुपये से 25 लाख रुपये के बीच के 139 मंदिर श्रेणी बी के अंतर्गत आते हैं, और 34,217 मंदिर श्रेणी सी के तहत 5 लाख रुपये से कम वार्षिक राजस्व के साथ आते हैं। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) सहित कई हिंदू संगठनों की लंबे समय से मांग रही है कि मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाए और उन्हें हिंदू समाज को सौंप दिया जाए।
स्रोत : नवभारत टाइम्स