प्रांतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु संगठित रूप से कार्य करने का हिन्दुत्वनिष्ठों का निश्चय !

मुंबई, ठाणे, रायगढ एवं पालघर जनपदों के ३२ संगठनों के १४३ हिन्दुत्वनिष्ठों का सहभाग !

मुंबई : मुंबई में १२ एवं १३ मार्च को २ दिवसीय प्रांतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन संपन्न हुआ । कोरोना संक्रमण के २ वर्ष की अवधि के उपरांत हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से पहली बार लिए गए इस अधिवेशन में मुंबई, ठाणे, रायगढ एवं पालघर जनपदों के ३२ संगठनों के १४३ हिन्दुत्वनिष्ठ इस अधिवेशन में सम्मिलित हुए । अधिकांश हिन्दुत्वनिष्ठों ने ईश्वरीय अधिष्ठान रखकर कार्य करने का आवाहन किया, तो कुछ हिन्दुत्वनिष्ठों ने साधना समझ लेकर नामजप आरंभ करने की बात कही । साधना का आरंभ किए हुए हिन्दुत्वनिष्ठों ने उस विषय में अपने अनुभव बताए । ‘हिन्दुत्वनिष्ठों द्वारा हिन्दुत्व के कार्य के लिए साधना का अधिष्ठान देने का किया गया प्रयास’, यह इस अधिवेशन की विशेषता सिद्ध हुई । इस अवसर पर सभी हिन्दुत्वनिष्ठों ने भगवान के आशीर्वाद से हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए संगठितरूप से कार्य करने का निश्चय किया । संतों की वंदनीय उपस्थिति और हिन्दुत्वनिष्ठों की धर्मकार्य की तीव्र लालसा के कारण यह अधिवेशन अत्यंत उत्साहपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ ।

अधिवेशन का स्वरूप !

राष्ट्र एवं धर्म पर हो रहे विविध आघशत, हिन्दुओं का संगठन, कानून के विषय में मार्गदर्शन, साधना आदि विविध विषयों का मार्गदर्शन, धर्मकार्य करते समय प्राप्त विविध अनुभवों का लेन-देन और समूहचर्चा, इस प्रकार से इस अधिवेशन का स्वरूप था । इस अधिवेशन में आनेवाले समय में क्रियान्वयन के स्तर पर कार्य की दिशा सुनिश्चित की गई । सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों का साधना के विषय में मार्गदर्शन कर उनकी शंकाओं का समाधान किया । समापन के कार्यक्रम में श्री. रणजीत सावरकर, डॉ. विजय जंगम एवं श्री. चेतन राजहंस ये मान्यवर उपस्थित थे । अधिवेशन के समापन में हिन्दुओं की विविध मांगों के लेकर प्रस्ताव पारित किए गए ।

सद्गुरु, संतों और हरिभक्त परायणों की वंदनीय उपस्थिति !

सनातन संस्था की धर्मप्रचारक सद्गुरु सुश्री (कु.) अनुराधा वाडेकरजी, पू. (श्रीमती) संगीता जाधवजी, श्री स्वामी समर्थ सेवा न्यास के संस्थापक पू. मोडक महाराज, राष्ट्रीय वारकरी परिषद पालघर के जिलाध्यक्ष ह.भ.प. प्रदीप महाराज पाटिल, वसई (मेधे) के श्री परशुराम तपोवन आश्रम के संचालक भार्गवश्री बी.पी. सचिनवाला एवं महाराष्ट्र प्रदेश वारकरी संप्रदाय के तीर्थक्षेत्र समिति की कार्यकारी प्रमुख ह.भ.प. गोविंदबुवा बन

वक्ताओं द्वारा रखे गए राष्ट्र-धर्म से संबंधित विचार

हिन्दू धर्म को राजाश्रय देनेवाले राजकर्ताओं को सत्ता में बिठाना चाहिए ! – पू. मोडक महाराज, संस्थापक, श्री स्वामी समर्थ सेवा ट्रस्ट

आज प्रत्येक हिन्दुत्वनिष्ठ के मन में सनातन संस्था एवं हिन्दू धर्म के प्रति प्रेमभावना उत्पन्न हुई है । भगवान ने हमारे हाथ में धर्मरक्षा का ध्वज प्रदान किया है । धर्मकार्य की पद्धति भले ही अलग-अलग हो; परंतु उसका उद्देश्य ‘हिन्दू धर्म की रक्षा’ ही है । प्राचीन काल में राजाश्रय होने के कारण हिन्दू धर्म प्रबल था । वर्तमान स्थिति में राजाश्रय न होने के कारण धर्मरक्षा का कार्य करना पडेगा । इसके लिए हमें धर्म को राजाश्रय देनेवाले राजकर्ताओं को सत्ता में बिठाना चाहिए । जहां संत होते हैं, वहां भगवान होते हैं और जहां भगवान होते हैं, वहां विजय निश्चित है । भगवान के कारण ही कार्य पूर्णता को पहुंचता है ।

‘हिन्दू राष्ट्र’ राष्ट्रीय आंदोलन बनना चाहिए ! – चेतन राजहंस, राष्ट्रीय प्रवक्ता, सनातन संस्था

अब विश्वयुद्ध का आरंभ हो चुका है । आनेवाले समय में भारत में भी युद्धजन्य स्थिति उत्पन्न होगी । आपातकाल का सामना करने के लिए अभी से तैयारी करनी पडेगी । भविष्य में हमें सडक पर उतरकर हिन्दू भाईयों की रक्षा करनी पडेगी । ऐसे समय में धर्मनिष्ठ, राष्ट्रभक्त और सत्शील हिन्दुओं की रक्षा करने के लिए हमारी प्रधानता होगी । हमें यह कार्य संगठितरूप से करना है । आपातकाल में हमें व्यक्तिनिष्ठ अथवा पक्षनिष्ठ न रहकर धर्म के पक्ष में कार्य करनेवालों के साथ में रहना होगा । हमें हिन्दू राष्ट्र की मांग लेकर एकत्रित होना होगा । अब ‘हिन्दू राष्ट्र’ एक राष्ट्रीय आंदोलन बनना चाहिए । हमें ‘मैं श्रीकृष्ण का सेवक हूं’, इस भाव से हिन्दू राष्ट्र स्थापना का कार्य करना होगा ।

भगवान श्रीकृष्ण से प्रेरणा लेकर धर्मसंस्थापना के लिए कार्य करेंगे ! – रणजीत सावरकर, कार्याध्यक्ष, स्वतंत्रतावीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक

मोहनदास गांधी ने भारत का कोई संबंध न होते हुए भी खिलाफत आंदोलन को समर्थन दिया । इस आंदोलन के कारण केरल के मलबार में हिन्दुओं का सबसे बडा धर्मांतरण किया गया । सहस्रों हिन्दू महिलाओं पर अत्याचार किए गए । पंजाब में भी हिन्दुओं की हत्याएं की गईं; परंतु इतना सब होकर भी गांधी ने इसका कभी भी निंदातक नहीं की । स्वतंत्रतावीर सावरकर ने ‘इतिहास से सिखिए और इतिहास के चूकों की आवृत्ति न कीजिए’, यह सीख दी । आज भी भारत के प्रत्येक क्षेत्र में छोटे पाकिस्तान बन गए हैं । शत्रुओं को उसी भाषा में उत्तर देने के लिए कृष्णनीति का उपयोग करना चाहिए । भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं शस्त्र नहीं उठाया; परंतु उन्होंने युद्ध की प्रेरणा दी । हमें भी भगवान श्रीकृष्ण से प्रेरणा लेकर धर्मसंस्थापना के लिए कार्य करना होगा । ‘रामराज्य स्थापन करना’ हमारा उद्देश्य है, इसे हमें कभी नहीं भूलना चाहिए ।

संगठन भले ही अलग-अलग हों; परंतु हिन्दू राष्ट्र की स्थापना ही हमारा लक्ष्य है ! – डॉ. विजय जंगम, राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष एवं प्रवक्ता, अखिल भारतीय वीरशैव लिंगायत महासंघ

लिंगायत समाज हिन्दू नहीं है, ऐसा भ्रम फैलाया गया था । उसके पीछे मतों की राजनीति है । हिन्दू संगठित न हो; इसके लिए जातिव्यवस्था को बल देना कांग्रेस का षड्यंत्र है । लिंगायत एवं वीरशैव ये दोनों हिन्दू ही हैं, इसके प्रति आश्वस्त रहिए । हिन्दू राष्ट्र के लिए चाहे हमें बलिदान भी देना पडेगा, तो चिंता की कोई बात नहीं है । इतिहास में हमारा नाम रहे अथवा न रहे; परंतु मैं एक हिन्दू के घर में जन्मा हूं, ऐसा हम गर्व के साथ कह सकेंगे, ऐसा हमें कार्य करना चाहिए । संगठन और उनकी कार्यप्रणाली भले ही अलग-अलग हो; परंतु हम सभी का ध्येय हिन्दू राष्ट्र की स्थापना ही है ।

हिन्दू यदि संगठित हुए, तभी जाकर भारत का भविष्य उज्ज्वल होगा !- भार्गवश्री बी.पी. सचिनवाला, संचालक, परशुराम तपोवन आश्रम, वसई

हिन्दुओं को धर्म समझा न देने का षड्यंत्र रचा गया; इसलिए हिन्दुओं का अपना धर्म समझ लेकर उसके अनुसर आचरण करना महत्त्वपूर्ण है, तभी जाकर उनमें क्रांति की भावना जागृत हो सकती है । स्वतंत्रता के ७५ वर्ष उपरांत भी हम गोहत्या रोक नहीं सके हैं और भावी पीढी को सच्चा इतिहास नहीं सिखा सके हैं । आज इस कार्य को करने की आवश्यकता है । डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने संसद में जवाहरलाल नेहरू को संविधान में संशोधन करने की आवश्यकता बताई थी । आनेवाले समय में हिन्दू जागृत हुए, तभी जाकर भारत का भविष्य उज्ज्वल होगा ।

मांगकर लेने का नहीं, अपितु हिन्दू राष्ट्र स्थापन करने का विषय है ! – ह.भ.प. प्रदीप महाराज पाटिल, पालघर जिला अध्यक्ष, राष्ट्रीय वारकरी परिषद

पालघर जिले की अनेक आदिवासी बस्तियों पर बडी संख्या में धर्मांतरण की घटनाएं हो रही है । वहां की एक बस्ती में श्री दुर्गादेवी के नाम से चाय की दुकान चलाकर उसके माध्यम से ईसाई धर्मांतरण की योजना चल रही थी । उस दुकान में ईसायों के पुस्तक िमले । इस घटना के कारण अब वहां के स्थानीय लोग जागृत हो रहे हैं । यह विश्व हिन्दू धर्म के आधार पर ही टिका हुआ है । हिन्दू राष्ट्र मांगने का विषय नहीं । उसकी स्थापना करने के लिए प्रयास करने होंगे ।

मादक पदार्थाें की बिक्री से प्राप्त पैसों का उपयोग सीएए विरोधी आंदोलन में किया गया ! – अधिवक्ता एस्. बालकृष्णन, मुंबई उच्च न्यायालय

मादक पदार्थाें की बिक्री से प्राप्त पैसों की आपूर्ति कुछ राष्ट्रद्रोही संगठनों को की जा रही है और यही संगठन सीएए कानून का विरोध कर रहे हैं । रोहिंग्याओं को कश्मीर में लाने के लिए इन्हीं पैसों का उपयोग किया गया । कुछ निजी बंदरगाहों पर मादक पदार्थाें का लेद-देन हो रहा है । ऐसे संवेदनशील बंदरगाहों को सरकार के नियंत्रण में लाना आवश्यक है ।

‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना’ पत्थर पर खींची गई लकीर है ! – ह.भ.प. सुभाष महाराज बन, तीर्थक्षेत्र समिति के कार्यकारी प्रमुख, महाराष्ट्र प्रदेश वारकरी संप्रदाय

धार्मिक स्थलों पर लगाए गए भोंपुओं को हटाने का सर्वाेच्च न्यायालय का आदेश होते हुए भी मस्जिदों पर लगे भोंपू हटाए नहीं जाते, यह न्यायालय की अवमानना है । इसके विरोध में विभिन्न स्थानों पर शिकायतें की जानी चाहिएं । पांचों उंगलिया इकट्ठा करने पर ही मुट्ठी बनती है और मुट्ठी बनाने पर ही उसमें शक्ति आती है । हिन्दू धर्म पर हो रहे आघातों के विरोध में भी हिन्दुओं को इसी प्रकार एकत्र आना चाहिए । हिन्दुओं को अपने बच्चों को धर्मशिक्षा देनी चाहिए । ‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होनेवाली है’, यह पत्थर पर खींची गई लकीर है ।

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