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राष्ट्र एवं धर्म पर आए संकट के समय सभी को धर्म के पक्ष में खडे होना चाहिए – पू. नीलेश सिंगबाळजी, धर्मप्रचारक, हिन्दू जनजागृति समिति

पू. नीलेश सिंगबाळजी

लक्ष्मणपुरी (उत्तर प्रदेश) : राष्ट्र एवं धर्म पर मंडरा रहे संकट के समय धर्म के पक्ष में खडे रहना हम सभी का सामूहिक दायित्व है । वर्ष २०२५ में सत्वगुणी हिन्दुओं द्वारा भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होनेवाली है; इसलिए सभी संगठनों को एकत्रित होकर कार्य करने की आवश्यकता है । हिन्दू राष्ट्र की स्थापना केवल मत नहीं, अपितु व्रत बनना चाहिए, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक संत पू. नीलेश सिंगबाळजी ने किया । हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हो; इसके लिए हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से यहां के कैसरबाग स्थित गांधी भवन में राज्यस्तरीय हिन्दू अधिवेशन का आयोजन किया गया था । इस अधिवेशन में रायबरेली, गोरखपुर, जालौन एवं देवरिया क्षेत्र में कार्यरत हिन्दू पर्सनल लॉ बोर्ड, भगवा रक्षा वाहिनी, राष्ट्रीय भगवा युवा संघ, हिन्दू जनसेवा समिति, विश्व हिन्दू दल, जनउद्घोष सेवा संस्थान, हिन्दू जनजागृति समिति और सनातन संस्था जैसे विभिन्न हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ, धर्मप्रेमी और अधिवक्ता सम्मिलित थे । शंखनाद, दीपप्रज्वलन और वेदमंत्रों के उच्चारण के कारण बने चैतन्यमय वातावरण में अधिवेशन का आरंभ हुआ ।

अधिवेशन में हिन्दुत्वनिष्ठों द्वारा किया गया उद्बोधन

जातिभेद मिटाकर सभी को संगठित होना आवश्यक ! – अधिवक्ता शेषनारायण पांडे, गोरखपुर

एक ओर शासनकर्ता जातिभेद मिटाने की बात करते हैं; परंतु दूसरी ओर उन्हीं जातियों के आधार पर तथाकथित अल्पसंख्यकों को आरक्षण दिया जा रहा है । यह जातिभेद नहीं है, तो और क्या है ? इसलिए जातिभेद मिटाकर सभी को संगठित होने की आवश्यकता है ।

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए जमीनी स्तरतक कार्य करना आवश्यक ! – कुलदीप तिवारी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जनउद्घोष सेवा संस्था

आज भारत में एक सबल सरकार होते हुए भी हम हिन्दू यदि धर्म और संस्कृति की रक्षा में कुछ कर नहीं पा रहे हों, तो यह हमारी सबसे बडी दुर्बलता है; क्योंकि हम सभी अभी भी हिन्दुओंतक धर्म की शिक्षा पहुंचा नहीं सके हैं । इसलिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए जमीनी स्तर पर कार्य करने की आवश्यकता है ।

इस अवसर पर हिन्दू पर्सनल लॉ बोर्ड के संस्थापक अधिवक्ता अशोक पांडे ने कहा कि यह देश धर्मनिरपेक्ष होते हुए भी भारत में दो कानून किसलिए हैं ? इसके लिए सभी को जागृत होकर प्रयास करने चाहिए ।

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