राष्ट्र-धर्म के कार्य के साथ साधना और आध्यात्मिक उपायों को जोडें – सद्गुरु (कु.) अनुराधा वाडेकर, धर्मप्रचारक, सनातन संस्था
- हिन्दूसंगठन एवं धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए हिन्दू जनजागृति समिति
- नियमित साधना कर आदर्श हिन्दू राष्ट्र संगठक बनने का धर्मप्रेमियों का निश्चय !
ठाणे : समाज में बढते रज-तम के कारण जिस प्रकार नकारात्मकता है, उसके अनुपात में भाव-भक्ति नहीं है । प्राचीन काल में ऋषिमुनियों को भी कष्ट भोगने पडे थे । आज भी प्रत्येक मनुष्य को उसके जीवन में पूर्वजों से कष्ट, वास्तुदोष, अनिष्ट शक्तियों के कष्टों जैसे आध्यात्मिक कष्टों का सामना करना पड रा है । इन आध्यात्मिक कष्टों पर विजय प्राप्त करने के लिए आध्यात्मिक उपाय ही करने पडते हैं । सनातन संस्था द्वारा किए गए आध्यात्मिक शोधकार्य के माध्यम से खोजे गए आध्यात्मिक उपाय सभी के लिए मार्गदर्शक और किसी संजीवनी की भांति है । व्यक्तिगत जीवन के साथ ही राष्ट्र-धर्म का कार्य करते समय आनेवाली बाधाएं और कष्ट दूर होने के लिए इस कार्य को साधना और आध्यात्मिक उपाय जोडने चाहिएं, ऐसा मार्गदर्शन सनातन संस्था की धर्मप्रचारक सद्गुरु (कु.) अनुराधा वाडेकरजी ने किया । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से नौपाडा, ठाणे के ब्राह्मण विद्यालय के सभागार में २६ और २७ फरवरी को आयोजित की गई निवासी हिन्दू राष्ट्र संगठक प्रशिक्षण कार्यशाला में उपस्थित धर्मप्रेमियों का मार्गदर्शन करते हुए वे ऐसा बोल रही थीं । इस अवसर पर सनातन संस्था की संत पू. (श्रीमती) संगीता जाधवजी और हिन्दू जनजागृति समिति के प्रवक्ता वैद्य उदय धुरी ने भी उपस्थित धर्मप्रेमियों का मार्गदर्शन किया । मुंबई, ठाणे एवं रायगढ जनपद के कुल ४४ धर्मप्रेमियों ने इस कार्यशाला का लाभ उठाया ।
हिन्दू जनजागृति समिति के मुंबई, ठाणे एवं रायगढ जनपनदों के मुख्य समन्वयक श्री. सागर चोपदार, मुंबई समन्वयक श्री. बळवंत पाठक, ठाणे जनपद समन्वयक श्री. सुनील कदम, श्री. राजेंद्र पावसकर, सनातन संस्था की श्रीमती दीक्षा पेंडभाजे, श्रीमती शैला घाग आदि वक्ताओं ने इस कार्यशाला के विविध सत्रों में उपस्थित धर्मप्रेमियों का मार्गदर्शन किया । समिति के श्री. ओंकार नातू एवं श्री. अमोल पाळेकर ने भी धर्मप्रेमियों को संबोधित किया । इस कार्यशाला का सूत्रसंचालन समिति के श्री. मनीष माळी ने किया । इस कार्यशाला के प्रायोगिक भाग, समूहचर्चा एवं सेवा में उपस्थित धर्मप्रेमियों ने उत्स्फूर्त सहभाग लिया । कार्यशाला के अंत में कई धर्मप्रेमियों ने मनोगत व्यक्त कर धर्मकार्य को आगे बढाने का निश्चय किया ।
गुरुदेवजी को अपेक्षित साधना करेंगे ! – पू. (श्रीमती) संगीता जाधव, सनातन संस्था
अन्याय और धर्म पर हो रहे आघातों के विरोध लडना काल के अनुसार साधना है । आज के समय के रज-तम से युक्त इस भीषण काल में सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी ने ‘गुरुकृपायोग’ नाम का विहंगम साधनामार्ग बताया है । ज्ञान, ध्यान, निष्काम कर्म एवं भक्तिसहित सबकुछ गुरु ही करवा लेनेवाले हैं, इस भाव से हम गुरुकृपायोग के माध्यम से साधना कर रहे हैं । हम सभी गुरुदेवजी को अपेक्षित साधना करेंगे ।
हिन्दूसंगठन के माध्यम से हिन्दू राष्ट्र की मांग को राष्ट्रीय जागृति के रूप में समाजतक पहुंचानी है ! – वैद्य उदय धुरी, प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति
सरकारी कार्यालयों से लेकर प्रत्येक क्षेत्र में फैला हुआ भ्रष्टाचार, लोगों की बढती समस्याएं और अन्य अप्रिय घटनाओं के कारण लोकतंत्र की अर्थहीनता सभी के ध्यान में आ रही है । भविष्य में हमारे सामने हिन्दू राष्ट्र चाहिए अथवा इस्लामी राष्ट्र ?, इन दो में से एक विकल्प होगा । हमें हिन्दूसंगठन के माध्यम से हिन्दू राष्ट्र की मांग को राष्ट्रीय जागृति के रूप में निरंतर समाजतक पहुंचानी है । इस दिशा में प्रयास करते रहने से हिन्दू राष्ट्र तो आने ही वाला है । इन प्रयासों को साधना के साथ जोडना है ।
श्री. किशोर पडवळ, खोपोली
हिन्दू राष्ट्र तो आने ही वाला है; परंतु हमने लक्ष्य सामने रखकर उस दिशा में प्रयास किए, तभी जाकर हम इस कार्य में अपना योगदान दे सकेंगे । ध्येय के बिना कोई भी कार्य संभव नहीं है । इस कार्यशाला में मैने ‘मैं वैकुंठ में हूं और चैतन्य ग्रहण कर रहा हूं’, इसकी अनुभूति ली ।
श्री. राजेश कार्येकर, विक्रोळी
जीवन में हिन्दुत्व का कार्य करते समय कई अच्छे-बुरे अनुभव हुए । हमने सनातन संस्था के मार्गदर्शन में और हिन्दू जनजागृति समिति के सेवकों के साथ साधना की भूलोक और परलोक में हमारा निश्चितरूप से उद्धार होनेवाला है ।