दैनिक ‘सनातन प्रभात’ से हिन्दुत्व के विषय में अत्यंत स्पष्टता से विचार रखे जाते हैं ! – पू. भास्करगिरि महाराज, मठाधिपति, दत्त देवस्थान
देवगढ (जनपद नगर) : दैनिक ‘सनातन प्रभात’ से हिन्दुत्व के विषय में अत्यंत स्पष्टता से विचार रखे जाते हैं । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने इन नियतकालिकों में रखे जानेवाले विचार किसी को अच्छे लगेंगे अथवा नहीं और उसके क्या परिणाम होंगे ?, इसकी कभी चिंता नहीं की । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने अपने नियतकालिकों और ग्रंथों में समाज के सामनेकेवल हिन्दुओं का पक्ष न रखकर हिन्दू धर्म में बताए गए आचारों, संस्कारों और प्रत्येक कृत्य के शास्त्र के संबंध में बहुत ही सुंदर लेखन किया है, ऐसा प्रतिपादन नगर जनपद के देवगढ के दत्त देवस्थान के मठाधिपति पू. भास्करगिरि महाराज ने किया । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से १२ और १३ मार्च को देवगढ में नगर, नांदेड एवं परभणी इन जनपदों के धर्मप्रेमियों के लिए हिन्दू राष्ट्र संगठक कार्यशाला ली गई, उसमें वे ऐसा बोल रहे थे ।
इस अवसर पर सनातन संस्था के धर्मप्रचारक सद्गुरु नंदकुमार जाधवजी और हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने भी उपस्थित धर्मप्रेकियों को संबोधित किया । इस कार्यशाला में धर्मप्रेमियों ने हिन्दू जनजागृति समिति की हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभाएं, सामूहिक गुढीयां खडी करना, रक्षाबंधन आदि विविध उपक्रमों में सम्मिलित होने, साथ ही हिन्दू राष्ट्र स्थापना के कार्य में क्रियाशील होकर प्रतिदिन कुछ घंटे समय देने का दृढनिश्चय किया।
पू. भास्करगिरि महाराज ने आगे कहा कि,
१. हिन्दुओं के मंदिर केवल पत्थरों, ईटों और मिट्टी से बनाए गए निर्माणकार्य नहीं हैं, अपितु वो संस्कार के केंद्र और संस्कृति हैं । मंदिरों के माध्यम से हिन्दू समाज को हिन्दुओं की दिव्यता, भव्यता और मंगलता का अनुभव होता है ।
२. विगत ७०० से ८०० वर्षाें से भारत पर विदेशियों के अनेक आक्रमण हुए, जिन में हिन्दुओं के आस्था के केंद्रों की बहुत हानि हुई । सनातन संस्था के कार्य के लिए देवताओं के आशीर्वाद प्राप्त हैं । संत भक्तराज महाराज एवं परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के आशीर्वाद के कारण सनातन का कार्य केवल भारत में ही नहीं, अपितु विदेशों में भी बढ रहा है ।
क्षणिकाएं
१. पू. भास्करगिरि महाराज ने कार्यशाला के स्थान पर लगाई गई फलक प्रदर्शनी में लगाए हुए प्रत्येक फलक को ध्यानपूर्वक बढा, साथ ही श्री. सुनील घनवट से उसके संबंध में जानकारी भी ली । इस समय महाराज इन फलकों में से जो आवश्यक फलक हैं, उन्हें दत्त मंदिर में लगाने के लिए कहा ।
२. पू. भास्करगिरि महाराज ने कार्यशाला के स्थान पर लगाई गई ग्रंथप्रदर्शनी से कुछ ग्रंथ खरीदे, साथ ही मंदिर में आनेवाले श्रद्धालुओं को पढने के लिए सभी ग्रंथों का एक संच देने के लिए कहा ।
३. इस कार्यशाला के लिए कुछ धर्मप्रेमी संभाजीनगर ग्रामीण क्षेत्र से और अन्य स्थानों से १०० से १५० कि.मी. का प्रवास कर आए थे ।
४. संभाजीनगर के ह.भ.प. किशोर महाराज ने कार्यशाला में पहुंचने के लिए विलंब होने के लिए खेद प्रकट किया और उन्होंने कार्यशाला में भोजप परोसने से लेकर अन्य अनेक सेवाओं में उत्स्फूर्तता से भाग लिया ।