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संयुक्त राष्ट्र में भारत ने उठाया हिंदूफोबिया का मुद्दा, कहा – हिन्दू, सिख और बौद्धों के खिलाफ हिंसा चिंता का विषय

संयुक्त राष्ट्र भारत ने विश्व भाईचारा दिवस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हिंदूफोबिया का मुद्दा उठाया। भारत ने अंतरराष्ट्रीय भाईचारा दिवस पर वैश्विक आयोजन में कहा, हिंदू, सिख और बौद्ध धर्म के खिलाफ हिंसा का मिलकर सामना किया जाना चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, किसी भी धर्म, विशेष रूप से हिंदू, बौद्ध व सिख धर्मों के खिलाफ भावना गंभीर चिंता का विषय है और इससे निपटने को ध्यान देने की जरूरत है। अफगानिस्तान के बामियान में तालिवान द्वारा बुद्ध प्रतिमाओं को तोड़ने की याद दिलाते हुए कहा, वह प्रमाण है कि अन्य धर्मों के खिलाफ नफरत क्या कर सकती है।

आयोजन का तीसरा साल

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसंबर 2020 में 4 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मानव बंधुत्व दिवस भाषित किया था। भारत इसका सह-प्रायोजक था। वहीं 4 फरवरी, 2019 को अबू धाबी में पोप फ्रांसिस और अल-अजहर के इमाम, अहमद अल-तैयब ने सांस्कृतिक संवाद को बढ़ावा देने की पहल के तहत विश्व शांति और मानव बंधुत्व पहल पर हस्ताक्षर किए थे।

कट्टरपंथी आतंक और लोकतांत्रिक विचारधाराओं की तुलना असंभव : भारत

संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद रोधी कार्यालय के एक कार्यक्रम में तिरुमूर्ति ने कहा कि, आतंकवाद को अपनी सुविधा के हिसाब से विभाजित व परिभाषित नहीं किया जाना चाहिए। दक्षिणपंथ या वामपंथ लोकतंत्र का हिस्सा है और इन विचारधाराओं की तुलना आतंकी विचारधारों से नहीं की जा सकती। 1988 में बनी प्रतिबंध समिति और सुरक्षा परिषद की आतंकवाद विरोधी समिति के अध्यक्ष के तौर पर तिरुमूर्ति ने कहा कि अल-कायदा, आईएस के खिलाफ त्वरित व सख्त कार्रवाई की जरूरत है। उन्होंने भारत में पाकिस्तान द्वारा ड्रोन के जरिए आतंकी हिंसा को बढ़ावा देने का जिक्र भी किया।

स्रोत : अमर उजाला

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