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हिन्दुओं को न्याय मिलने के लिए हिन्दू राष्ट्र की ही आवश्यकता – किरण दुसे, हिन्दू जनजागृति समिति

सभा में मार्गदर्शन करते हुए श्री. किरण दुसे

तळंदगे (जनपद कोल्हापुर) : अब हमें जन्महिन्दू से लेकर कर्महिन्दूतक की यात्रा करनी है । हमारे लिए धर्म और राष्ट्र कोई अलग नहीं हैं । हमारे सभी धर्मपुरुष राष्ट्रपुरुष हैं और राष्ट्रपुरुष धर्म का पालन करनेवाले हैं । हिन्दू असहिष्णु, असंवेदनशील और हिंसक हैं, ऐसा जानबूझकर वातावरण बनाया जा रहा है । इस प्रकार हिन्दूविरोधी दुष्प्रचार हिन्दुओं को अपराधी प्रमाणित कर रहा है । इस स्थिति को बदलकर न्याय का राज्य लाने हेतु हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता है, ऐसा आवाहन हिन्दू जनजागृति समिति के कोल्हापुर जनपद समन्वयक श्री. किरण दुसे ने किया । ४ अप्रैल को तळंदगे गांव के जगन्नाथ मंदिर में संपन्न हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभा में वे ऐसा बोल रहे थे ।

सभा में मार्गदर्शन करते हुए श्री. किरण दुसे और उपस्थित धर्मप्रेमी

इस सभा में २५० से अधिक धर्मप्रेमी उपस्थित थे । सभा के आरंभ में श्री. किरण दुसे ने छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति को पुष्पमाला अर्पित की । उसके उपरांत श्री शिवप्रतिष्ठान हिन्दुस्थान के धारकरी श्री. शिवाजी मोटे ने पगडी पहनाकर श्री. किरण दुसे को सम्मानित किया और राष्ट्रभक्ति पर गीत प्रस्तुत किया ।

सभास्थल पर छत्रपति शिवाजी महाराज को वंदन करते हुए श्री. किरण दुसे

जगन्नाथ मंदिर के न्यासियों और पुजारियों ने सभा के लिए मंदिर के सभागार की उपलब्धता कराने के लिए समिति ने उनके प्रति आभार व्यक्त किया । इस अवसर पर ग्राहक कल्याण फाऊंडेशन के जिलाध्यक्ष श्री. अरुण यादव, हुपरी के चांदी व्यावसायी श्री. शत्रुघ्न ससे और धर्मप्रेमी श्री. राहुल ससे उपस्थित थे ।

सभास्थल पर लगाई गई सात्त्विक उत्पादों की और ग्रंथों की प्रदर्शनी देखते हुए धर्मप्रेमी

विशेषतापूर्ण

१. सभा से पूर्व जोरदार वर्षा हुई । तब भगवान जगन्नाथ और भगवान श्रीकृष्ण से प्रार्थना और नामजप करने के उपरांत वर्षा रुक गई ।
२. तळंदगे गांव की सरपंच श्रीमती जयश्री संजय भोजकर सभा में उपस्थित थीं । उन्होंने हिन्दू जनजागृति समिति के कार्य की प्रशंसा कर गांव-गांव में ऐसी सभाओं के आयोजन की आवश्यकता प्रतिपादित की और उसके लिए सहयोग देने का भी आश्वासन दिया ।
इस अवसर पर श्री. दुसे ने आगे कहा, ‘‘ सरकारी अनुदान से चलनेवाली शिक्षा संस्थानों में केवल हिन्दू धर्म की शिक्षा देने पर ही प्रतिबंध है । इसका अर्थ हिन्दुओं के हिन्दुस्थान में विद्यालयों में कुरआन और बाईबल सिखाया जा सकता है; परंतु भगवद्गीता और हिन्दू धर्म की शिक्षा नहीं दी जा सकती । इस स्थिति में परिवर्तन लाने के लिए हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता है ।
सभास्थल पर लगाए गए धर्मशिक्षा से संबंधित फलक देखते हुए धर्मप्रेमी

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