उज्जैन की बिना नींव की मस्जिद में गणेश व अन्य प्राचिन प्रतिमाएं – महामंडलेश्वर का दावा
उज्जैन – अयोध्या में बाबरी और हाल ही में काशी की ज्ञानवापी मस्जिद में मंदिर होने के दावे के बाद अब उज्जैन में भी एक मस्जिद के बारे में भी इसी तरह के दावे किए गए हैं। आह्वान अखाडे के महामंडलेश्वर अतुलेषानंद ने यहां की दानी गेट मस्जिद के अंदर प्राचीन शिव मंदिर और गणेश प्रतिमा होने का दावा किया है। उन्होंने कहा, ‘मस्जिद की जांच हो, फोटो और वीडियोग्राफी करवाई जाए। यदि प्रशासनिक जिम्मेदारों ने कार्रवाई नहीं की तो फिर न्यायालय का दरवाजा भी खुला हुआ है’।
After Hindu community claiming dat dare is a statue of Lord Shiva n Ganesh inside a mosque in MP's Ujjain,d ASI has now confirmed sat dere was indeed a Shiva temple earlier from Raja Bhoj Era n Mosque was build after demolishing it.#ReclaimTemples#ReclaimOurTemples pic.twitter.com/vHSMd3mU1P
— Vijay Gupta?? (@vijaykglg) May 12, 2022
महामंडलेश्वर और अखंड हिन्दू सेना के अध्यक्ष अतुलेषानंद सरस्वती ने दावा किया है कि, वर्ष 2007 में उन्होंने दानी गेट स्थित बिना नींव की मस्जिद खुद गणेश प्रतिमाएं और परमार कालीन राजा भोज के समय की शिव और गणेश प्रतिमा देखी हैं।
दानी गेट मस्जिद में शिव मंदिर होने का दावा
अतुलेषानंद सरस्वतीजी ने कहा, उज्जैन मां क्षिप्रा के तट पर स्थापित राजा भोज की राजधानी रही। ये एक एक दुर्लभ स्थान है जिस पर सन 1600 में मुस्लिम मुगल शासकों ने तोडकर कब्जा किया था। उज्जैन के दानी गेट स्थित बिना नींव की मस्जिद में प्राचीन शिव मंदिर है। जिसमें आज भी गणेश प्रतिमा साफ दिखाई देती है। मस्जिद की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की जाए कोई, उससे छेडछाड नहीं करे।
मस्जिद में भगवान गणेश, हाथी और घोडे होने का दावा
अतुलेषानंदजी ने दावा किया कि, वर्ष 2007 में वो खुद मस्जिद के अंदर गए थे। तब उन्होंने देखा कि वहां दीवारों पर भगवान गणेश, हाथी, घोड़े और पत्थरों पर विशाल पहरेदार सैनिकों की मूर्तियां बनी हैं। संत ने इस मामले में न्यायालय जाने की बात कही है। और ग्वालियर से मस्जिद से जुड़े डॉक्यूमेंट मंगवाने की बात कहते हुए हिंदुओं की संपत्ति हिन्दू को देने की गुहार प्रशासन से लगाई है।
रातत्वविद ने मस्जिद के स्तम्भों को बताया परमार कालीन
बुधवार को अतुलेषानंद महाराज ने मस्जिद के अंदर के फोटो जारी किया। इसमें उन्होंने दावा किया कि मस्जिद में खड़े गुंबद और मुख्य द्वार पर की गई नक्काशी परमार कालीन है। इस बात की पुष्टि इतिहासकार और पुरातत्वविद रमन सोलंकी ने की है। उन्होंने बताया कि मस्जिद के अंदर स्तम्भ देखकर पता लगता है यह एक हजार साल पहले की है। राजा भोज के धार स्थित विश्वविद्यालय का उज्जैन के क्षिप्रा नदी किनारे एक भाग था, जहां विद्वान रहा करते थे। राजा भोज ने दानी गेट क्षेत्र में बहुत निर्माण करवाए थे। इसमें सरस्वती कंठा भरण भी शामिल है। क्षिप्रा नदी के तट से दानी गेट तक कई अवेशष आज भी मिलते है। इस तरह के अवशेष नदी के दाएं छोर पर बने स्तम्भ अवशेष में देखने को मिलते है। उन्होंने बताया कि मस्जिद के स्तम्भ परमार कालीन ही है।
पुरातत्वविद ने इसकी पुष्टि कर दी है कि, ये मस्जिद पहले राजा भोज के ज़माने की पाठशाला थी। अब इसमें कोई संदेह नहीं है कि ये किसी समय राजा भोज के शासन काल में था। अब शीघ्र ही ये जगह लेने के लिए एसपी और कलेक्टर को अवगत कराया जाएगा। धार की भोजशाला के लिए भी हम जल्द ही कोर्ट जाने वाले है।