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प्लास्टर औफ पेरिसके प्रदूषणके विषयमें अभ्यास करें ! – नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल

वैशाख शुक्ल ७, कलियुग वर्ष ५११५

गुजरात पर्यावरण मंत्रालयद्वारा प्लास्टर औफ पेरिसपर लगाई गई पाबंदी हटाई गई

पुणे, १५ मई – अधिवक्ता कुट्टी एवं पर्यावरण कार्यकर्ता श्री. अजय वैशंपायनद्वारा शहरमें आयोजित  पत्रकार परिषदमें यह सूचित किया गया कि जनवरी २०१२ में गुजरात राज्यके वन तथा पर्यावरण मंत्रालयद्वारा गणेशमूर्तिके विसर्जनके संदर्भमें कुछ निर्देश प्राप्त हुए थे । उस समय गुजरात राज्यमें प्लास्टर औफ पेरिसकी मूर्ति बनानेके लिए पाबंदी लगाई गई थी । यह पाबंदी अनुचित थी, यह बताकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनलकी ओरसे (एनजीटी) उसे हटाया गया । साथ ही प्लास्टर औफ पेरिसके कारण प्रदूषण होता है, इस बातका अभ्यास कर ब्यौरा प्रस्तुत करनेके आदेश दिए गए हैं ।

उस अवसरपर विवादित मूर्तिकार श्री. सुरेशभाई वाघवणकर, श्री. केतन पोटावाला एवं श्री. भिकूबाई प्रजापति उपस्थित थे ।.

१. गुजरातके मूर्तिकारोंद्वारा अलाहाबाद उच्च न्यायालयमें पाबंदीको आवाहन देकर अभियोग प्रविष्ट किया गया था । तत्पश्चात वह अभियोग एनजीटीको  सौंपा गया ।
२. इस अभियोगमें गुजरात शासन, पर्यावरण मंत्रालय, प्रदूषण नियंत्रण मंडल, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडलको प्रतिवादी घोषित किया गया है ।
३. संभाजीनगरके अधिवक्ता प्रसन्न कुट्टी विवादियोंके पक्षमें थे ।
४. एनजीटीद्वारा बताया गया कि प्लास्टर औफ पेरिसपर पाबंदी लगानेके लिए गुजरात पर्यावरण मंत्रालय सक्षम नहीं है । उनके निर्णय पाबंदीकी दृष्टीसे स्वीकार करने योग्य नहीं हैं । प्लास्टर औफ पेरिस जिप्समसे बनाया जाता है, अतः यह सकृतदर्शनी घातक नहीं है, अपितु इसके कारण प्रदूषण होता है कि नहीं, इस विषयमें सखोल, सुस्पष्ट, विचारपूर्वक तथा वैज्ञानिक दृष्टीसे ३ माहमें अभ्यास करें । तदुपरांत दो सप्ताहमें ब्यौरा प्रस्तुत करें । ( एनजीटीद्वारा अन्याय ! प्लास्टर औफ पेरिसके कारण प्रदूषण होता है कि नहीं, इस विषयमें स्वयंको निश्चित जानकारी न होते हुए भी उसपर होनेवाली पाबंदी क्यों हटाई गई ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
५. अधिवक्ता कुट्टीद्वारा यह वाद-विवाद किया गया कि इस प्रकारकी पाबंदी लगानेका अधिकार राज्यशासनको नहीं,  अपितु केंद्रशासनको है ।  इस पाबंदीद्वारा मूर्तिकारोंके मूर्ति बनानेका परंपरागत व्यवसाय  अस्वीकार नहीं कर सकते ।
६. पिछले वर्ष श्री. वैशंपायनद्वारा बताया गया कि  प्लास्टर औफ पेरिसकी गणेशमूर्तिके कारण जलप्रदूषण होता है, यह बताकर नागपुर महापालिकाद्वारा इस प्रकारकी गणेशमूर्तियोंपर पाबंदी लगाई गई थी । एनजीटीके निर्णयके अनुसार उसपर पाबंदी डालनेका अधिकार राज्यशासनको नहीं, तो महापालिकाको कैसे हो सकता है ?  नागपुर महापालिकाको यह निर्णय भेजनेपर आगेकी प्रक्रिया की जाएगी !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात 

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