हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना ही काल के अनुसार साधना है ! – पू. अशोक पात्रीकरजी, सनातन संस्था
वर्धा : जब जब धर्म को ग्लानि आती है, तब तब धर्म की पुनर्स्थापना होती है । आज के समय में केवल भारत में ही नहीं, अपितु पृथ्वी पर ही संक्रमणकाल चल रहा है । व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन में धर्मपालन न किए जाने से और राष्ट्र को ही धर्मनिरपेक्ष घोषित किए जाने से आज भारत को प्राप्त ग्लानि का हम अनुभव कर रहे हैं । आज सर्वत्र भ्रष्टाचार, अपराधिकता, अनैतिकता, बलात्कार जैसी घटनाएं बढ रही हैं । धर्मग्लानि के काल में धर्मसंस्थापना की साधना करना काल के अनुसार साधना होती है; इसलिए आज के समय में भारत में धर्माधिष्ठित राजव्यवस्था बनाना ही हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करने की साधना होनेवाली है, ऐसा मार्गदर्शन सनातन संस्था के धर्मप्रचारक संत पू. अशोक पात्रीकरजी ने किया । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से यहां के विश्व हिन्दू महासंघ के सभागार में एकदिवसीय हिन्दू राष्ट्र कार्यशाला का आयोजन किया गया था, उसमें वे ऐसा बोल रहे थे ।
इस कार्यशाला में ‘जीवन में साधना का महत्त्व एवं साधना के प्रत्यक्ष प्रयास’ विषय पर पू. अशोक पात्रीकरजी और ६६ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त श्रीमती शिल्पा पाध्ये ने; ‘हिन्दू राष्ट्र स्थापना की मूलभूत संकल्पना’ विषय पर श्री. दीपक जमनारे एवं श्री. श्रीकांत पिसोळकर ने; तो ‘हिन्दू राष्ट्र संगठक की आचारसंहिता कैसी होनी चाहिए ?’ विषय पर श्री. दीपक जमनारे और श्रीमती भार्गवी क्षीरसागर ने मार्गदर्शन किया ।