कर्नाटक के दक्षिण कन्नड जिले में एक शैक्षणिक संस्थान ने घोषणा की है कि, वे उन कश्मीरी हिन्दुओं के बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करेंगे जो अपनी मातृभूमि से विस्थापित हो गए थे और देश में कहीं और बस गए थे।
दक्षिण कन्नड जिले के पुत्तूर तालुक में अंबिका महाविद्यालय वह संस्थान है जो कश्मीरी हिन्दुओं के बच्चों के लिए ये अवसर लेकर आया है।
संस्था के संयोजक सुब्रमण्य नट्टोज ने शनिवार को पुत्तूर में एक संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा करते हुए कहा कि, फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ देखने के बाद वह कश्मीरी हिन्दुओं की दुर्दशा से प्रभावित हुए हैं। नट्टोज ने जम्मू का दौरा किया और उनकी स्थिति का अध्ययन करने के बाद सभी विस्थापित कश्मीरी हिन्दुओं के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का निर्णय लिया।
उन्होंने कश्मीरी छात्रों को छठी कक्षा से ग्रेजुएशन तक की मुफ्त शिक्षा देने की योजना बनाई है। उन्होंने उनके लिए मुफ्त हॉस्टल सुविधा की भी घोषणा की है। संस्थान में एक छात्र की शिक्षा की लागत लगभग 80,000 रुपये होगी और प्रदान की जाने वाली सुविधाओं पर एक वर्ष में 50,000 रुपये खर्च होंगे। ये सभी कश्मीरी हिन्दुओं के बच्चों के लिए मुफ्त मुहैया कराए जाएंगे। नट्टोज ने कहा कि कश्मीरी हिन्दुओं के चार बच्चों को पहले ही संस्था में दाखिला दिया कराया जा चुका है।
इससे पहले शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से 2020-21 की वार्षिक रिपोर्ट पेश की गई । इस रिपोर्ट में भी कश्मीरी पंडितों का जिक्र किया गया था । सरकार ने बताया कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के कारण 64,827 कश्मीरी पंडित परिवारों को 1990 के दशक की शुरुआत में कश्मीर घाटी छोड़ने और जम्मू, दिल्ली और देश के कुछ अन्य हिस्सों में बसने के लिए मजबूर होना पडा था ।