आगरा: आगरा के राजा की मंडी रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म एक पर चामुंडा देवी मंदिर के अवैध निर्माण को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। अवैध निर्माण नहीं हटने पर मंगलवार को डीआरएम ने स्टेशन को बंद करने की चेतावनी दी थी, जिसके बाद बुधवार को प्रशासन में हड़कंप मच गया। सुबह एडीएम प्रशासन, एसडीएम, तहसीलदार ने राजस्व टीम के साथ मंदिर का मौका मुआयना किया। प्लेटफार्म पर पैमाइश कराई। फोटो खींचे गए। शाम को डीएम व एसएसपी ने मौके पर निरीक्षण किया है।
चामुंडा देवी मंदिर 1716 वर्ग मीटर में बना है। इसमें 172 वर्ग मीटर निर्माण प्लेटफार्म नंबर एक पर है। इसे हटाने के लिए रेल प्रशासन ने पहले मंदिर कमेटी को नोटिस जारी किया। यात्रियों की सुविधा व सुरक्षा के अलावा ट्रेनों रफ्तार कम होने का हवाला देते हुए अवैध निर्माण नहीं हटने पर स्टेशन को यात्रियों के लिए बंद करने की बात कही। उधर, हिंदूवादी संगठन रेलवे के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। संगठनों ने विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी भी दी है।
— DRM Agra (@DRM_Agra) April 26, 2022
हिंदूवादी संगठन कर रहे विरोध
दूसरी तरफ हिंदूवादी संगठनों ने रेल प्रशासन के निर्णय पर आपत्ति जताते हुए विरोध-प्रदर्शन का एलान किया है। सूत्रों के मुताबिक आगरा रेल मंडल के डीआरएम आनंद स्वरूप ने इस मामले से जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अवगत कराया है। जिसके बाद बुधवार को पहले एडीएम प्रशासन के निर्देश पर एसडीएम सदर व तहसीलदार लेखपालों को लेकर जांच के लिए मंदिर पहुंचे। फिर एडीएम प्रशासन अजय कुमार सिंह ने मुआयना किया।
एडीएम प्रशासन अजय कुमार सिंह ने बताया कि टीम के साथ निरीक्षण किया है। सभी पहलुओं की जांच होगी। मंदिर पहले बना या स्टेशन ये भी जांच का विषय है। निर्माण की पैमाइश की गई है। नक्शा बनाया है। एडीएम, एसडीएम व प्रशासनिक टीम के लौटने के बाद बुधवार शाम को जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह व एसएसपी सुधीर कुमार सिंह मंदिर का मुआयना करने पहुंचे। करीब 15 मिनट उन्होंने मंदिर परिसर के अलावा प्लेटफार्म एक पर हुए निर्माण का जायजा लिया है।
250 साल पुराना है चामुंडा मंदिर
राजामंडी स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर-1 के किनारे पर बना चामुंडा मंदिर करीब 250 वर्ष पुराना है। रेलवे ने मंदिर के पुजारी को नोटिस देकर मंदिर को शिफ्ट करने के लिए 10 दिन का समय दिया था। यह समय सीमा शुक्रवार को समाप्त हो जाएगी। इसके बाद रेलवे मंदिर हटाने के लिए कार्रवाई की चेतावनी दी है। कहा जाता है कि अंग्रेजों ने जब यहां पहली बार लाइन बिछाई थी, तो उसे सीधा ले जाने के लिए मंदिर को हटाने की कोशिश की थी। तमाम प्रयास के बाद भी अंग्रेज अधिकारी मंदिर को तोड़ नहीं सके थे। आखिर में उन्हें यहां रेल की पटरी को घुमावदार आकार में बिछाना पड़ा था।