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आयुर्वेद में विद्यमान वेदरूपी आध्यात्मिक प्रकाश को प्रकट करने हेतु नियमित साधना करना आवश्यक – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे

मथुरा (उत्तर प्रदेश) : आज अमेरिका जैसा देश भी आयुर्वेद के गुप्त दिव्य ज्ञान का उपयोग कर अपने लोगों को स्वस्थ बना रहा है; इसलिए भारतीय छात्रों को भी आयुर्वेद का ज्ञान समझ लेकर उसका उपयोग करने की आवश्यकता है । आयुर्वेद के उपयोग से बीमारियां जड से नष्ट होती हैं; परंतु उसमें विद्तयमान वेदरूपी आध्यात्मिक प्रकाश हमारे अंतर्मन के जनम-जनम के संस्कार नष्ट होने पर ही प्रकट होता है । उसके लिए साधना के नियमित प्रयास करना आवश्यक है, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) सद्गुरु चारुदत्त पिंगळे ने किया । चोमा, मथुरा के एस्.के.एस्. आयुर्वेद महाविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में मार्गदर्शन करते हुए वे ऐसा बोल रहे थे ।

इस कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. बृजबिहारी मिश्रा थे । इस कार्यक्रम के लिए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. बी.एस्. पराशर की सहायता मिली । महाविद्यालय के प्राध्यापकों और अनेक छात्र-छात्राओं ने इस कार्यक्रम का लाभ उठाया ।

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