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प्रस्तावमें सम्मत शिवाजी महाराजका नाम कांग्रेसद्वारा परिवर्तित किया !

वैशाख शुक्ल  १०, कलियुग वर्ष ५११५

राजापुरके व्यापारी संकुल हेतु युतिद्वारा प्रस्तावमें सम्मत छत्रपति शिवाजी महाराजका नाम सत्तारूढ कांग्रेस एवं राष्ट्रवादी कांग्रेसद्वारा परिवर्तित किया गया !

राजापुर (रत्नागिरी) नगर परिषदकी सत्ताधारी कांग्रेस एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस आघाडी शासनका छत्रपतिद्रोह पहचानें !

राजापुर, १७ मई – शिवसेनाके नगरसेवक तथा विरोधी दलके गुटनेता श्री. अभय मेळेकरद्वारा यह जानकारी प्राप्त हुई है कि नगर परिषदमें युतिकी सत्ता होते हुए भी यहांके नाट्यगृह तथा व्यापारी संकुलको छत्रपति शिवाजी महाराजका नाम देनेका प्रस्ताव नगर परिषदकी आमसभामें सम्मत किया गया था । वर्तमानमें इस नगर परिषदमें कांग्रेस तथा राष्ट्रवादी कांग्रेसके आघाडी शासनकी सत्ता है । इस संकुलका अनावरण समारोह १८ मईको हो रहा है । उसके लिए मुद्रित अनावरण पत्रिकामें संकुलके छत्रपति शिवाजी महाराजके अतिरिक्त ‘राजापुर नगर परिषद नाट्यगृह तथा व्यापारी संकुल’ इस प्रकारका नामोल्लेख किया गया है । इसलिए संतप्त शिवसेना-भाजप युतिके नगरसेवकोंद्वारा इस अनावरणका समारोह बहिष्कृत किया गया है । ( हिंदवी स्वराज्यके संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराजका नाम परिवर्तित कर कांग्रेसने स्वयंका  असली स्वरूप स्पष्ट किया है । केवल सत्ताके लिए एवं मुसलमानोंके एकगुट मतोंके लिए शिवाजी महाराजका नाम रद्द करनेवाले कल हिंदुओंको भी जीविकाकी खोजमें दरदर भटकनेके लिए छोड देंगे । हिंदुओ यह ध्यानमें रखें कि वैचारिक दृष्टिकोणसे मुसलमान बने कांग्रेसको सत्तासे हटाकर हिंदू राष्ट्रकी स्थापना करना ही इसपर अंतिम उपाय है ! –  संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
१. राजापुर नगर परिषदपर युतिकी सत्ता थी । २७ दिसंबर २००७ को हुई आमसभामें इस संकुलको छत्रपति शिवाजी महाराजका नाम देनेका प्रस्ताव शिवसेनाके नगरसेवक श्री. अशोक गुरवद्वारा प्रस्तुत किया गया था ।
२. नगरसेवक श्री. नरेंद्र कोंबेकरद्वारा अनुमति लेकर सभागृहमें यह प्रस्ताव सम्मत किया गया था ।
३. प्रत्यक्षमें अनावरण पत्रिकापर राजापुर नगर परिषद एवं व्यापारी संकुल इस प्रकार नामोल्लेख किए जानेके कारण नागरिकोंद्वारा आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है ।
४. राजापुर शहरमें यह चर्चा आरंभ है कि आघाडी शासनके जनप्रतिनिधियोंको छत्रपति शिवाजी महाराजके नामके प्रति इतना विरोध क्यो है ?
५. साथ ही इस पत्रिकापर किसी भी विरोधी दलके नगरसेवकके नामका उल्लेख भी न कर नगर परिषदसे संबंधित न होनेवाले आघाडी शासनके पक्षश्रेष्ठोंका उल्लेख किया गया है । ( आघाडी शासनके पदाधिकारियोंको क्या यह लगता है कि नगर परिषद अर्थात अपनी स्वयंकी संपत्ति है ? इस प्रकारके पदाधिकारी जनहित क्या साधेंगे ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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