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तमिलनाडु : हिन्दुओं के विरोध के बाद स्टालिन सरकार ने ‘पट्टिना प्रवेशम’ पर लगा प्रतिबंध हटाया

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तमिलनाडु सरकार ने रविवार को शैव मठ के पारंपरिक आयोजन पर से प्रतिबंध हटा दिया, जिसमें शिष्य अपने कंधों पर पालकी ढोते हैं और उनके महंत अंदर बैठे होते है। एक दिन पहले चार शैव मठों के प्रमुखों ने यहां मुख्यमंत्री एम के स्टालिन से मुलाकात की थी। पाबंदी के खिलाफ श्रद्धालुओं, भारतीय जनता पार्टी और कुछ हिंदू संगठनों ने रोष जताया था। पारंपरिक आयोजन ‘पट्टिना प्रवेशम’ में श्रद्धालुओं द्वारा मठ परिसर में और उसके आसपास महंत को एक पालकी पर ले जाया जाता है।

इससे पहले मयिलादुथुराई के राजस्व मंडल अधिकारी जे बालाजी ने 22 मई को होने वाले कार्यक्रम के लिए प्रतिबंध आदेश जारी किया था। उन्होंने इस प्रथा को ‘मानवाधिकारों का उल्लंघन’ करार दिया था।

धर्मपुरम अधीनम के महंत श्री ला श्री मासिलामणि देसिका ज्ञानसंबंध परमाचार्य स्वामी ने मयिलादुथुराई जिले में संवाददाताओं से कहा कि स्टालिन ने आध्यात्मिक नेताओं को बताया कि वे 22 मई को कार्यक्रम के अनुसार पारंपरिक आयोजन कर सकते हैं। इस बीच जिला प्रशासन ने भी पाबंदी रद्द करने का एक आदेश जारी किया।

तमिलनाडु भाजपा प्रमुख के अन्नामलाई ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि, अगर सरकार धर्मपुरम अधीनम के ‘पट्टिना प्रवेशम’ का विरोध करती है, तो हम सरकारी नियम तोड़ देंगे। सरकार को अपना आदेश वापस लेना चाहिए।


6 मई

500 वर्ष प्राचीन पट्टिना प्रवेशम परंपरा पर तमिलनाडु सरकार ने लगाई रोक

अंग्रेज भी नहीं लगा पाए रोक, वो तमिलनाडु सरकार ने कर दिखाया

तमिलनाडु के मयिलादुथुराई जिले में शैव मठ के महंत को पालकी में बैठाकर कंधों पर ले जाने की परंपरा पर रोक लगा दी गई है। मयिलादुथुराई के जिलाधिकारी ने इस परंपरागत शोभायात्रा को मानवाधिकारों के उल्लंघन का हवाला देकर रोक लगा दी है। आपको बता दें कि ये परंपरा 500 सालों से चली आ रही है। इसके बाद मठ के अनुयायियों और पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी के इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शोभायात्रा के समर्थकों ने जिला प्रशासन के आदेश को दरकिनार कर दिया है और पट्टिना प्रवेशम यात्रा निकालने का ऐलान कर दिया है। शोभायात्रा के समर्थकों का मानना है कि इस 500 सालों की पुरानी परंपरा को बैन करने का अधिकार किसी के पास नहीं है।

समर्थकों का कहना है कि, अंग्रेजों के राज में भी किसी ने इस यात्रा को रोकने की कोशिश नहीं की थी और आजादी के बाद अब तक के किसी भी मुख्यमंत्री ने इस शोभायात्रा को नहीं रोका यह तो धार्मिक मामलों में दखलअंदाजी का मामला है । इसके साथ ही समर्थकों ने राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से दखल देने की मांग की गई है ।

इस प्रतिबंध का विरोध शुरू हो गया है। मदुरै अधीनम मठ के 293वें महंत श्री हरिहर श्री ज्ञानसंबंदा देसिका स्वामीगल ने कहा कि, उन्हें जान से मारने की धमकी मिल रही है। उन्होंने कहा कि वे इसकी शिकायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से करेंगे। मौजूदा सरकार द्वारा धार्मिक प्रथाओं में हस्तक्षेप करना निंदनीय है।

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