- क्या तमिलनाडु सरकार जांच से डर गई है या वे उसे दबाने का प्रयास कर रही है ?
- जांच में असहयोग कर राज्य सरकार एक प्रकार से आरोपियों को बचाने ही प्रयास करी है, ऐसे लगता है !
- इस प्रकरण में केंद्र सरकार ने हस्तक्षेप कर सीबीआई जांच करनी चाहिए, ऐसे हिन्दुओं को लगता है ! – सम्पादक, हिन्दुजागृति
चेन्नई : राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने 12वीं कक्षा की छात्राा लावण्या के मामले को गंभीरता से लिया है, जिसने तमिलनाडु में जबरन धर्म परिवर्तन के प्रयासों से आहत होकर आत्महत्या कर ली थी। आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो 30 और 31 जनवरी को जिले के माइकलपट्टा के सेक्रेड हार्ट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में लावण्या की 17 वर्षीय आत्महत्या मामले की जांच के लिए तंजावुर जाएंगे। वहीं, भाजपा ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की है।
A team of NCPCR headed by CP Sh @KanoongoPriyank will visit Thanjavur tomorrow.
It is requested that those who wish to provide any Info. to the fact finding team in the inquiry of suicide of girl child can meet at Rlwy Officers Rest House, Thanjavur on 31st Jan b/w 10:30-11:30 AM pic.twitter.com/4uh1xyu2J3— NCPCR (@NCPCR_) January 29, 2022
Child commission chairman will himself visit and probe the suicide of #Lavanya allegedly due to pressure to convert. TN govt is NOT providing support to commission to conduct inquiry
Thank you @KanoongoPriyank for taking it up when certain forces are trying to bury the matter pic.twitter.com/WUalAEWwjv
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) January 28, 2022
आयोग ने अपने प्रेस नोट में कहा कि, एनसीपीसीआर को शिकायत मिली थी कि, नाबालिग छात्रा को जबरन ईसाई बनाया गया। जब वह तैयार नहीं हुई तो स्कूल प्रशासन ने उसे शारीरिक दंड दिया, घर जाने से रोका और शौचालय और बर्तन साफ किए। प्रताडना से तंग आकर छात्रा ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। आयोग ने यह भी कहा कि, इस मामले में, उसने तमिलनाडु सरकार से मामले की जांच के लिए एनसीपीसीआर टीम को आवश्यक सहयोग देने के लिए कहा था, लेकिन स्टालिन सरकार ने स्थानीय निकाय चुनावों के लिए लागू होने वाली आचार संहिता का हवाला देने में असमर्थता व्यक्त की। । इसके बाद भी आयोग की टीम जांच के लिए वहां जाएगी। साथ ही जिले के पुलिस अधीक्षक और जांच अधिकारी को वहां मौजूद रहने को कहा गया है।
इस दौरान एनसीपीसीआर की टीम मृतक छात्रा के माता-पिता और उसके सहपाठी से भी मुलाकात करेगी। इसके साथ ही वह पीड़िता का इलाज कर रहे डॉक्टर, पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर और स्कूल प्रशासन से भी मुलाकात करेंगे। अगर वहां का कोई स्थानीय व्यक्ति आयोग से मिलना चाहता है तो टीम उससे भी बात करेगी। लावण्या पिछले पांच साल से सेंट माइकल गर्ल्स हॉस्टल में रह रही थीं। सरकारी सहायता प्राप्त ईसाई मिशनरी स्कूल उन पर ईसाई धर्म अपनाने का दबाव बना रहा था। स्कूल प्रशासन के लगातार प्रताड़ना से तंग आकर उसने जहर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की। 9 जनवरी की रात को लावण्या को बेचैनी और उल्टी होने पर स्थानीय क्लिनिक ले जाया गया। उनके फेफडों के 85% हिस्से में जहर था और 19 जनवरी, 2022 को अस्पताल में उनकी मौत हो गई।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में लावण्या अचेत अवस्था में अपने साथ किए गए अत्याचारों के बारे में बात करती हैं। मूल रूप से, वीडियो तमिल में है, जिसका अनुवाद द कम्यून ने किया है। इसके अनुसार, वीडियो कहता है, “मेरा नाम लावण्या है। उन्होंने (स्कूल ने) मेरी उपस्थिति में मेरे माता-पिता से पूछा था कि क्या वे मुझे ईसाई धर्म में परिवर्तित कर सकते हैं और आगे की पढ़ाई में मेरी सहायता कर सकते हैं। मुझे नहीं लगता कि, उन्होंने मुझे डांटा था। लावण्या राहेल मैरी का नाम भी लिया, जिन्होंने इस दौरान उसे प्रताडित किया था।”
स्रोत : रोचक खबरे