मंदिर सरकारीकरण से होनेवाली संभाव्य हानी को ध्यान में रखते हुए, उत्तराखंड की भाजपा सरकार का सराहनीय निर्णय ! – सम्पादक, हिन्दुजागृति
प्रदेश में चारधाम के तीर्थ पुरोहितों के विरोध के बाद सरकार ने शीतकालीन सत्र में उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन निरसन विधेयक पारित कर इसे मंजूरी के लिए राजभवन भेजा था। विधेयक पर राजभवन की मुहर लगने के साथ ही चारधाम देवस्थान प्रबंधन कानून निरस्त हो गया है। सरकार की ओर से इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।
चारधाम देवस्थानम प्रबंधन एक्ट निरस्त, मंदिर कमेटी ही करेगी बदरी-केदार में व्यवस्थाओं का संचालन…#UttarakhandGovt #Chardham #Devasthanam #Badri #Kedar https://t.co/VJF3bgLbzm
— enews24x7.in (@enews24x7_in) February 28, 2022
प्रदेश में चारधाम में पूर्व की व्यवस्था लागू होगी। बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति ही केदारनाथ, बदरीनाथ में व्यवस्था का संचालन करेगी।भाजपा की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के कार्यकाल में 27 नवंबर 2019 को कैबिनेट ने उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन विधेयक को मंजूरी दी थी। नौ दिसंबर 2019 को यह विधेयक विधान सभा से पारित कराया गया। राजभवन से मंजूरी के बाद यह कानून बन गया था।
व्यवस्था से चारधाम के पंडा पुरोहितों ने किया था विरोध
सरकार की ओर से इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई थी। 25 फरवरी 2020 को इसकी अधिसूचना जारी कर बोर्ड का गठन किया गया। जिसमें मुख्यमंत्री को इसका अध्यक्ष और धर्मस्व व संस्कृति मंत्री को उपाध्यक्ष बनाया गया।
तत्कालीन गढ़वाल मंडल आयुक्त रविनाथ रमन को बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी का पद सौंपा गया था, लेकिन सरकार की इस व्यवस्था से चारधाम के पंडा पुरोहितों में भारी नाराजगी थी। उनका कहना था कि उनके अधिकारों के साथ खिलवाड किया जा रहा है।
दशकों से चली आ रही पंरपरा के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए। सरकार कानून बनाकर मंदिर के वित्तीय और नीतिगत निर्णयों पर नियंत्रण करना चाहती है। चारधाम के पंडा पुरोहितों के विरोध को देखते हुए धामी सरकार ने कानून को निरस्त किए जाने का निर्णय लिया और शीतकालीन सत्र में देवस्थानम प्रबंधन निरसन विधेयक प्रस्तुत कर इसे मंजूरी के लिए राजभवन भेजा था। जिसे राजभवन से मंजूरी मिलने के बाद अब बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री में पूर्व व्यवस्था बहाल हो गई है।
राजभवन ने उत्तराखंड किरायेदारी विधेयक पर लगाई मुहर
सरकार ने पिछले वर्ष केंद्र सरकार की ओर से जारी किरायेदारी अधिनियम के मॉडल प्रारूप को प्रदेश में लागू करने के लिए इससे संबंधित विधेयक पारित करते हुए इसे मंजूरी के लिए राजभवन भेजा था। जिस पर राजभवन ने मुहर लगा दी। विधेयक के अधिनियम बनने से मकान मालिक और किरायेदार दोनों के हित सुरक्षित होंगे। इससे राज्य में किरायेदारी आवास बाजार पनपने से आवास की कमी भी दूर होगी।
प्रदेश में किरायेदारी विधेयक को मंजूरी के बाद यह अधिनियम बन गया है। जिसमें मकान मालिक और किरायेदारों के हितों की सुरक्षा के लिए नियम तय किए गए हैं। इसके लिए राज्य में किराया प्राधिकरण अस्तित्व में आएगा। यदि मकान मालिक और किराएदार के बीच कोई विवाद है तो इसका निपटारा प्राधिकरण में हो सकेगा।