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कश्मीरी हिन्दुओं को न्याय की मांग के लिए सर्वोच्च न्यायालय में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल कर लगाई जांच की गुहार

नई दिल्ली : द कश्मीर फाइल्स फिल्म में कश्मीरी हिन्दुओं के साथ हुए नरसंहार को देखने के बाद एक बार फिर से ये मांग उठने लगी है कि कश्मीरी हिन्दुओं को न्याय मिलना चाहिए। इसी सिलसिले में गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय में कश्मीरी हिन्दुओं के संगठन ‘रूट्स इन कश्मीर’ की ओर से क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल कर मामले की जांच की गुहार लगाई गई है। सर्वोच्च न्यायालय ने कश्मीरी हिन्दुओं की मौत के मामले में दाखिल अर्जी 2017 में खारिज कर दी थी तब सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि, मामले में 27 साल बाद सबूत नहीं है।

‘देरी के आधार पर केस खारिज करना गलत’

सर्वोच्च न्यायालय में अब याचिकाकर्ताओं की ओर से क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल की गई है। याचिका दाखिल कर कहा गया है कि, मामले में देरी के आधार पर केस खारिज किया जाना गलत है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि मामले को दोबारा शुरु किया जाए और देरी के आधार पर अर्जी खारिज किया जाना मुख्य आधार है और यह आधार गलत है। इसे कानून के नजर में दोषपूर्ण कहा गया है।

सर्वोच्च न्यायालय ने क्यों खारिज की थी अर्जी

सर्वोच्च न्यायालय ने 24 जुलाई 2017 को जांच की मांग वाली याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि घटना के 27 साल बाद साक्ष्य नहीं हैं। जो भी हुआ वह हृदय विदारक था लेकिन अब आदेश नहीं हो सकता है। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय में रिव्यूपिटिशन दाखिल की गई थी जिसे 24 अक्टूबर 2017 को खारिज किया गया गया था और अब क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल किया गया है।

सर्वोच्च न्यायालय के तब के चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा था कि इस मामले को 27 साल हो गए। उन मामलों में सबूत एकत्र करना बेहद मुश्किल होगा। लोग वहां से पलायन भी कर चुके हैं। न्यायालय ने याचिकाकर्ता से कहा था कि आप 27 साल से इस मामले में बैठे रहे अब आप बताइये की सबूत कहां से इकट्ठे होंगे।

याचिकाकर्ता ने कहा था कि, इस दौरान केंद्र व राज्य ने ध्यान नहीं दिया और न्यायपालिका में इस पर कार्रवाई नहीं हो पाई। 700 कश्मीरी हिन्दुओं की हत्या के मामले में 215 केस दर्ज हुए लेकिन किसी भी मामले में जांच नतीजे तक नहीं गई। सर्वोच्च न्यायालय ने देरी के आधार पर याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था।

स्रोत : नवभारत टाइम्स

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