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ऐतिहासिक वास्तुओं का हराकरण करने देनेवाला पुरातत्व विभाग विसर्जित करना अब बन गया है अनिवार्य !
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पुरातत्त्व विभाग ने अवैध निर्माणकार्य के लिए किले के द्वार खोल दिए !
पुरातत्त्व विभाग गढों-किलों के संवर्धन के लिए है अथवा उन पर किए जा रहे अतिक्रमणों को संरक्षण देने के लिए है ? सरकार को इसके लिए उत्तरदायी अधिकारियों के आजीवन कारागार में बंद कर देना चाहिए ! – संपादक दैनिक सनातन प्रभात
‘छत्रपति शिवाजी महाराज के गढों-किलों पर अतिक्रमण होने देनेवाला पुरातत्त्व विभाग और पुलिस हिन्दवी स्वराज्य के शत्रुओं के ही वंशज हैं, ऐसा किसी को लगा, तो उसमें अनुचित क्या है ? – संपादक दैनिक सनातन प्रभात
छत्रपति शिवाजी महाराज के गढों-किलों का एक के उपरांत एक इस्लामीकरण होते हुए भी उसे रोकने के लिए सरकारी तंत्र ठोस कदम नहीं उठाते, इसे ध्यान में लीजिए ! – संपादक दैनिक सनातन प्रभात
पुणे : यातायात बंदी के अंतर्गत राज्य के किलों पर प्रवेशबंदी का सरकार का आदेश होते हुए भी उसका उल्लंघन कर लोहगढ पर दरगाह का अवैधरूप से निर्माणकार्य किया गया । इसमें विशेष बात यह कि प्रवेशबंदी का आदेश होते हुए भी पुरातत्त्व विभाग ने इस अवैध निर्माणकार्य के लिए किले के द्वार खोल दिए । इससे पुरातत्व विभाग गढों-किलों के संवर्धन के लिए है अथवा उन पर हो रहे अवैध निर्माणकार्याें को संरक्षण देने के लिए है ?, यह प्रश्न उठ रहा है । कोरोना काल में लोहगढ पर स्थित अवैध कबर के इर्द-गिर्द ५-६ फीट की पक्की दीवारें बनाई गई हैं । अब दीवारों का काम पूर्ण हो गया है, अब उस पर छत लगाने का काम शेष है । विशेष बात यह कि इन दीवारों के निर्माण के लिए इस किले पर स्थित पत्थरों का ही उपयोग किया गया है, ऐसी चर्चा है । पुरातत्त्व विभाग के पुणे के उपमंडल कार्यालय के अधिकारियों और लोणावळा ग्रामीण पुलिस थाने के अधिकारियों के आंखों के सामने ही इस किले पर यह अवैध निर्माणकार्य चल रहा है । कुछ दिन पूर्व पुलिस और पुरातत्त्व विभाग के अधिकारियों ने इस किले का अवलोकन किया; परंतु अभीतक इस अवैध निर्माणकार्य पर किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई है । इससे यह आरोप लगाया जा रहा है कि यह अवैध कार्य पुलिस और पुरातत्त्व विभाग की मूकअनुमति से ही किया जा रहा है ।
पुरातत्त्व विभाग और पुलिस की अक्षम्य उपेक्षा के कारण अवैध कबर का दरगाह में रूपांतरण और वहां उर्स का आयोजन !
लगभग वर्ष २०० में हुसैन बाबा शेख ने लोहगढ पर अवैध कबर बनाई । उसके उपरांत वहां प्रतिवर्ष उर्स का आयोजन करना आरंभ किया । अब उस स्थान पर विशाल दरगाह बनाई गई है । इस वर्ष १७ और १९ जनवरी की अवधि में इस दरगाह में उर्स के कार्यक्रम का निमंत्रण भी दिया गया है ।
किले के सुरक्षाकर्मी से किले पर उर्स मनानेवालों के विरुद्ध कार्यवाही करने की मांग; परंतु पुलिस की ओर से सामान्य की भांति उपेक्षा !
किले पर धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करने पर प्रतिबंध होते हुए भी हुसैन बाबा शेख ने किले पर धार्मिक कार्यक्रम किए । इसके लिए कानूनी कार्यवाही की जाए, इइके लिए लोहगढ के स्मारक परिचर (पुरातत्त्व विभाग के कर्मचारी का एक पद) किशोर जाधव ने लोणावळा ग्रामीण पुलिस अधीक्षक को १ फरवरी २०१० को पत्र भेजा था; परंतु पुलिस ने अपनी वृत्ति के अनुसार इसकी अनदेखी खी, साथ ही उन्होंने किले पर अवैध निर्माणकार्य होते समय भी कोई कार्यवाही नहीं की । अब पुरातत्त्व विभाग ने पुलिस अधीक्षक को पत्र भेजनेवाले किशोर जाधव के स्थान पर निकांत कुमार नाम के कर्मचारी की नियुक्ति की है; परंतु इन सभी के आंखों के सामने ही यहां अवैध निर्माणकार्य चल रहा है । (तो क्या इससे इस प्रकरण में पुरातत्त्व विभाग और स्थानीय पुलिस की सांठगांठ है, ऐसा समझ लिया जाए – संपादक दैनिक सनातन प्रभात)
अवैध निर्माणकार्य पर कोई कार्यवाही नहीं; परंतु इसके विपरीत अवैध निर्माणकार्य करनेवाले शिवप्रेमियों पर ही पुलिस की दादागिरी !
इन सभी अवैध निर्माणकार्य के विरुद्ध स्थानीय शिवप्रेमियों ने समय-समप पर पुलिस प्रशासन और पुरातत्त्व विभाक से शिकायतें की हैं; परंतु उनकी ओर ध्यान नहीं दिया गया । किले पर चल रहे अवैध निर्माणकार्याें पर कार्यवाही करने का साहस न होनेवाला पुलिस प्रशासन शिकायतें करनेवाले स्थानीय शिवप्रेमियों पर ही दादागिरी कर रहा है । (सरकार को ऐसे पुलिसकर्मियों को आजीवन कारागार में डाल देने चाहिए, यही जनता की भावना है ! -संपादक दैनिक सनातन प्रभात) पुलिस प्रशासन उर्स की अवधि में शिवप्रेमियों को किले के आसपास भी आने के लिए विरोध कर रहे हैं । सांप्रदायिक विद्वेष भडकने का कारण देकर अवैध कृत्यों की अनदेखी करने का कार्य चल रहा है ।
शिवसैनिक के रूप में अपनी पहचान बनाकर हुसैन बाबा शेख ने किले पर किया अवैध निर्माणकार्य !
कुछ दिन पूर्व हुसैन बाबा शेख की मृत्यु हुई । कुछ वर्ष पूर्व उन्होंने शिवसैनिक के रूप में अपनी पहचान बनाकर इस किले पर छोटे-बडे उपक्रम चलाकर किले की एक बाजू में कब्र का निर्माण किया और उस कब्र के पास उन्होंने कुछ वृद्ध फकिरों को लाकर रखा । तत्कालीन स्मारक परिचर जाधव ने उन फकिरों को वहां से भगा दिया था; परंतु जाधव का स्थानांतरण होने पर ये फकीर पुनः उस कब्र के पास रहने लगे । कुछ वर्ष पूर्व उन फकिरों की मृत्यु होने पर बाबा हुसैन ने उनके नाम से ही किले पर कब्र बनाईं । (धर्मांधों की धूर्तता को पहचानिए ! – संपादक दैनिक सनातन प्रभात)