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हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से शिक्षामंत्री को कार्यवाही करने की मांग का ज्ञापन प्रस्तुत !
बेंगलुरू (कर्नाटक) : यहां के क्लैरेन्स हाइस्कूल में सभी छात्रों को बाईबिल सिखना अनिवार्य किए जाने के विरोध में हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से राज्य के शिक्षामंत्री बी.सी. नागेश से भेंट की गई । समिति के कर्नाटक राज्य प्रवक्ता श्री. मोहन गौडा ने कहा, ‘‘गैरईसाईयों को बाईबिल सिखना अनिवार्य करने के विरोध में शिक्षामंत्री को ज्ञापन प्रस्तुत किया गया । इस पर शिक्षामंत्री श्री. नागेश ने इस विषय में जांच के आदेश दिए हैं, साथ ही ब्योरा मिलने पर तुरंत कार्यवाही का आश्वासन भी दिया है ।
✝️ Compulsion of Bible by Clarence High School, Bengaluru is a ploy to convert students!
As this is against Karnataka Education Act, request submitted by @Mohan_HJS Hindu Janajagruti Samiti to Hon. @BCNagesh_bjp to take immediate action#Convents_forcing_Christianity @PTI_News pic.twitter.com/zIGVDRLaQK
— HJS Karnataka (@HJSKarnataka) April 26, 2022
श्री. गौडा ने आगे कहा कि, राष्ट्रीय बाल आयोग ने बेंगलुरू के जिलाधिकारी के क्लैरेंस प्रकरण में कानूनी कार्यवाही करने के आदेश दिए हैं । हिन्दू जनजागृति समिति अब जिलाधिकारी आरै शिक्षामंत्री की ओर से कार्यवाही की जाने की प्रतीक्षा कर रही है । उसके उपरांत हम कानूनी लडाई लडनेवाले हैं । हमारी यह मांग है कि केवल क्लैरेंस हाईस्कूल ही नहीं, अपितु राज्य के सभी कॉन्वेंट विद्यालयों में धर्मांतरण करना अथवा छात्रों को बाईबिल सिखाने जैसी घटनाएं हो रही हैं क्या ?, ऐसे सभी घटनाओं की जांच की जाए और इन में संलिप्त लोगों को दंड मिले; यह भी हमने शिक्षामंत्री से मांग की है ।
26 अप्रैल
बंगलुरु : एनसीपीसीआर ने क्लेरेंस विद्यालय में छात्रों को बाइबिल ले जाने की सक्ती पर मांगी कार्रवाई रिपोर्ट
बेंगलुरु – राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने हिंदू जनजागृति समिति से शिकायत मिलने के बाद बेंगलुरु के उपायुक्त और जिला मजिस्ट्रेट को पत्र लिखकर क्लेरेंस उच्च विद्यालय की कक्षा में छात्रों को बाइबल पढने के निर्देश के खिलाफ जांच की मांग की है।
@NCPCR_ has written to the Deputy Commissioner and District Magistrate of #Bengaluru after receiving a complaint from #HinduJanajagrutiSamiti to seek an inquiry against Clarence High School's directive to read #Bible every day in class. pic.twitter.com/E1CNavJXkU
— United News of India (@uniindianews) April 26, 2022
एनसीपीआरसी ने लिखा, – “शिकायत में बताए गए आरोपों के मद्देनजर, यह देखा गया है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 और अनुच्छेद 2 और (3), किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के प्रावधानों का प्रथम दृष्टया उल्लंघन है।”
आयोग ने डीसी और डीएम से जांच शुरू करने और बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के लिए आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। इसने उन्हें इस पत्र की प्राप्ति के सात दिनों के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट जमा करने को भी कहा है।
कर्नाटक हिंदू जनजागृति समिति के प्रवक्ता मोहन गौडा ने शनिवार को आरोप लगाया था कि, विद्यालय गैर-ईसाई छात्रों को कक्षा में अनिवार्य रूप से बाइबिल ले जाने के लिए कह रहा है। उन्होंने आरोप लगाया,“विद्यालय ने अपने प्रवेश पत्र में उल्लेख किया है कि, छात्रों को अनिवार्य रूप से बाइबल पढने, ले जाने और सीखने के लिए कहा गया है। वे गैर-ईसाई छात्रों को जबरदस्ती बाइबल पढ़ने और सीखने के लिए मजबूर कर रहे हैं।”
एनसीपीसीआर ने यह भी तर्क दिया कि शिक्षा संस्थान उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों के अनुसार किसी भी छात्र पर धार्मिक शिक्षा लागू नहीं कर सकते हैं।
स्रोत : यूनि-वार्ता
२५ अप्रैल
बंगलुरू के क्लेरेन्स हाईस्कूल में बाइबिल की अनिवार्यता अर्थात विद्यार्थियों के धर्मांतरण का षड्यंत्र – हिन्दू जनजागृति समिति
दक्षिण भारत के अनेक ईसाई कॉन्वेंट विद्यालयों में हिन्दू विद्यार्थियों को बाइबिल सीखना अनिवार्य किया जा रहा है । इस संदर्भ में विद्यालय में प्रवेश लेने के लिए वैसा नियम है, यह बताया जा रहा है; परंतु वास्तव में किसी भी निजि विद्यालय का नियम भारतीय संविधान से बड़ा नहीं हो सकता । जो संविधान प्रत्येक नागरिक को स्वयं के धर्म का पालन करने की धार्मिक स्वतंत्रता देता है, उस पर अतिक्रमण कर बाइबिल सीखना अनिवार्य करना असंवैधानिक है । इसी प्रकार कर्नाटक के बेंगलुरू स्थित क्लेरेन्स हाईस्कूल में बाइबिल की अनिवार्यता विद्यार्थियों के धर्मांतरण का षड्यंत्र है, ऐसा हिन्दू जनजागृति समिति ने कहा है ।
Compulsion of Bible by Clarence High School, Bengaluru is a ploy to convert students ! – HJS@CMofKarnataka and the @BCNagesh_bjp should take strict action against convent schools for such enforced propagation of Christianity @TimesNow @CNNnews18 @ndtvindia @Republic_Bharat pic.twitter.com/CqPoB0NoM6
— HinduJagrutiOrg (@HinduJagrutiOrg) April 25, 2022
वास्तविक रूप से ईसाई विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने के लिए अन्य धर्मीय विद्यार्थियों को प्रवेश देते समय बाइबिल सीखना अनिवार्य करना अनैतिक और कानून के विरुद्ध है । विद्यार्थी विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने के लिए जाते हैं, बाइबिल सीखने के लिए नहीं । बाइबिल सिखाने के लिए चर्च है । विद्यालय शैक्षणिक संस्थाएं हैं, धार्मिक संस्थाएं नहीं, इसका भान कॉन्वेंट विद्यालयों को रखना चाहिए । भारतीय संविधान की धारा 25 सर्व धर्म के नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता देती है । अतः ऐसे समय हिन्दू विद्यार्थियों को बाइबिल सीखना अनिवार्य करना असंवैधानिक है ।
छोटे और अवयस्क बच्चों को बाइबिल सिखाकर आदर्श नागरिक बनाने का दावा करना हास्यास्पद है; क्योंकि आदर्श नागरिक बनाने के लिए बाइबिल ही क्यों सिखाना चाहिए ? तब हिन्दू बच्चों को श्रीमद्भगवद्गीता क्यों न सिखाई जाए ? जो ईसाई विद्यार्थी नास्तिक हैं और उन्हें बाइबिल सीखने की इच्छा नहीं है, तो ऐसे विद्यार्थियों को बाइबिल सीखना अनिवार्य करना क्या उनकी व्यक्ति स्वतंत्रता के विरुद्ध नहीं है ? विद्यालय के प्रधानाध्यापक का कहना है कि, विद्यालय में बाइबिल की अनिवार्यता का नियम पुराना है, इसलिए वह उचित है; परंतु हमारे देश में संविधान और कानून विद्यालय के नियमों की अपेक्षा सर्वोच्च है । इसलिए विद्यालय संविधान और कानून के दायरे में ही चलाए जाने चाहिए । विद्यालय के नियमानुसार संविधान और कानून निश्चित नहीं होते । इसलिए यदि विद्यालय का नियम असंवैधानिक हो, तो वह परिवर्तित होना ही चाहिए । वह पुराना होने के कारण उचित सिद्ध नहीं होता ।
ये ही कॉन्वेंट विद्यालय 21 जून को योग दिन का धर्म के नाम पर विरोध करते हैं । विश्व भर में योग दिन ईसाई, मुसलमान, बौद्ध देशों में मनाया जाता है; परंतु भारत में योग दिन को हिन्दू प्रथा और विद्यालय को सेक्युलर कहकर नकारा जाता है, तब सेक्युलर देश के विद्यालय में बाइबिल को अनिवार्य कैसे कर सकते हैं । इसलिए ईसाई विद्यालय बाइबिल की अनिवार्यता के नाम पर ईसाई धर्मप्रसार करना पहले बंद करें, अन्यथा उसका प्रखर विरोध किया जाएगा । कर्नाटक सरकार और शिक्षा विभाग को ईसाई विद्यालयों द्वार बलपूर्वक किए जा रहे धर्मप्रसार पर कठोर कार्यवाही करनी चाहिए और संबंधितों को यह दिखा देना चाहिए कि, राज्य का कानून सर्वोच्च है, ऐसा भी समिति ने कहा है ।
बेंगलुरू के क्लेरेंस उच्च विद्यालय में छात्रों को बाइबिल पढना किया बंधनकारक, हिन्दू जनजागृति समिति का विरोध
कर्नाटक के बेंगलुरु में एक विद्यालय ने छात्रों के लिए बाइबल को विद्यालय ले जाना अनिवार्य कर दिया है। यहां के क्लेरेंस विद्यालय ने माता-पिता से एक शपथ पत्र भी लिया है, जिसमें कहा गया है कि, छात्रों को विद्यालय में बाइबिल या हिम (भजन) की किताब ले जाने पर कोई आपत्ति नहीं होगी।
हिन्दू जनजागृति समिति ने विद्यालय के इस कदम का तीव्र विरोध किया है । समिति के प्रवक्ता श्री. मोहन गौडा ने कहा है कि, विद्यालय में गैर-ईसाई छात्र भी हैं लेकिन विद्यालय प्रशासन उन्हें भी बाइबल पढने के लिए मजबूर कर रहा है। यह कर्नाटक शिक्षा अधिनियम 2002 का उल्लंघन है । साथ ही इच्छा के विरूद्ध धार्मिक शिक्षा थोपी जाने पर विद्यालय के खिलाफ शिक्षा विभाग से कार्रवाई करने की भी मांग की है ।
Bengaluri based Christians school The Clarence High School Administration made compulsory carrying bible
Doesn't Violation of Karnataka Education Act 2002?
Respected @BCNagesh_bjp @EduMinOfIndia @BSBommai @JnanendraAraga Kindly take legal action against school @Tejasvi_Surya pic.twitter.com/6cW1CajCtR
— ?Mohan gowda?? (@Mohan_HJS) April 21, 2022
इस विवाद के उठने के बाद विद्यालय प्रशासन ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि, विद्यालय में वह लोग बाइबल आधारित शिक्षा ही देते हैं। रिपोर्टों के अनुसार, विद्यालय में प्रवेश के लिए भरे जानेवाले आवेदन पर क्रमांक 11 में लिखा है, “आप पुष्टि करते हैं कि, आपका बच्चा अपने स्वयं के नैतिक और आध्यात्मिक कल्याण के लिए मॉर्निंग असेंबली स्क्रिप्चर क्लास और क्लबों सहित सभी कक्षाओं में भाग लेगा और बाइबल ले जाने पर आपत्ति नहीं करेगा।”
स्रोत : अमर उजाला