पादरियों की मानसिकता समझें !
पादरियों पर दशकों से बच्चों का यौन शोषण करने का आरोप लगाया गया है, पूर्व पोप ने माफी मांगी और संबंधितों को अरबों डॉलर की क्षतिपूर्ति भी की। किंतु फिर भी ऐसी घटनाए न रुकने के पीछे पादरियों के खिलाफ कोई कडी कार्रवाई न करना, यह मुख्य कारण है, यह स्पष्ट होता है !
जर्मनी की एक कानूनी एजेंसी ने पूर्व पोप बेनेडिक्ट पर यौन शोषण के चार मामलों में सही कार्रवाई न करने का आरोप लगया है। यह मामले 1970 से 1980 के बीच के दौरान हैं। उस वक्त पोप आर्कबिशप थे। फर्म की इस रिपोर्ट की लंबे समय से प्रतिक्षा थी। एजेंसी ने इस बारे में खुद पूर्व पोप का बयान भी दर्ज किया था। पोप ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि, उन्होंने किसी तरह की गलती नहीं की।
JUST IN: Retired Pope Benedict failed to act against abusive priests when he was archbishop in the 1970s and 1980s in Germany, report finds. https://t.co/tojJ1o15Mv
— NBC News (@NBCNews) January 20, 2022
1977 से 1982 तक म्यूनिच के आर्कबिशप के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, बेनेडिक्ट ने पीटर हॉलरमैन को एसेन से म्यूनिच स्थानांतरित किया था। एसेन में पादरी पर 11 साल के लडके के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया गया था। पीटर को कहीं और स्थानांतरित किया गया जबकि उस पर आरोप लगाया गया था।
पीटर को 1986 में बच्चों का यौन शोषण करने का दोषी ठहराया गया था और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। आरोप है कि उसके बाद भी कुछ वर्ष बेनेडिक्ट के संरक्षण में पादरी ने बच्चों के साथ काम किया ।
1946 से 2016 की अवधि के दौरान पादरियों द्वारा 3 हजार 677 बच्चों का यौन शोषण !
2018 में जर्मनी में बिशप्स सम्मेलन में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि, 1946 और 2014 के बीच जर्मनी में 1,670 पादरियों द्वारा 3,677 नाबालिगों का यौन शोषण किया गया। उन्होंने कहा, मरने वालों की संख्या बहुत अधिक हो सकती है।
म्यूनिच के वर्तमान के आर्कबिशप कार्डिनल रेनहार्ड मार्क्स ने पिछले साल पोप फ्रांसिस से यह कहते हुए इस्तीफा देने का आह्वान किया था कि, वह बाल यौन शोषण के मामलों पर कार्रवाई करने में विफल रहे हैं; लेकिन पोप ने इसे खारिज कर दिया।
स्रोत : भास्कर