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श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा से हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के माध्यम से हिन्दू राष्ट्र का शंखनाद !

आज के समय में समाज की दुर्दशा के लिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना ही एकमात्र विकल्प ! – राममूर्ति अग्निहोत्री, ज्योतिष अभ्यासी, वृंदावन

मथुरा (उत्तर प्रदेश) : हिन्दू कभी भी और किसी का भी धर्मांतरण नहीं करता । जिसे आनंदमय जीवन जीना है, तो उसे सनातन धर्म का पालन करना चाहिए । केवल हिन्दू धर्म ही सभी के कल्याण की कामना करता है । साधना करने से ही हिन्दू धर्म की महिमा ज्ञात हो सकती है और आनंद का अनुभव हो सकता है । आज के समय में आदिदैविक, आदिभौतिक, आदि आध्यात्मिक समस्याओं और समाज की दुर्गति के लिए हिन्दू राष्ट्र ही एकमात्र विकल्प है, ऐसा प्रतिपदन वृंदावन के ज्योतिष अभ्यासी श्री. राममूर्ति अग्निहोत्री ने किया । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से २७ मार्च २०२२ को मथुरा में आयोजित हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन उत्साहपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ । इस अधिवेशन में मथुरा में कार्य करनेवाले सभी हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन, धर्मप्रेमी और हिन्दू जनजागृति समिति के हितचिंतक बडी संख्या में उपस्थित थे ।

अधिवेशन का आरंभ वृंदावन के ज्योतिष अभ्यासी श्री. राममूर्ती अग्निहोत्री, मथुरा के धर्मप्रेमी श्री. जगदीश भाटिया और सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी के करकमलों से दीपप्रज्वलन कर किया गया । इस अधिवेशन में अखिल भारतीय गुर्जर महासभा के मथुरा जिला अध्यक्ष कैप्टन हरचरण सिंह गुर्जर, प्राचीन कृषि विज्ञान (हाथरस) केंद्र के यहां के श्री. नरेंद्र सिंह एवं भारत विकास परिषद के श्री. प्रकाश वीर सोलंकी ने उपस्थित धर्मप्रेमियों को संबोधित किया । इस अधिवेशन में यमुना रक्षा के लिए कार्य करनेवाले ‘प्रोजेक्ट आत्मनिर्भर संस्थान’ के संस्थापक तथा उद्यमी श्री. रंजीत चतुर्वेदी पाठक भी उपस्थित थे । अधिवेशन के उपरांत संपन्न समूहचर्चा में हिन्दुत्वनिष्ठों और धर्मप्रेमियों ने उत्स्फूर्तता से भाग लेकर ऐसे कार्यक्रमों की नियमितरूप से आयोजन करने की अपेक्षा व्यक्त की ।

हिन्दू राष्ट्र स्थापना के कार्य में हिन्दुओं को संगठितरूप से सहभागी होना चाहिए ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

आज हिन्दू समाज जातियों, संप्रदायों और विविध हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों में बंट गया है । इस अधिवेशन के उपलक्ष्य में हम अपने सभी भेद भूलकर हिन्दू राष्ट्र स्थापना की दिशा में कार्य करने हेतु एक हिन्दू के रूप में एकत्रित हुए हैं । इस अधिवेशन के माध्यम से इस प्रकार से एकत्रित होने का सर्वाेत्तम लाभ मिला है । किसी लडाई में लडनेवाले सैनिक का जितना महत्त्व है, उतना ही महत्त्व सैनिकों को रसद पहुंचानेवाले सैनिकों का है । उसी प्रकार से हिन्दू राष्ट्र स्थापना के कार्य में शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक बल देनेवाले सभी हिन्दुओं का सहभाग महत्त्वपूर्ण है । वर्तमान स्थिति में राष्ट्र और धर्म की स्थिति में परिवर्तन लाने हेतु हिन्दू राष्ट्र की स्थापना आवश्यक है और इस कार्य में हिन्दुओं को संगठितरूप से सम्मिलित होना चाहिए ।

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