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हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से रत्नागिरी में संपन्न हुआ एक दिवसीय प्रांतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन

इस्लामी पद्धति से हलाल प्रमाणपत्र देना धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध है – मनोज खाडये, हिन्दू जनजागृति समिति

रत्नागिरी : इस्लामी संगठन इस देश में हलाल प्रमाणपत्र व्यवस्था के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को समानांतर अर्थव्यवस्था खडक्ष करने का षड्यंत्र चला रहे हैं । यह देश की सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत घातक है । कुरआन में हलाल अर्थव्यवस्था के विषय में कहीं पर भी स्पष्टता से उल्लेख नहीं है । देश में खाद्यपदार्थाें से संबंधित प्रमाणपत्र देने के लिए एफ्.एस्.एस्.ए.आई. (भारतीय अन्न सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण) और एफ्.डी.ए. (अन्न एवं औषधि प्रशासन) जैसी आधिकारिक सरकारी संस्थाओं के होते हुए भी पैसे लेकर इस्लामी पद्धति से प्रमाणपत्र देना धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध है और देश के बहुसंख्यक उद्यमियों और वंशपरंपरा से मांस का व्यापार करनेवाले हिन्दू खटिक समुदाय के साथ किया जा रहा अन्याय है, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के पश्चिम महाराष्ट्र, कोंकण, गोवा एवं गुजरात राज्य समन्वयक श्री. मनोज खाडये ने किया । ३ अप्रैल को रत्नागिरी एवं सिंधुदुर्ग जनपदों का एक दिवसीय प्रांतीय हिन्दू अधिवेशन यहां के अंबर सभागार में संपन्न हुआ, उसमें मार्गदर्शन करते हुए वे ऐसा बोल रहे थष । इस अवसर पर व्यासपीठ पर सद्गुरु सत्यवान कदमजी और दापोली के ह.भ.प. किशोर महाराज चौगुले उपस्थित थे ।

व्यासपीठ पर बाईं ओर से ह.भ.प. किशोर महाराज चौगुले, सद्गुरु सत्यवादन कदमजी, श्री. मनोज खाडये और सामने वेदमंत्र का पाठ करनेवाले पुरोहित श्री. प्रसाद सहस्रबुद्धे एवं श्री. मयुर जोशी
अधिवेशन में उपस्थित रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग जनपदों के हिन्दुत्वनिष्ठ

जो व्यक्ति सिखाई हुई बात का क्रियान्वयन करता है, वही वास्तव में सिखता है – सद्गुरु सत्यवान कदमजी

आज का समय संधिकाल है । संधिकाल में की जानेवाली साधना का अनेक गुना लाभ मिलता है । भगवान का यह वचन है कि ‘मेरे भक्तों का कभी नाश नहीं होगा’ । भगवान भक्तों की रक्षा करते हैं; परंतु उसके लिए भगवान का भक्त बनना पडेगा । भक्त प्रल्हाद इस एक भक्त के लिए भगवान को अवतार लेना पडा, यही भक्ति की शक्ति है । इस प्रांतीय अधिवेशन से सभी को प्रेरणा मिली है । सभी को उत्साह प्रतीत हो रहा है । यहां सभी को अनेक विषय सिखने को मिले, उसका क्रियान्वयन करने का प्रयास करेंगे । जो व्यक्ति सिखी हुई बातों का क्रियान्वयन करना है, वही वास्तव में सिखता है ।

ऐसा अधिवेशन तहसीलस्तर पर होना चाहिए – ह.भ.प. नंदकुमार कालेकर महाराज, दापोली

आप सभी इस पवित्र और अलौकिक कार्य में सम्मिलित हुए । इस अवधि में प्रत्येक धर्मप्रेमी के अंतर्मन में अपने हिन्दू धर्म के प्रति स्फूर्ति जागृत हो रही थी । ऐसा अधिवेशन तहसीलस्तर पर होना चाहिए, जिससे यह विषय सभी लोगोंतक पहुंच जाएगा । यह विषय जमिनीस्तर के हिन्दुओंतक पहुंचना चाहिए । वह जबतक नहीं पहुंचता, तनबतक आध्यात्मिक क्रांति आना असंभव है ।

हिन्दूबहुल धर्मनिरपेक्ष भारत में हिन्दुओं के साथ हो रहे अन्याय को रोकने हेतु धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र ही चाहिए – विनय पानवळकर, हिन्दू जनजागृति समिति

भारत अनादि काल से हिन्दू राष्ट्र ही है । इसी भूमि में हिन्दुओं के लिए वंदनीय श्रीराम-कृष्णादि अनेक अवतार हो गए । छत्रपति शिवाजी महाराज का हिन्दवी स्वराज्य भी इसी भूमि में हुआ । स्वतंत्रता के उपरांत मुसलमानों ने धर्म के आधार पर पाकिस्तान और बांग्लादेश बनाए और दुर्भाग्यवश भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया गया । इसी धर्मनिरपेक्षता और सर्वधर्मसमभाव के नाम पर अन्य पंथियों को सुविधाएं दी जाती है और देश के बहुसंख्यक हिन्दुओं के साथ अन्याय किया जा रहा है । सभी सरकारी नीतियां, अनुदान और संरक्षण अल्पसंख्यकों के लिए ही है । भारत में रहकर ‘वन्दे मातरम्’ और ‘भारत माता की जय’ बोलना अस्वीकार करनेवाले मुसलमानों को हज यात्रा के लिए, विद्यालयों-महाविद्यालयों में शिक्षा लेने हेतु और मदरसों में काम करनेवाले मौलवियों के लिए अनुदान दिया जा रहा है, तो दूसरी ओर हिन्दुओं के वेदपाठशालाओं की उपेक्षा हो रही हैं और गुरुकुल बंद हो चुके हैं । हमारे देश में कुंभपर्व में आनेवाले हिन्दू श्रद्धालुओं से कर वसूला जाता है । देश के अन्य धर्मियों के प्रार्थनास्थल सरकार के नियंत्रण में नहीं है; परंतु हिन्दुओं के मंदिर हैं । आज हमारे देश में समानता के नाम पर यह असमानता है । आज के धर्मनिरपेक्ष देश में हिन्दुओं के लिए कानून और अल्पसंख्यकों को सभी प्रकार के लाभ !, यह समीकरण बन गया है । धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिन्दुओं के साथ हो रहा अन्याय रोकने के लिए अब धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र ही चाहिए ।

हिन्दू धर्म और हमारे देश को प्राप्त सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखना हमारा कर्तव्य – संजय जोशी, हिन्दू जनजागृति समिति

भारत को स्वतंत्रता प्राप्त होकर ७४ वर्ष बीत गए; परंतु अभीतक स्वराज्य का सुराज्य में रूपांतरण नहीं हुआ है । छत्रपति शिवाजी महाराज पिता की भांति अपनी प्रजा का ध्यान रखते थे । छत्रपति शिवाजी महाराज के स्वराज्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले किलों की पुरातत्त्व विभाग से उपेक्षा की जा रही है । भारत के स्वतंत्रता संग्राम में बहुमूल्य योगदान देनेवाले और जिन्हें हमने ‘लोकमान्य’ यह उपाधि दी, उन लोकमान्य बाल गंगाधर तिल का रत्नागिरी में स्थित स्मारक भी इसी प्रकार से उपेक्षित है । राज्य के ऐसे अनेक किलों, स्मारकों, नदियों और समुद्र की इसी प्रकार से दुःस्थिति हुई है । हमारे हिन्दू धर्म को और देश को प्राप्त इस सांस्कृतिक धरोहर को संजोना, हमारा कर्तव्य है और इसके लिए स्वराज्य का सुराज्य में रूपांतरण होना आवश्यक है ।

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