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किले के प्रवेशद्वार के बाहर के विविध स्थानों पर हरे ध्वज !
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पुरातत्व विभाग की सामान्य की भांति अनदेखी !
गढ और किलों का इस्लामीकरण रोकिए ! गढ और किलों पर अवैध निर्माणकार्य करनेवालों को और उन्हें होने देनेवालों को सरकार को कारागार में बंद कर देना चाहिए, यही हिन्दुओं की भावना है !
मुंबई : अंग्रेजों के भारत आने से पूर्व से ही १५वीं शताब्दी में मुंबई के शिवडी किले के प्रवेशद्वार पर सैय्यद जलाल शाह दरगाह का अस्तित्व बढता ही जा रहा है । इस किले के प्रवेशद्वार पर लगभग १ एकर भूमि में दरगाह शरीफ हजरत सैय्यद जलाल शाह दरगाह और उससे संबंधित वास्तुओं का निर्माण किया गया है । पिछले कुछ वर्षों से यहां नया निर्माणकार्य किया गया है; परंतु पुरातत्व विभाग इसकी अनदेखी कर रहा है ।
शिवडी किला महाराष्ट्र सरकार के पुरातत्व विभाग के अधीन है । १५वीं शताब्दी में यह किला बहादूरशाह के नियंत्रण में है, इसका किले के इतिहास में उल्लेख मिलता है । इस कालखंड में बहादूरशाह ने इस किले के प्रवेशद्वार पर इस दरगाह का निर्माण किया, ऐसा बताय जाता है; परंतु यहां के जानकार और वृद्ध लोग इस दरगाह का स्थान नवनाथों में से एक नाथ का स्थान होने की बात बताते हैं, जिससे कुछ हिन्दू श्रद्धालु भी यहां आते हैं । पिछले कुछ वर्षों में अवैधरूप से इस दरगाह का महिमामंडन बढाया गया है । यहां दरगाह की बडी वास्तु का निर्माण किया गया है तथा उसके रखकखाव के लिए एक मुसलमान परिवार भी वहां बंसाया गया है । इस परिवार की जीविका के लिए बकरियां भी पाली गई हैं ।
किले के स्थान पर दरगाह का महिमामंडन !
इस किले के बाहर ‘यह किला राज्य पुरातत्व विभाग के नियंत्रण में है’, इसकी जानकारी देनेवाला १ फीट लंबाई और चौडाईवाला फलक लगाया गया है । किले के प्रवेशद्वार के बाहर ही कई हरे ध्वज लगाए गए हैं । उसके कारण यहां किले के स्थान पर इस्लाम के धार्मिक केंद्र के रूप में इस दरगाह का महिमामंडन किया जा रहा है, यह वास्तविकता है ।
हिन्दुओं की उपेक्षा के कारण यहां दरगाह के नाम की बडी कमान; परंतु किले के नाम का सामान्य फलक भी नहीं !
पुरातत्व विभाग की ओर से यहां शिवडी किला होने के संबंध में कोई भी फलक लगाया नहीं गया है; परंतु इसके विपरीत किले पर जाने के लिए स्थिथ मार्ग पर कुछ दूरी पर दरगाह की ओर जाने के लिए स्वतंत्रतरूप से पक्की सडक बनाई गई है । कुल मिलाकर शिवडी किले के प्रवेशद्वार पर किले को समानांतर पद्धति से अवैधरूप से किले की भूमि पर ही दरगाह का निर्माणकार्य हो रहा है; परंतु पुरातत्व विभाग इसकी अनदेखी कर रहा है ।