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महाराष्ट्र : विश्व महिला दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में ‘जिजामाता’ विषय पर व्याख्यान !

पेण (जनपद रायगढ) : यहां के श्री केरेश्वर मंदिर, कारावी में विश्व महिला दिवस के उपलक्ष्य में आगरी रणरागिनी फाऊंडेशन की ओर से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, उसमें हिन्दू जनजागृति समिति को आमंत्रित किया गया था । इस कार्यक्रम में बडी संख्या में महिलाएं उपस्थित थीं । इस कार्यक्रम में स्वरक्षा प्रशिक्षण के प्रदर्शन दिखाए गए । समिति की श्रीमती विशाखा आठवले ने ‘छत्रपति शिवाजी महाराज तैयार होने से पूर्व जिजामाताएं तैयार होनी चाहिएं !’, इस विषय पर व्याख्यान दिया । इस समय फाऊंडेशन की अध्यक्षा श्रीमती दीपाली भोईर ने श्रीमती विशाखा आठवले को सम्मानित किया ।

श्रीमती दीपाली भोईर इनसे सन्मान स्वीकारती हुई समिति की श्रीमती विशाखा आठवले (डावीकडे)

अपने व्याख्यान में श्रीमती आठवले ने कहा, ‘‘प्रत्येक व्यक्ति को ऐसा लगता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज को पुनः एक बार जन्म लेना चाहिए; परंतु शिवाजी महाराज जन्म लेने से पूर्व जिजामाता भी तो होनी चाहिए । जिजामाता ने बचपन में ही शिवाजी महाराज को रामायण-महाभारत की कथाओं के माध्यम से अध्यात्म और धर्म के संस्कार दिए । उसके कारण ही हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना हो सकी । उसी प्रकार से आज की स्त्री को बनना है । उसके लिए घर की महिला ने धर्माचरण किया, तो उसका संपूर्ण परिवार धर्मपालन करेगा और प्रत्येक परिवार सुसंस्कारित बनेगा । आजके आधुनिक युग में महिलाओं को स्वतंत्रता चाहिए; परंतु स्वतंत्रता का अर्थ स्वैराचार नहीं है । वह स्वतंत्र है; परंतु क्या वह सुरक्षित है ?, इस पर भी विचार किया जाना चाहिए । आज महिलाओं पर अत्याचार बढते ही जा रहे हैं । इसका कारण धर्मशिक्षा का अभाव ही है । धर्म की शिक्षा लेने से धर्मपालन होता है और उससे स्वयं में आत्मबल जागृत होकर हम किसी भी स्थिति का सामना कर सकते हैं । हमारे सामने राजमाता जिजामाता, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, अहल्याबाई होळकर जैसी वीरांगनाओं के आदर्श हैं । हम भी उनकी भांति स्वयं में धर्मप्रेम जागृत करेंगे और आनेवाली पीढी को संस्कारित करेंगे ।’’

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