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औरंगजेब की क्रूर सोच के सामने चट्टान बनकर खडे हो गए थे गुरु तेग बहादुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि, भारत ने कभी किसी देश या समाज के लिए खतरा पैदा नहीं किया, बल्कि वैश्विक द्वंद्व के बीच आज भी वह विश्व कल्याण की ही सोचता है। सिखों के नौंवें गुरु, गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर लाल किले पर आयोजित एक समारोह में शिरकत करने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि वर्ष 2047 में देश जब अपनी आजादी की 100वीं वर्षगांठ मनाए तब भारत ऐसा हो जिसका सामर्थ्य दुनिया देखे और जो दुनिया को नई ऊंचाई पर ले जाए।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, यह लाल किला कितने ही अहम कालखण्डों का साक्षी रहा है, जिसने गुरु तेग बहादुर के बलिदान को भी देखा है और देश के लिए मरने-मिटने वाले लोगों के हौसलों को भी परखा है। उन्होंने कहा कि, गुरु तेग बहादुर के बलिदान ने भारत की अनेक पीढ़ियों को अपनी संस्कृति की मर्यादा की रक्षा व उसके मान-सम्मान के लिए जीने और मर-मिट जाने की प्रेरणा दी है। पीएम मोदी ने कहा, ‘बड़ी-बड़ी सत्ताएं मिट गईं, बड़े-बड़े तूफान शांत हो गए लेकिन भारत आज भी अमर खड़ा है, आगे बढ रहा है।’

प्रधानमंत्री ने गुरु तेग बहादुर के बलिदान के प्रतीक गुरुद्वारा शीशगंज साहिब का भी जिक्र किया और कहा उस समय देश में जिहादी कट्टरता की आंधी आई थी और धर्म को दर्शन, विज्ञान और आत्मशोध का विषय मानने वाले हिंदुस्तान के सामने ऐसे लोग थे, जिन्होंने धर्म के नाम पर हिंसा और अत्याचार की पराकाष्ठा कर दी थी। उन्होंने कहा, ‘उस समय भारत को अपनी पहचान बचाने के लिए एक बड़ी उम्मीद गुरु तेग बहादुर के रूप में दिखी थी। औरंगजेब की आततायी सोच के सामने उस समय गुरु तेग बहादुर ‘हिन्द दी चादर’ बनकर, एक चट्टान बनकर खड़े हो गए थे।’

इस अवसर पर गुरु तेग बहादुर जी के जीवन को दर्शाने वाला एक भव्य लाइट एंड साउंड शो भी दिखाया गया। यह कार्यक्रम नौवें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर के उपदेशों को रेखांकित करने पर केंद्रित है। गुरु तेग बहादुर ने विश्व इतिहास में धर्म एवं मानवीय मूल्यों, आदर्शों और सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। उन्हें मुगल शासक औरंगजेब के आदेश पर कश्मीरी हिन्दुओं की धार्मिक स्वतंत्रता का समर्थन करने के लिए मार डाला गया था। उनकी पुण्यतिथि 24 नवंबर हर साल शहीदी दिवस के रूप में मनाई जाती है। दिल्ली में गुरुद्वारा शीश गंज साहिब और गुरुद्वारा रकाब गंज उनके पवित्र बलिदान से जुड़े हैं।

स्रोत : इंडिया टीवी

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