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‘भक्ति आंदोलन’ के नाम पर हिन्दुओं को नीचा दिखाकर Vision IAS में पढाया जा रहा है ‘इस्लामी प्रोपेगेंडा’

सिविल परीक्षाओं के लिए छात्रों को तैयार करने के नाम पर इस्लामी प्रोपेगेंडा फैलाने का एक मामला सोशल मीडिया पर सामने आया है। एक वीडियो है जिसे फिल्म निर्देशक विवेक अग्रहोत्री ने भी शेयर किया है। वीडियो Vision IAS कोचिंग सेंटर की है। इसमें महिला शिक्षिका छात्रों को ‘भक्ति आंदोलन’ पढा रही हैं और समझा रही हैं कि, कैसे ये आंदोलन इस्लाम में फैली स्वतंत्रता (लिबर्टी) के कारण शुरू हुआ।

वीडियो में महिला शिक्षिका पूछती हैं कि बताओ भक्ति आंदोलन का उद्देश्य क्या था। बच्चे जब जवाब में समानता बोलते हैं तो शिक्षिका कहती हैं कि, सातवीं-आठवीं शताब्दी में कुछ नहीं था, इस्लाम आ गया था। इसलिए ये शुरू हुआ। वह कहती हैं, “इस्लाम था बहुत लिबरल। वह समानता के बारे में बात करता था। कोई जाति व्यवस्था भी नहीं थी। यदि इस्लाम पढा होगा तो एक चेरामन जुमा मस्जिद है जिसका मिनिएचर आपके प्रधानमंत्री ने सऊदी किंग को दिया । ये भारत की पहला मस्जिद है जो 7वीं-8वीं शताब्दी में बनी। तब इस्लाम आया नहीं था। लेकिन इस्लाम आना शुरू हो गया था। उस समय वह उदारवाद, समानता के बारे में बात कर रहे थे। वह किसी भी तरह की कठोरता और जातिवाद से मुक्त थे। इस्लाम की एक खासियत थी जिसमें वह ईश्वर (अल्लाह) के प्रति पूरे समर्पण को लेकर बात करते थे। वे एक ईश्वर की संकल्पना पर बात कर रहे थे।”

महिला शिक्षिका कहती हैं, “इस्लाम का कहना था कि, यदि एक ही अल्लाह है, उसी ने सबको बनाया है। इसका अर्थ है कि, सब एक ही हैं। वह सार्वभौमिक भाईचारे के बारे में बात कर रहा था। यही कारण है कि, इस्लाम की ओर लोग आकर्षित होने लगे। जो लोग निम्न वर्ग के थे वो भी अपना स्तर बढ़ाने के लिए इस्लाम में आने लगे। उस समय था जब हिंदू सभ्यता के अस्तित्व पर खतरा आ गया। जब लोगों को कछ समझ नहीं आया तो उन्होंने भक्ति आंदोलन की शुरुआत की। वह बताना चाहते थे कि, इस्लाम जैसा ही हिंदू धर्म है। ज्यादा फर्क नहीं है। भक्ति आंदोलन में भी पूर्ण समर्पण और पूर्ण आस्था की बात हुई।”

बता दें कि, सोशल मीडिया पर ऐसी वीडियो सामने आने के बाद लोग दो चीजों पर प्रश्न कर रहे हैं। एक बात तो ये कि आखिर हिंदुत्व को इतना नीचे दिखाने का प्रयास बुद्धिजीवियों द्वारा क्यों किया जा रहा है ? और दूसरा सवाल ये कि इस्लाम का महिमामंडन करके छात्रों का ब्रेनवॉश इस स्तर तक कैसे किया सकता है। लोग तंज कस रहे हैं कि गजनवी और बाबर न केवल सेकुलर लोग थे बल्कि लिबरल भी थे। उन्होंने भारतीयों को धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढाया और भारत में चल रहे भक्ति आंदोलन से निजात दिलाई।

जानकारी के अनुसार, वीडियो में नजर आने वाली महिला शिक्षिका का नाम स्मृति शाह है। जो पूर्व में आईएस परीक्षाओं की तैयारी करती थीं, लेकिन उनकी परिक्षा क्लियर नहीं हुई। ट्विटर पर इन्हें लेकर कहा जा रहा है कि, स्मृति भारतीय समाज के बारे में ‘विजिन आईएएस’ में पढाती हैं। वह वामपंथी हैं और मोदी/भाजपा से नफरत करने वाली हैं। एक यूजर कहता है, “मैंने पता नहीं इनके 20 लेक्चर कैसे देखे वो भी 2019 चुनाव से ठीक पहले। सारे लेक्चर सिर्फ राजनैतिक भाषण और व्यंग्य जैसे थे।”

स्रोत : Opindia

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