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बांग्लादेश के एक वैद्यकीय महाविद्यालय में अब गैर-मुस्लिम छात्राओं को भी पहनना पडेगा हिजाब

हिन्दू संगठनों ने जताई आपत्ति

बांग्लादेश के जेस्सोर में स्थित ‘अद-दीन सकीना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल’ ने अब यहां पढने वाली छात्राओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य कर दिया है। यहां तक कि जो गैर-मुस्लिम छात्राएं यहां पढने आती हैं, उन्हें भी बिना हिजाब के कॉलेज कैम्पस में प्रवेश नहीं मिलेगी। ये सब इसके बावजूद हो रहा है, जब बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय ने 4 अक्टूबर, 2010 को ही कह दिया था कि, किसी को भी उसकी इच्छा के विरुद्ध मजहबी कपड़े पहनने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।

हिन्दू संगठन ‘बांग्लादेश जातीय हिन्दू महाजोट’ ने कहा कि, ‘अद-दीन सकीना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल’ के संस्थापकों में से एक शेख अफिलुद्दीन भी अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं को प्रताडित करने में शामिल है। इससे पहले न्यूजट्रैक ने अपने एक समाचार में बताया था कि कॉलेज की प्रशासनिक अधिकारी सुब्रता बासक ने दावा किया है कि ये नियम 2011 से ही चला आ रहा है। इस कॉलेज की स्थापना भी उसी साल हुई थी। शुक्रवार (25 फरवरी, 2022) को हिन्दू संगठन ने इस फैसले के विरुद्ध आपत्ति दर्ज कराई।

हालांकि, सुब्रता बासक ने इस प्रश्न का कोई जवाब नहीं दिया कि, क्या उनके कॉलेज का आदेश बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के विरुद्ध नहीं है ? एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिन्दू अधिकार संगठन ‘बांग्लादेश जातीय हिन्दू महाजोट’ ने कहा कि देश के किसी भी शैक्षणिक संस्थान को गैर-मुस्लिमों को इस्लामी कपडे पहनने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए। ‘बांग्लादेश हिन्दू नेशनल ग्रैंड अलायन्स’ के प्रवक्ता पलाश कांति डे ने कहा कि, ये बांग्लादेश की न्यायपालिका के फैसले के विरुद्ध है।

उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थान छात्र-छात्राओं को इस्लामी टोपी, बुर्का या हिजाब पहनने के लिए मजबूर नहीं कर सकते। आरोप है कि, इस मामले में कॉलेज एडमिशन के पहले ही छात्र-छात्राओं की लिखित सहमति ले रहा है। जो सहमति नहीं दे रहे हैं, उन्हें एडमिशन नहीं दिया जा रहा है। वहीं एक अन्य खबर में बताया गया है कि, ‘अकीज ग्रुप्स लिमिटेड’ द्वारा संचालित सभी कॉलेजों में हिजाब को अनिवार्य कर दिया गया है। हिन्दू संगठनों ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की।

हिन्दू अलायंस ने कहा, “डॉक्टर शेख अकीजुद्दीन ASMC के संस्थापक शेख मोहिउद्दीन के अब्बा थे। वो 1971 में बांग्लादेश की आज़ादी के खिलाफ भी थे। वो ‘जमात-ए-इस्लामी’ के छात्र संघ ‘छात्र शिबिर’ के सदस्य भी थे। तब वो बरिसाल मसिकल कॉलेज में पढ़ते था। उसके परिवार पर हिन्दू शरणार्थियों से लूटपाट के आरोप हैं।”

बता दें कि, बांग्लादेश के कट्टरपंथी वहां के हिन्दुओं को पहले ही धमका चुके हैं कि भारत में मुस्लिम छात्राओं को शैक्षिक संस्थानों में हिजाब में अनुमति नहीं मिली तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।

स्रोत : Opindia

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