उच्च न्यायालय ने जारी किया नोटिस
नाबालिग हिंदू लड़की को ईसाई धर्म में जबरन परिवर्तित कराने के मामले में उसकी मां द्वारा दायर की गई याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है। मां का आरोप है कि इवेंजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया कमीशन ऑन रिलीफ एंड प्रयास (Evangelical Fellowship of India Commission on Relief and Prayas ) नामक ईसाई मिशनरी के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उनकी बच्ची को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के लिए प्रेरित किया और उसके जरिए एक फर्जी का यौन शोषण मामला दर्ज करवाया।
BREAKING: Delhi HC issues notice in plea by mother of minor who alleges that social workers of Evangelical Fellowship of India Commission on Relief & Prayas ‘indoctrinated’ her Hindu child to Christianity & also got a false FIR of sexual abuse registered through her
— LawBeat (@LawBeatInd) February 25, 2022
मां का कहना है कि उनकी बच्ची की जानकारी के बिना ही हिंदू से ईसाई बनाने का काम किया गया। उन्होंने कहा ईसाई बनाने के बाद एनजीओ ने 5 माह से ज्यादा उनकी बच्ची का शोषण। ये सब तब हुआ जब बच्ची चाइल्ड केयर इंस्टिट्यूशन में थी जिसे ग्लोबल फैमिली चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित किया जाता है।
अधिवक्ता दिब्यांशु पांडे के माध्यम से दायर एक याचिका में, पीड़िता की मां ने आरोप लगाया कि उनकी नाबालिग बेटी को उपरोक्त गैर सरकारी संगठनों के सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा ‘फंसा’ लिया गया था, जिन्होंने उससे झूठी एफआईआर करवाई थी। इसी एफआईआर के चलते उसे ‘पाँच’ दिन बाद चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के समक्ष पेश किया गया, जो कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) मॉडल नियम, 2016 के नियम 81 (1) का सीधा उल्लंघन है।
अब मां की नाराजगी सीडब्ल्यूसी की ढिलाई पर है जिसके कारण चाइल्ड केयर इंस्टिट्यूशन में कई एनजीओ ने उसको प्रताड़ित किया और उसे ईसाई धर्म में परिवर्तित होने के लिए प्रेरित किया। उनका आरोप है कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के परिणामस्वरूप याचिकाकर्ता और उसकी बेटी को न्याय से वंचित किया गया है। साथ ही साथ भारतीय संविधान द्वारा प्रदान किए गए मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन हुआ है।
स्रोत : Opindia