कर्नाटक सरकार ने विद्यालयीन पाठ्यपुस्तकों से ब्राह्मणों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले पाठों को हटाने का निर्णय लिया है। आठवीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में ‘नए धर्मों का उदय’ अध्याय के प्रारंभिक भाग को हटाने की सिफारिश की गई थी।
कर्नाटक सरकार द्वारा गठित पाठ्यपुस्तक समीक्षा समिति ने कहा है कि, ब्राह्मणों की भावनाओं को आहत करने वाली सामग्री को हटा दिया जाना चाहिए और वहां सनातन धर्म की जानकारी जोडी जानी चाहिए।
कक्षा आठवीं की सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक के छठे अध्याय के प्रारंभिक भाग में कहा गया है कि, वैदिक काल में हवन के समय घी और दूध के प्रयोग से अन्न की कमी होती थी। संस्कृत के धार्मिक संस्कारों में संस्कृत मंत्रों के जप में क्या प्रयोग होता था, यह उस समय के सामान्य लोगों को समझ में नहीं आता था। पाठ्यपुस्तक के पाठ में कहा गया कि, बौद्ध और जैन धर्म ने सरल भाषा सिखाई, जिससे इन धर्मों का विकास हुआ। यह पाठ ब्राह्मणों की भावनाओं को आहत कर सकता है, इसलिए इस पाठ को हटाने का निर्णय लिया गया।
Karnataka textbook panel recommends
To add more info on Sanatana Dharma
To Remove parts that ‘hurt Brahmin sentiments
Remove chapters which blame the Vedic way of life for the rise of other religions
Add lessons on the Ahom,Karkota dynasty, and the history of Kashmir
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— Sheetal Chopra ?? (@SheetalPronamo) March 31, 2022
पाठ्यपुस्तक समीक्षा समिति के अध्यक्ष रोहित च्रकतीर्थ ने कहा, “वर्तमान पाठ्यपुस्तक में कहा गया है कि, सामान्य लोग संस्कृत भाषा का पालन नहीं कर सकते थे और भारत में जैन और बौद्ध जैसे अन्य धर्मों के उदय के लिए वैदिक जीवन शैली को दोष देते हैं। लेकिन जब हमने पाठ्यपुस्तक में किए गए इन दावों की वैधता की जांच की, तो हमें कोई प्रमाण नहीं मिला। यह सिर्फ लेखक की राय है। इसलिए, हमने इसे पाठ्यपुस्तकों से हटाने का सुझाव दिया और सनातन धर्म के बारे में जानकारी जोडने की सिफारिश की ।’’
स्रोत : इंडियान एक्प्रेस