Menu Close

‘मैकडोनल्ड’ द्वारा भारत में हिन्दुओं पर ‘हलाल’ अनिवार्य क्यों ? – हिन्दू जनजागृति समिति का प्रश्न

‘हलाल’ के आग्रह के कारण भारत में बहुसंख्यक हिन्दुओं को खाने की स्वतंत्रता नहीं !

पत्रकार वार्तामें बाई ओर से ‘हिंदु टास्क फोर्स’के संस्थापक अधिवक्ता खुश खंडेलवाल, हिन्दू जनजागृति समितिके प्रवक्ता श्री. सतीश कोचरेकर और सनातन संस्थाकी डॉ. (श्रीमती) दीक्षा पेंडभाजे

मुंबई – धर्मनिरपेक्ष भारत में प्रत्येक को उसके धर्मानुसार/पंथानुसार आचरण करने की स्वतंत्रता है, ऐसा कहा जाता है; परंतु भारत के बहुसंख्यक हिन्दुओं को यह स्वतंत्रता नहीं है । मुसलमान इस्लामी मान्यता के अनुसार ‘हलाल’ मांस का आग्रह करते हैं तथा मांसाहारी हिन्दुओं और सिखों के लिए ‘झटका’ मांस खाने की मान्यता है । सिखों की राहत मर्यादा में ‘हलाल’ मांस निषिद्ध कहा गया है । ऐसा होते हुए भारत में व्यवसाय करनेवाले ‘मैकडोनल्ड’ जैसे विदेशी प्रतिष्ठान केवल हलाल प्रमाणित मांसाहारी पदार्थ उपलब्ध करवा रहे हैं । क्या यह भारत के बहुसंख्यक हिन्दुओं का अपमान नहीं है ? आज भारत में 80 प्रतिशत बहुसंख्यक हिन्दू समाज होते हुए भी उन्हें हलाल खाना अनिवार्य करना, यह संविधान के धर्मनिरपेक्ष तत्त्व के विरुद्ध तथा हिन्दुओं की धार्मिक स्वतंत्रता की हानि करनेवाला नहीं है क्या ? ऐसा स्पष्ट प्रश्न हिन्दू जनजागृति समिति के प्रवक्ता श्री. सतीश कोचरेकर ने उपस्थित करते हुए ‘हिन्दू हलाल मांस न खाएं’ ऐसी भूमिका प्रस्तुत की । वे मुंबई मराठी पत्रकार संघ में आयोजित पत्रकार परिषद में बोल रहे थे । इस अवसर पर ‘हिन्दू टास्क फोर्स’ के अधिवक्ता खुश खंडेलवाल और सनातन संस्था की डॉ. (श्रीमती) दीक्षा पेंडभाजे भी उपस्थित थे ।

मुसलमानों का उनके पंथानुसार ‘हलाल’ खाने का विरोध करने का कारण नहीं है; परंतु मुसलमानों की दुकानों द्वारा हिन्दुओं से पैसे लेकर उन्हें बेचा जानेवाला मांस ‘हलाल’ ही क्यों होता है ? इस प्रकार हिन्दू ग्राहकों को उनके ग्राहक अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है । ‘हलाल’ इस्लाम के अनुसार मान्य तथा ‘हराम’ इस्लाम के अनुसार निषिद्ध है । इस्लामी नियमों के अनुसार हलाल करनेवाला व्यक्ति ‘मुसलमान’ ही होना आवश्यक है । उसने पशु का सिर मक्का की दिशा में कर इस्लामी कलमा पढकर उस प्राणी का गला चाकू के एक घाव में काटना होता है । तत्पश्चात पशु को संपूर्ण रक्त बह जाने तक वैसे ही तडपते हुए रखा जाता है । हलाल करते समय ‘बिस्मिल्लाह अल्लाहु अकबर’ कलमा पढकर वह अल्लाह का है, ऐसी घोषणा की जाती है । इस प्रकार इस्लामी धार्मिक प्रथाओं द्वारा किया हुआ ‘हलाल’ मांस खाना हिन्दुओं को अनिवार्य करना हिन्दुओं का धर्मभ्रष्ट करने के समान ही है ।

आज यह हलाल केवल मांस अथवा खाद्यपदार्थाें तक सीमित नहीं रह गया है, अपितु उसे एक अर्थव्यवस्था बना दिया गया है । उसके अंतर्गत सौंदर्यप्रसाधनों से लेकर चिकित्सालयों तक हलाल प्रमाणपत्र आवश्यक किया गया है । भारत के प्रतिष्ठानों को इस्लामिक राष्ट्रों में उत्पादन निर्यात करने के लिए ‘हलाल’ प्रमाणपत्र अनिवार्य किया गया है । भारत में ‘FSSAI’ और ‘FDA’ आदि सरकारी संस्थाएं होते हुए भी तथा उनका प्रमाणपत्र लिया होने पर भी ‘जमियत उलेमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट’, ‘जमियत उलेमा-ए-महाराष्ट्र’ आदि कुछ मुस्लिम धार्मिक संस्थाओं द्वारा हलाल सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य किया जा रहा है । ‘जमियत उलेमा-ए-हिंद’ संस्था भारत की विविध जिहादी आतंकवादी कार्यवाहियों तथा बमविस्फोट के प्रकरण में बंदी बनाए गए मुसलमान आरोपियों के केस निःशुल्क लड रही है । इससे उजागर होता है कि ‘हलाल’ के पैसे का उपयोग आतंकवाद के लिए किया जा रहा है । इससे भविष्य में भारत की अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा पर संकट निर्माण हो सकता है । इसलिए हिन्दू ‘हलाल प्रमाणपत्र’ की वस्तुओं का बहिष्कार करें और सरकार ‘FSSAI’ होते हुए निजि रूप से चलाई जानेवाली अवैध ‘हलाल’ सर्टिफिकेशनव्यवस्था तत्काल बंद करे, ऐसी मांग इस समय श्री. सतीश कोचरेकर ने की ।

हलाल प्रमाणपत्र के संबंध में आधुनिकतावादी मौन क्यों हैं ! – अधिवक्ता खुश खंडेलवाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में श्रीराम के मंदिर के जीर्णाेद्धार के लिए गए थे, तब कुछ आधुनिकतावादियों को भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, इसका स्मरण हुआ था । भारत के कुछ प्रतिष्ठान सर्व पदार्थाें के लिए ‘हलाल’ प्रमाणपत्र देते हुए बलपूर्वक वे हिन्दुओं के माथे पर मार रहे हैं । यह धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध है । ऐसे समय इन आधुनिकतावादियों को क्या धर्मनिरपेक्षता का स्मरण नहीं होता ? ‘धर्मनिरपेक्षता’, ‘संविधान प्रदत्त अधिकार’, ‘सर्वधर्मसमभाव’ ऐसे शब्दों का सुविधानुसार उपयोग कर हिन्दुओं पर हो रहे अन्याय के संबंध में मौन रहना, यह दिखावटी आधुनिकतावाद है, ऐसा अधिवक्ता खंडेलवाल ने इस समय कहा ।

अल्पसंख्यक बहुसंख्यकों के धार्मिक मूल्यों के प्रति आदर रखें ! – डॉ. (श्रीमती) दीक्षा पेंडभाजे

भारत में बहुसंख्यक हिन्दू समाज की अपेक्षा सदैव अल्पसंख्यक समाज को अधिक सुविधाएं दी जा रही हैं ।बहुसंख्यक होते हुए भी हिन्दुओं ने कभी अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता पर वार नहीं किया है; परंतु हलाल प्रमाणपत्र के माध्यम से हिन्दुओं की सहिष्णुता का अनुचित लाभ उठाया जा रहा है । बहुसंख्यक समाज पर अल्पसंख्यकों ने ‘हलाल मांस’ खाना अनिवार्य करने को इंग्लैंड के निकोलस तालेब ने ‘अल्पसंख्यकों की तानाशाही’ (Minority Dictatorship) कहा है । देश के अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यक हिन्दुओं के धार्मिक मूल्यों के प्रति आदर रखना चाहिए, ऐसा सनातन संस्था की श्रीमती दीक्षा पेंडभाजे ने इस समय कहा ।

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *