हिन्दू जनजागृति समिति की उत्तर गोवा जिलाधिकारी से मांग
- उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करना पुलिस एवं प्रशासन का कर्तव्य ही है; परंतु तब भी ऐसी मांग करनी ही क्यों पडती है ? न्यायालय के आदेश का पालन न करना क्या न्यायालय की अवमानना नहीं है ?
- पुलिस और प्रशासन अल्पसंख्यकों के संदर्भ में कठोर भूमिका नहीं अपनाते; इसलिए हिन्दुओं को ऐसे विषयों में ध्यान देना पडता है और हिन्दू जब कुछ करते हैं, तो उन पर कट्टरता, धार्मिक सद्भावना को ठेस पहुंचानेवाली मांग आदि आरोप लगाए जाते हैं । – संपादक, हिन्दुजागृति
पणजी : वरुण प्रियोळकर नाम के याचिकाकर्ता ने मार्च २०२१ में मुंबई उच्च न्यायालय के गोवा खंडपीठ से ध्वनिप्रदूषण कानून के अंतर्गत मस्जिदों पर ‘अजान’ के लिए उपयोग किए जानेवाले भोंपुओं को हटाने की मांग की थी । इस प्रकरण में गोवा खंडपीठ के आदेश पर अतिरिक्त जिलाधिकारी ने याचिकाकर्ता और मस्जिदों के व्यवस्थापनों का पक्ष सुनकर प्रशासन से अनुमति लिए बिना मस्जिदों पर भोंपू न लगाने का आदेश दिया था । न्यायालय ने इस आदेश का पालन होने हेतु स्थिति पर ध्यान रखने का आदेश दिया था ।
अतिरिक्त जिलाधिकारी का आदेश होते हुए भी गोवा में सभी मस्जिदों पर ‘अजान’ देने के लिए अवैधरूप से भोंपुओं का उपयोग किया जा रहा है । हिन्दू जनजागृति समिति ने उत्तर गोवा जिलाधिकारी को ज्ञापन प्रस्तुत कर गोवा सरकार से गोवा खंडपीठ के आदेश का पालन करते हुए मस्जिदों पर लगे अवैध भोंपुओं पर कार्यवाही करने की मांग की है । समिति के शिष्टमंडल में सर्वश्री गोविंद चोडणकर, जयेश थळी, सुशांत दळवी, चंद्रकांत (भाई) पंडीत और श्रीमती शुभा सावंत का समावेश था ।
इस ज्ञापन में आगे कहा गया है कि मस्जिदों पर लगे अवैध भोंपुओं से दी जा रही अजान के कारण ध्वनिप्रदूषण हो रहा है और मस्जिदों पर इस प्रकार अवैध भोंपु लगाए जाने को ‘धार्मिक परंपरा’ नहीं कहा जा सकता । अन्य धर्मियों ने भी इसका अनुसरण किया, तो राज्य में बडा विकट प्रसंग उत्पन्न हो सकता है । वास्तव में इस्लाम में ‘अजान’ देने के लिए मस्जिदों पर भोंपु जलाने का कोई धार्मिक आधार नहीं है । शांत नींद लेना मनुष्य का संवैधानिक अधिकार है; परंतु मस्जिदों पर लगे इन अवैध भोंपुओं के कारण बहुसंख्यक समाज के संवैधानिक अधिकार का हनन हो रहा है । अजान के कारण इर्द-गिर्द रहनेवाले वृद्ध नागरिकों और बच्चों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड रहा है ।