कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार को ‘झूठा’ कहनेवाली भारत की लिबरल्स गैंग का अब इस विषय में क्या कहना है ? – सम्पादक, हिन्दुजागृति
वॉशिंगटन स्थित इंटरनेशनल कमीशन फॉर ह्यूमन राइट्स एंड रिलीजियस फ्रीडम (ICHRRF) ने माना है कि, कश्मीरी हिन्दुओं का 1989-1991 के दौरान नरसंहार किया गया था। रविवार को हुई विशेष सुनवाई में करीब 12 कश्मीरी हिन्दुओं ने गवाही देते हुए अपने परिजनों के साथ हुई अत्याचारों की आपबीती सुनाई। आयोग ने भारत सरकार व जम्मू कश्मीर की सरकार को इसे नरसंहार मानते हुए दोषियों को सख्त सजा का आह्वान किया है। हाल ही में आई चर्चित फिल्म द कश्मीर फाइल्स में भी हिन्दुओं के साथ हुए जुल्म को दर्शाया गया है।
ICHRRF officially recognizes the Kashmiri Hindu Genocide, 1989-1991 https://t.co/X1j9hH9ZCB
— ICHRRF (@ICHRRF) March 28, 2022
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता आयोग मानव अधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए कार्यरत है। आयोग ने 27 मार्च को कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार के मुद्दे पर सुनवाई की। इसमें कई पीड़ितों व बचे लोगों ने शपथपूर्वक गवाही दी और साक्ष्य प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि, यह जातीय व सांस्कृतिक संहार था। आयोग ने कहा है कि, वह नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों के पीड़ितों और बचे लोगों की गरिमा सुनिश्चित करने और ये अपराध करने वालों को सजा दिलाने के लिए तत्पर है।
दुनिया सुने जुल्म की कहानियां
आयोग ने भारत सरकार और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की सरकार से कश्मीरी हिंदुओं पर 1989-1991 के अत्याचारों को नरसंहार के रूप में स्वीकार करने का आह्वान किया है। आयोग ने अन्य मानवाधिकार संगठनों, अंतर्राष्ट्रीय निकायों की इसकी पड़ताल करने और इसे नरसंहार मानने की भी अपील की है। आयोग ने यह भी कहा कि दुनिया को कश्मीरी हिन्दुओं के साथ हुए जुल्म की कहानियों को सुनना चाहिए। इन अत्याचारों के प्रति पूर्व में बरती गई निष्क्रियता पर गंभीरता से आत्मनिरीक्षण करना चाहिए और उसे नरसंहार के रूप में मान्यता प्रदान करना चाहिए।
4 लाख हिन्दुओं को निकाला गया, हत्याएं व सामूहिक दुष्कर्म किए गए
90 के दशक में कश्मीर में हिन्दुओं के हजारों घरों और मंदिरों को नष्ट कर दिया गया। 400,000 से अधिक कश्मीरी हिंदू पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को आतंकवादियों द्वारा बंदूक की नोंक पर निर्वासित करने के लिए मजबूर किया गया, उनके घरों और उनके द्वारा जानी जाने वाली हर चीज से बेदखल कर दिया गया। महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। उन्हें आरी से दो टुकड़ों में काट दिया गया। कश्मीर पंडित व उनकी संस्कृति बीते 32 सालों में विलुप्त होने के कगार पर हैं।
यहूदी नरसंहार की दिखी झलक
नवाई के दौरान पीड़ितों के अनेक परिजनों ने अपने प्रियजनों के साथ हुए अत्याचारों की हृदय विदारक दास्तां सुनाई। उन्होंने इसकी तुलना यहूदियों के नरसंहार से की। उन्होंने कहा कि आतंकियों ने उन्हें बलपूर्वक कश्मीर से निकाला। इनमें बड़ी संख्या में हिंदू, महिलाएं व पुरुष व बच्चे थे।
स्रोत : अमर उजाला