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कर्नाटक में बनाए जा रहे संस्कृत विश्वविद्यालय को कांग्रेस और जिहादी आतंकी संगठन पीएफआई का विरोध !

  • कर्नाटक कांग्रेस के प्रवक्ता ने संस्कृत विश्वविद्यालय को ‘बेकार’ कहा !

  • पी.एफ्.आई. के सदस्य की ओर से संस्कृत का ‘विदेशी भाषा’ बोलकर उल्लेख ! 

संस्कृत विश्वविद्यालय को बेकार बोलनेवाले कांग्रेसवालों ने कर्नाटक में उर्दू विश्वविद्यालय बनाने की योजना बनाई थी, इसे ध्यान में लीजिए ! हिन्दुओं को मतदान के द्वारा समृद्ध संस्कृत भाषा का विरोध करनेवाली और उर्दू का गुणगान करनेवाली कांग्रेस को इतिहास में ढकेल देना आवश्यक !

जिहादी आतंकी संगठन ‘पी.एफ्.आई.’ भारत की सबसे प्राचीन भाषा का विरोध करने का साहस दिखाता है, यह क्षोभजनक है ! यदि ‘संस्कृत’ विदेशी भाषा है, तो भारत में अरबी और उर्दू भाषा का महिमामंडन क्यों किया जाता है ?, इसका धर्मांधों को उत्तर देना चाहिए ! – संपादक, हिन्दूजागृति

बेंगलुरू – हाल ही में कर्नाटक की भाजपा सरकार ने कर्नाटक में संस्कृत विश्वविद्यालय बनाने के लिए १०० एकर भूमि देना पारित किया । उसके उपरांत कांग्रेस, जिहादी आतंकी संगठन पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया और कर्नाटक के आधुनिकतावादियों ने राज्य सरकार के इस निर्णय का विरोध करना आरंभ किया है । रामनगर जनपद के मामगडी तहसील में यह संस्कृत विश्वविद्यालय बनाया जानेवाला है । मामगडी शहर का ऐतिहासिक महत्त्व है । बेंगलुरू शहर की स्थापना करनेवाले राजा केंपेगौडा का यह जन्मस्थान है । केंपेगौडा ने मामगडी शहर में ऐतिहासिक कालभैरेश्वर मंदिर और रंगनाथस्वामी मंदिर का निर्माण किया था ।

‘संस्कृत की शिक्षा देकर कन्नड भाषी बच्चों को धर्मांध बनाने की योजना ! – ए.एन्. नटराजा गौडा, प्रवक्ता, कांग्रेस

कर्नाटक कांग्रेस के प्रवक्ता ए.एन्. नटराजा गौडा ने ‘कन्नड भाषी बच्चों को संस्कृत की शिक्षा देकर उन्हें धर्मांध बनाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है । (क्या नटराजा गौडा संस्कृत सीखकर कितने लोग धर्मांध बने, इसका आंकडा प्रस्तुत करेंगे ? संस्कृत का इतना द्वेष करनेवाले गौडा का जितना धिक्कार किया जाए, उतना अल्प ही है ! – संपादक) कर्नाटक सरकार रामनगर तहसील को पर्यटनस्थल के रूप में विकसित करने के स्थान पर वहां एक बेकार संस्कृत विश्वविद्यालय बनाने का प्रयास कर रही है’, ऐसा ट्वीट किया है ।

ट्वीटर पर संस्कृत के विरुद्ध दुष्प्रचार !

कांग्रेस के इस विरोध के कारण वहां पुनः हिन्दीविरोधी वातावरण गर्म हो रहा है । वहां के हिन्दीविरोधी लोगों का यह कहना है कि ‘इसके द्वारा यहां के कन्नड भाषी लोगों पर हिन्दी भाषा थोप देने का यह षड्यंत्र है । सामाजिक माध्यमों पर इस संस्कृत महाविद्यालय का विरोध होने लगा । इसके लिए ट्वीटर पर ‘#SayNotoSanskrit’ हैशटैग ट्रेंड (ट्वीटर पर कराई जानेवाली चर्चा) किया गया, साथ ही ‘#StopHindiImposition’ हैशटैग भी ट्रेंड किया गया ।

‘कर्नाटक में विदेशी भाषाओं को स्थान नहीं दिया जाएगा ’ – पी.एफ्.आई.

पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पी.एफ्.आई.) के कर्नाटक प्रमुख यासीर हुसैन ने बसवण्णा की भूमि में विदेशी भाषाओं को स्थान नहीं दिया जाएगा । (यदि ऐसा है, तो हुसैन को यह भी बताना चाहिए कि उर्दू भाषा भी कर्नाटक के लिए ‘विदेशी’ भाषा ही है ! – संपादक) ‘कन्नड भाषियों को उन पर संस्कृत और हिन्दी भाषा थोपनेवाले इस निर्णय का विरोध करना चाहिए । हमारे पूर्वजों ने कन्नड भाषा के साथ यहां की परंपरा का भी जतन किया है । (कर्नाटक में जो परंपरा संजोई गई, वह वहां के अधिकांश हिन्दुओं के पूर्वजों ने हिन्दू धर्म के लिए जो त्याग कर जो बलिदान दिया, उसके कारण ! उसका श्रेय किसी आतंकी संगठना के सदस्य को नहीं लेना चाहिए ! – संपादक)

कर्नाटक में वर्ष २०१० से संस्कृत विश्वविद्यालय चल रहा है; परंतु धनराशि के अभाव में उसका स्वतंत्र अस्तित्व नहीं था । यह विश्वविद्यालय एक इमारत में आरंभ किया गया था । राज्य में भाजपा की सरकार सत्ता में आने के उपरांत इस विश्वविद्यालय के लिए मुगडी शहर में १०० एकर भूमि आवंटित की गई । इस विश्वविद्यालय के निर्माणकार्य के लिए ३२० करोड रूपए खर्च किए जाने हैं । ३ जनवरी २०२२ को इस विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी गई ।

स्रोत : Opindia

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