क्या अमोल मिटकरी में अजान का उपहास करने का साहस है ? – सुनील घनवट, संगठक, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ, हिन्दू जनजागृति समिति
मुंबई : विधायक अमोल मिटकरी ने हिन्दू धर्म में विद्यमान कन्यादान विधि का उपहास किया, तो क्या उसी प्रकार से अजान का उपहास करने का साहस मिटकरी दिखाएंगे ?, यह प्रश्न हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ संगठक श्री. सुनील घनवट ने उठाया हैं । २१ अप्रैल को कोल्हापुर के गांधीनगर पुलिस थाने में समस्त हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों की ओर से राष्ट्रवादी कांग्रेस के विधायक अमोल मिटकरी के विरुद्ध धर्मप्रेमी श्री. विक्रम चौगुले और श्री. अजित पाटिल ने शिकायत पंजीकृत की है । इस अवसर पर सर्वश्री राजू यादव, विराग करी, प्रकाश मुदुगडे, अनिल दळवी, श्रीकांत शिंदे, अजित (अप्पा) पाटिल, पूर्व ग्रामपंचायत सदस्य निवास यमगर, ग्रामपंचायत सदस्य रमेश वाईंगडे, हिन्दू जनजागृति समिति के सर्वश्री शिवानंद स्वामी एवं बाबासाहेब भोपळे उपस्थित थे ।
इस समय श्री. सुनील घनवट ने कहा कि अमोल मिटकरी ने अपने एक भाषण में एक विशिष्ट समाजघटक के विरोध में सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न हो, इस प्रकार से भाषा का प्रयोग किया है । दुर्भाग्यवश उस समय व्यासपीठ पर और उनके सामने बैठे हुए अधिकांश लोग हिन्दू ही थे; परंतु तब भी वे मिटकरी के जात्यंध वक्तव्य का हंसकर प्रत्युत्तर कर रहे थे । एक ओर भोंपुओं के विषय पर मुसलमान समुदाय की भावनाएं आहत होती हैं; इसलिए भोंपुओं के विरुद्ध आवाज उठानेवालों का विरोध किया जाता है, तो दूसरी ओर हिन्दुओं की धार्मिक विधियों का उपहास कर हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को कुचल जाता है । इससे अमोल मिटकरी को किस ‘वोट बैंक’ की चिंता है और किस वोट बैंक के प्रति द्वेष है ?, यह स्पष्टता से दिखाई देता है ।
हिन्दू धर्म में विद्यमान धार्मिक विधियों का उपहास सहन नहीं किया जाएगा ! – समस्त हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन
समस्त हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों की ओर से की गई शिकायत में कहा गया है कि कोई भी उठता है और हिन्दू धर्म में विद्यमान धार्मिक विधियों का उपहास करता है, इसे सहन नहीं किया जाएगा । इसके विरोध में लोकतांत्रिक पद्धति से आंदोलन किया जाएगा । इस भाषण के समय व्यासपीठ पर उपस्थित जलसंपदामंत्रक्ष जयंत पाटिल और सामाजिक न्यायमंत्री धनंजय मुंडे ये दोनों यदि समाज में विद्वेष फैलानेवालों का साथ देते हों, तो कक्या राज्य में सामाजिक न्याय टिक पाएगा ? विधायक मिटकरी ने ‘वाचा मौनस्य श्रेष्ठम्’, ऐसा ट्वीट किया है । वास्तव में इस संदर्भ में इस प्रकार की उपरी क्षमायाचना अपेक्षित नहीं है, अपितु राजनीतिक दलों के लोगों से ऐसे कृत्य बार-बार क्यों होते हैं ?, इस पर विचार होना चाहिए । संस्कृत श्लोक को आधार बनाकर अमोल मिटकरी अभी भी अपने भाषण के लिए क्षमायाचना करने के लिए तैयार नहीं है । उन्हें सार्वजनिक रूप से हिन्दू समाज से क्षमायाचना करनी चाहिए ।