ईसाई मिशनरियों को समर्थन का दावा
मद्रास उच्च न्यायालय ने गुरुवार (5 मई 2022) को तमिलनाडु सरकार को सरकारी विद्यालयों में बडे प्रमाण पर कराए जा रहे जबरन धर्मांतरण को लेकर लताड लगाई। उच्च न्यायालय ने आश्चर्य जताते हुए राज्य सरकार से प्रश्न किया, “तमिलनाडु सरकार को जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ दिशानिर्देश तैयार करने में क्या परेशानी है ? राज्य के विद्यालयों में धर्मांतरण रोकने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश उसे क्यों नहीं देना चाहिए?”
न्यायमूर्ति आर महादेवन और एस अनंती की खंडपीठ ने शहर के एक अधिवक्ता बी जगन्नाथ की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। अधिवक्ता ने अपनी याचिका में शिक्षा विभाग को सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए सुधारात्मक उपायों सहित सभी आवश्यक कदम उठाने का दिशानिर्देश तैयार करने का आदेश देने की मांग की थी। न्यायालय ने कहा कि, संविधान धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है, जबरन धर्म परिवर्तन का नहीं।
Pointing out the increase in conversion activities, the Madras High Court has asked the TN government to develop a guideline to ban forced conversions in govt schools.
You have the right to practice your religion but not to convert, the court observed. pic.twitter.com/BFcF4U8Cwg
— Krishna Kumar Murugan (@ikkmurugan) May 6, 2022
सुनवाई के दौरान इस मामले में सरकार की ओर से प्रस्तुत वकील ने कहा कि, वह इस तरह के धर्मांतरण करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। हालांकि, इस याचिका का सरकार ने यह कहते हुए विरोध किया कि, यह बिना तथ्यों के आधार पर दायर की गई है, इसलिए इस पर विचार ना किया जाए।
उल्लेखनीय है कि इस याचिका में सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों, अन्य शैक्षणिक संस्थानों, प्राथमिक और उच्च माध्यमिक दोनों में धर्मांतरण और जबरन धर्मांतरण को रोकने और प्रतिबंधित करने के लिए सरकार को प्रभावी दिशा-निर्देश तैयार करने और सुधारात्मक उपायों सहित सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश देने की प्रार्थना की गई है।
रिपोर्टों के अनुसार, याचिकाकर्ता ने न्यायालय के सामने बड़े पैमाने पर जबरन धर्मांतरण रैकेट को रोकने के लिए जिला स्तर पर एक आंतरिक शिकायत समिति गठित करने का प्रस्ताव भी रखा। अधिवक्ता ने कहा कि, ईसाई मिशनरियों को कथित तौर पर राज्य सरकार का समर्थन प्राप्त है और वे शिक्षण संस्थानों में हिंदू लडकियों को निशाना बनाते हैं। उन्होंने याचिका में साफ तौर पर लिखा, “वे हिंदू छात्रों को अपमानित करते हैं और उन्हें गाली देते हैं। वे धर्म के आधार पर भेदभाव करते हैं और हिंदू लड़कियों को दूसरे धर्म को नहीं अपनाने पर प्रताड़ित करते हैं।”
इस संबंध में याचिकाकर्ता वकील ने तंजावुर जिले की एक हालिया घटना का हवाला भी दिया है। याचिकाकर्ता वकील ने बताया कि, तंजावुर में एक विद्यालयीन छात्रा लावण्या को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के लिए प्रताड़ित किया गया था, जिसके चलते उसने आत्महत्या कर ली थी। कोर्ट ने इस मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।
याचिकाकर्ता ने याचिका में यह भी दावा किया कि, कन्याकुमारी जिले के एक सरकारी स्कूल में धर्मांतरण की मांग नहीं मानने पर एक छात्र को कथित तौर पर घुटने टेकने के लिए मजबूर किया गया। अधिवक्ता जगन्नाथ ने धर्मांतरण के खिलाफ कड़े कदम उठाने की माँग की है। उन्होंने कहा है कि धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए न्यायालय का हस्तक्षेप आवश्यक है।
स्रोत : Opindia