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कुतुब मीनार क्षेत्र में 27 मंदिर होने के दावे पर न्यायालय ने केंद्र और एएसआई से मांगा जवाब

दिल्ली की एक न्यायालय ने कुतुब मीनार परिसर में हिंदू एवं जैन देवी-देवताओं की मूर्तियां पुन:स्थापित करने और वहां पूजा करने देने का अधिकार प्रदान करने का अनुरोध करने वाली एक याचिका पर केंद्र तथा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से मंगलवार को जवाब मांगा। याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता विष्णु जैन ने बताया कि, न्यायालय ने केंद्र सरकार, संस्कृति मंत्रालय के जरिए एएसआई के महानिदेशक, दिल्ली क्षेत्र के अधीक्षक पुरातत्व को नोटिस जारी किया है। उन्होंने बताया कि दिसंबर 2021 में एक मजिस्ट्रेट न्यायालय द्वारा दीवानी मुकदमे को खारिज किए जाने को चुनौती दी गई थी, जिसपर ये नोटिस जारी किये गये हैं।

11 मई तक न्यायालय ने मांगा जवाब

कुतुब मीनार परिसर में 27 मंदिरों के दावे पर न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। न्यायालय ने भगवान विष्णु और जैन देवता तीर्थकर भगवान ऋषभ देव की ओर से निचली न्यायालय के आदेश के खिलाफ दाखिल अपील पर नोटिस जारी किया है।

अतिरिक्त जिला न्यायाधीश पूजा तलवार ने संबंधित अधिकारियों को 11 मई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। उसी दिन मामले की आगे की सुनवाई होगी।

न्यायाधीश ने जैन की ओर से दायर अपील को स्वीकार करते हुए आदेश जारी किया है। अपील में दावा किया गया है कि मुहम्मद गोरी के सिपाहसलार (जनरल) कुतुबुद्दीन एबक ने 27 मंदिरों को आंशिक रूप से तोड दिया था और इस सामग्री से परिसर में कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद बनाई थी।

न्यायालय ने खारिज किया मुकदमा

९ दिसंबर को मुकदमा खारिज करते हुए दीवानी न्यायालय की न्यायाधीश नेहा शर्मा ने कहा था, “भारत का सांस्कृतिक रूप से एक समृद्ध इतिहास रहा है। इस पर कई राजवंशों का शासन रहा है।’याचिका में यह भी आरोप था कि 1198 में मुगल सम्राट कुतुब-दीन-ऐबक के शासनकाल में 27 हिंदू और जैन मंदिरों को अपवित्र और क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। उन मंदिरों की जगह पर कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण किया गया था। सिविल जज ने अपने आदेश में कहा था कि अतीत की गलतियों के चलते मौजूदा समय में शांति को भंग करने का आधार नहीं बनाया जा सकता है।

वास्तविकता में क्या है कुुतुब मिनार

कुतुब मीनार परिसर में स्थित कुव्वतुल-इस्लाम मस्जिद का बचा हुआ ढांचा मस्जिद कम और मंदिर अधिक दिखता है। यहां पहुंचकर पर्यटक भ्रमित हो जाते हैं कि आखिर यह कैसी मस्जिद है, जिसके हर पिलर और दीवारों पर मूर्तियां बनी हैं। कहीं जैन धर्म की मूर्तियां हैं तो कहीं हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। इस ढांचे में वर्षो से पूजा-पाठ करने की अनुमति देने की मांग उठ रही है। पूजा-पाठ की अनुमति को लेकर अब मामला कोर्ट में पहुंच गया है, जिसके बाद से यह मुद्दा फिर गरमा गया है।

कुतुब मीनार परिसर में स्थित इस मस्जिद के स्तंभों पर देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां लगी हैं। यहां तक कि मस्जिद के पिछले हिस्से में नाली के ऊपर लगी गणोश जी की मूर्ति को लेकर कुछ साल पहले विवाद हो चुका है। उसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने लोहे के जाल से मूर्ति ढक दी है। वहीं, कुतुब मीनार के पास एक छोटी चारदीवारी क्षतिग्रस्त हुई है, उसमें भी पत्थर की मूर्ति निकली है। उसे वहीं रखवा दिया गया है। राजा अनंगपाल विष्णु पर्वत से विभिन्न धातु के बने इस विष्णु स्तंभ को लेकर आए थे, जो परिसर में स्थित है। इस स्तंभ पर गुप्त काल की लिपि में संस्कृत में एक लेख है, जिसे पुरालेखीय दृष्टि से चतुर्थ शताब्दी का निर्धारित किया गया है।

मस्जिद में स्तंभों पर आज भी अंकित हैं देवी-देवताओं की मूर्तियां

यह मस्जिद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की राष्ट्रीय स्मारक है। जिस कुतुब मीनार और उसके परिसर को विश्व धरोहर का दर्जा मिला है, उसी परिसर में यह मस्जिद शामिल है। इसका निर्माण दिल्ली पर कब्जा होने के बाद सन 1192 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने कराया था। पुरातात्विक दस्तावेजों में वर्णित है कि कुतुबुद्दीन ऐबक ने इसे 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर बनवाया था। इस मस्जिद में स्तंभों पर देवी-देवताओं की मूर्तियां आज भी देखी जा सकती हैं। शिला पट्टिका में यह जानकारी है कि इसे 27 हिंदू व जैन मंदिरों को तोड़कर बनवाया गया था।

बच्चे पूछ बैठते हैं कि मस्जिद में मूर्तियां क्यों

हालात ऐसे हैं कि वर्तमान में यहां पहुंचने वाले पर्यटकों के बच्चे पूछ बैठते हैं कि मस्जिद में मूर्तियां क्यों लगी हैं। इसका उनके पास कोई जवाब नहीं होता और वह यही कहकर बच्चों को समझाते हैं कि यह सब बहुत पहले किया गया है। मस्जिद के जो अवशेष बचे हैं वे पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। कहा जाता है कि मूर्तियों को यहां लगाए जाने के समय ही क्षतिग्रस्त कर दिया गया, ताकि लोग यहां पूजा-पाठ करना न शुरू कर दें। मस्जिद में लगी देवी-देवताओं की मूर्तियों को लेकर कुछ साल पहले विवाद हो चुका है। कई हिंदू संगठन यहां पूजा-अर्चना करने भी पहुंच गए थे। उनकी सबसे अधिक आपत्ति इस मस्जिद के पीछे के भाग में लगी गणोश जी मूर्ति को लेकर थी।

मूर्तियां खंडित की थीं, ताकि लोग पूजा-पाठ न करें

यूनाइटेड हिंदू फ्रंट के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जयभगवान गोयल का कहना है कि जिस स्थान पर मस्जिद है, वहां पर पूर्व में मंदिर था। मंदिरों को तोड़कर जो ढांचा खड़ा किया गया है वह मस्जिद नहीं, बल्कि मंदिर है। इसमें हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। मंदिर होने के सभी प्रमाण इस ढांचे में मौजूद हैं। इस ढांचे को देखकर हिंदुओ की भावनाओं को ठेस पहुंचती है।

स्रोत : टीवी ९ हिन्दी

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